2013-03-09 17:16:41

धन्य मदर तेरेसा की आलोचना का विरोध


नई दिल्ली, शनिवार, 9 मार्च, 2013 (कैथन्यूज़) खबरों में एक अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर धन्य मदर तेरेसा के करुणामय जीवन की आलोचना करने का धन्य मदर तेरेसा के प्रशंसकों ने कड़ा विरोध जताया है।

सन् 1992 ईस्वी में धन्य मदर तेरेसा की जीवनी लिखने वाले पूर्व चुनाव आयुक्त नवीन चावला ने कहा "अच्छाइयों के सागर से आलोचना के दो बूँद निकालना आसान है।"

उन्होंने कहा, "शोधकर्त्ताओं ने धन्य मदर तेरेसा की आलोचना की है उन्हें गलत सूचना दी गयी है और उन्होंने मदर तेरेसा के जीवन को नहीं समझा है।"

चावला ने बतलाया कि धन्य मदर तेरेसा की सबसे बड़ी इच्छा थी कि वे गिरे हुए लोगों को उठाये और उन्हें अस्पताल पहुँचाये। उन्होंने अस्पतालों की स्थापना सिर्फ़ कोलकाता में नहीं की पर पूरे विश्व में की ताकि ग़रीब और ज़रूरतमंदों की सेवा हो सके।

विदित हो कि धन्य मदर तेरेसा पर जो शोध किये गये उसमें कहा गया था कि उनकी धन्य घोषणा मीडिया प्रचार का नतीज़ा था। रिसर्च में यह भी कहा गया है कि उनका जीवन प्रार्थनामय एवं उदारतापूर्ण था पर अपने संघ के साथ हज़ारों लोगों के साथ वे उदार नहीं थीं।

धन्य मदर तेरेसा के जीवन पर शोध करने वालों ने यह भी आरोप लगाया है कि वे धर्मसमाज के सदस्यों के प्रति उतनी उदार नहीं थी पर अपनी चिकित्सा उन्होंने अमेरिका में कराया।

चावला ने बतलाया कि धन्य मदर तेरेसा खर्चीले अस्पताओं में अपनी चिकित्सा नहीं कराना चाहती थी कई बार उन्होंने भागने का प्रयास भी किया था।

मदर तेरेसा पर टिप्पणी करनेवालों का विरोध करते हुए दिल्ली महाधर्मप्रांत के प्रवक्ता फादर दोमिनक एम्मानुएल ने कहा. "यदि धन्य मदर तेरेसा को दी जाने वाली रकम अस्पतालों में नहीं जाती थीं तो कहाँ जाती थी? क्या मदर तेरेसा की जीवनशैली में धन की कोई झलक दिखाई देती है?

धन्य मदर तेरेसा के साथ 36 वर्षों तक कार्य करनेवाली सुनीता कुमार ने कहा कि मदर तेरेसा कभी भी अस्पताल जाना नहीं चाहती थी कई बार उन पर दबाव डालना पड़ा था।








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