2013-03-09 17:14:53

महिला और बाल यौन शोषण मानव मर्यादा का उल्लंघन


जेनेवा, शनिवार, 9 मार्च, 2013 ( वीआर, अंग्रेज़ी) संयुक्त राष्ट्र संघ में रोम परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष सिल्वानो तोमासी ने कहा कि महिला और बाल यौन शोषण को मानव मर्यादा और मानवाधिकार का उल्लंघन माना चाहिये।

उन्होंने कहा कि इसका समाधान कानूनी तरीके से तो करना चाहिये पर इसके साथ अनुचित और अवयस्क यौन इच्छाओं को नियंत्रित करने के लिये लोगों को शिक्षित किया जा सकता है। ऐसा करने से उपभोक्तावादी संस्कृति की बुराई से लोगों को बचाया जा सकता है।

वाटिकन परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष तोमासी ने उक्त विचार उस समय व्यक्त किये जब उन्होंने जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र संघ के 22 अधिवेशन में उपस्थित लोगों को संबोधित किया।

महाधर्माध्यक्ष तोमासी बच्चों के व्यापार, वेश्यावृत्ति और बाल अश्लील साहित्य मुद्दे पर अपने विचार कर रहे थे।

वाटिकन प्रतिनिधि ने कहा कि विगत साल की रिपोर्ट के अनुसार बाल यौन दुराचार और बलात् बाल श्रम की शिकायतें 136 व्यक्तियों की ओर से लाये गये थे जिसमें 118 राष्ट्र सम्मिलित थे। इन शिकायतों में 58 प्रतिशत यौन दुराचार संबंधी थे।

महाधर्माध्यक्ष तोमासी ने कहा कि बाल तस्करों के लिये बाल यौन शोषण से कम खतरा है और यह इसीलिये जारी है क्योंकि समाज में इसकी माँग है। इससे मानव की मर्यादा वस्तु के बराबर हो जाती है।


वाटिकन पर्यवेक्षक ने माँग की है कि ऐसे कानूनों को सख़्ती से लागू किया जाना चाहिये जिससे यौन उत्पीडन, बाल यौन साहित्य और बाल वेश्यावृति रुके।

उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार परिषद को चाहिये कि वे समस्या का समाधान के लिये समस्या के मूल कारणों जैसे आर्थिक मंदी, लड़ाई और गृह-युद्ध, कीमती खाद्य सामग्री, ग़रीबी, प्रवासी समस्या और राजनीतिक उथल-पुथल की स्थिति का उचित समाधान ढूँढ़े।










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