2013-03-07 15:15:45

‘कॉनक्लेव’
(संत पापा चुनने के लिये कार्डिनलमंडल की गुप्त निर्वाचिका सभा)


मित्रो, हम आपको बतला दें कि विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया के महाधर्मगुरु ससम्मान सेवामुक्त संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें के 28 फरवरी की संध्या औपचारिक रूप से पदत्याग के बाद से नये संत पापा के चुनाव का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
काथलिक कलीसिया के अगले और 266वें परमाध्यक्ष पोप या संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी या हम कहें काथलिक कलीसिया का केन्द्र या गढ़ माने जानेवाले रोम के धर्माध्यक्ष के चुनाव के पूर्व की प्रक्रिया शुरु हो गयी है।
सोमवार 4 फरवरी को उपस्थित कार्डिनलों की सभायें सम्मन्न हुई और संत पापा चुनाव से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किये गये। संत पापा चुनाव की विशेष प्रक्रिया जो कार्डिनल मंडल की गुप्त निर्वाचिका सभा अर्थात् ‘कॉनक्लेव’ में सम्पन्न होती है इसकी तिथि की घोषणा अब तक नहीं की गयी है।
‘सेदे वाकान्ते’ या रोम परमधर्मपीठ के रिक्त होने या कहें संत पापा का स्थान रिक्त हो जाने के कारण परंपरागत रूप से वाटिकन में होने वाला बुधवारीय आमदर्शन की धर्मशिक्षा स्थगित कर दी गयी है। अतः हम आपके लिये संत पापा की बुधवारीय धर्मशिक्षा के बदले संत पापा चुनाव से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रस्तुत कर रहे हैं। कार्डिनल मंडल के 115 कार्डिनलों पर ही 1.2 अरब काथलिकों के लिये अगले महाधर्मगुरु चुनने की ज़िम्मेदारी आ गयी है। आज हम आपको ‘कॉनक्लेव’ या कार्डिनलमंडल की गुप्त निर्वाचिका सभा के बारे में जानकारी देंगे।
‘कॉनक्लेव’ एक लैटिन शब्द है जो ‘कुम’ और ‘क्लाविस’ जो शब्दों के मेल से बना है। इसका अर्थ होता है ‘चाभी से बंद किया हुआ’। कॉनक्लेव की स्थापना ग्रेगोरी दशम् ने सन् 1274 ईस्वी में की थी। मित्रो जब नये संत पापा की चुनाव प्रक्रिया आरंभ होती है तो विश्व के कार्डिनलों को वाटिकन की ओर से आधिकारिक आमंत्रण पत्र भेजा जाता है और वे वाटिकन में एकत्र होते हैं और एक तरह से अपने को बन्द कर लेते हैं जब तक संत पापा का चुनाव नहीं हो जाता है।
परंपरा के अनुसार कॉनक्लेव का आरंभ संत पापा की मृत्यु के 15 से 20 दिनों के बाद होता है। इस समय में कार्डिनल विश्व के विभिन्न प्रांतों से वाटिकन में जमा होते हैं और अगले संत पापा के चुनाव संबंधी बातों पर विचार विमर्श करते हैँ।
जिस दिन से ‘कॉनक्लेव’ औपचारिक रूप से शुरु होता है उस दिन कार्डिनलों के डीन यूखरिस्तीय बलिदान की अध्यक्षता करते हैं। उसके बाद वे काथलिक कलीसिया के नियम -‘कैनन लॉ’ के अनुसार कार्डिनलों को चुनाव की प्रक्रिया के बारे में जानकारी देते हैं और तब वे वाटिकन में स्थित प्रसिद्ध सिस्टीन चैपल में जाते हैं और अपना गुप्त मतदान करते हैं। यह प्रक्रिया प्रातः और अपराह्न दो बार सम्पन्न की जाती है जबतक किसी उम्मीदवार को दो-तिहाई और एक मत प्राप्त न हो जाये।
संत पापा धन्य जोन पौल द्वितीय के कार्यकाल में 22 फरवरी 1996 ईस्वी में इस नियम में कुछ परिवर्तन लाये गये जिसके अनुसार 33 बार मतदान होने पर भी किसी को आवश्यक दो-तिहाई और एक की बढ़त न मिले तो 34वें मतदान में किसी उम्मीदवार को साधारण बहुमत भी मिले (50+1) तो भी यह कार्डिनलमंडल के लिये मान्य होता है।
संत पापा चुनाव में वे ही कार्डिनल हिस्सा ले सकते हैं जो 80 से कम आयु के हैं और कार्डिनलमंडल में कार्डिनलों की अधिकतम संख्या 120 होनी चाहिये।
जिस मतदान पत्र को कार्डिनल संत पापा चुनाव के लिये प्रयोग करते हैं उसमें लिखा होता है ‘मैं सर्वोच्च पोप रूप में चुनता हूँ’ (‘एलिगो इन सुम्मुम पोन्तिफिचेम’ अर्थात् आई एलेक्ट ऐज़ सुप्रीम पोन्टिफ)
जब किसी उम्मीदवार को बहुमत मिल जाता है तब कार्डिनलों के डीन बहुमत प्राप्त कार्डिनल को पूछते हैं ‘क्या आप कैनन के अनुसार अपने सर्वोच्च पोप चुने जाने को स्वीकार करते हैं’? मतदान द्वारा चुने कार्डिनल ‘नॉन अच्चेत्तो’ अर्थात् ‘स्वीकार नहीं करता हूँ ‘कह कर इस पद को अस्वीकार भी कर सकता है।
कार्डिनल मंडली द्वारा चुने गया पोप एक नया नाम चुनता है और सिस्टीन चैपल के निकट एक कमरे में जाता है जिसे ‘आँसू का कमरा’ (रूम ऑफ़ टीयर्स) कहा जाता है। लोगों के समक्ष प्रस्तुत करने के पूर्व इसी कमरे में उन्हें संत पापा का परिधान पहनाया जाता है। उधर एक ओर सिस्टीन चैपल की चिमनी से सफेद धुँआ दिखाई पड़ती है तो दूसरी ओर संत पापा को यह कहते हुए प्रस्तुत किया जाता है, "मैं आपको खुशी का संदेश देता हूँ हमें एक संत पापा मिल गया है"। तब नये संत पापा पूरी काथलिक कलीसिया और जगत् को अपना प्रथम प्रेरितिक आशीर्वाद देते हैं।
मित्रो हम आपको बतला दें कि कॉनक्लेव 2013 में मतदान में हिस्सा लेनेवालों की कुल संख्या 115 है जिसमें इटली से 28, यूरोप से 32, उत्तरी अमेरिकी से14, लतिन अमेरिका से 19, अफ्रीका से 11, एशिया से 10 और ओसियाना से 1 कार्डिनल है। मालूम हो भारत से 5 कार्डिनल कॉनक्लेव में हिस्सा लेंगे।
अब तक कॉनक्लेव की तिथि निश्चित नहीं की गयी है पर उम्मीद की जा रही है कि ईसाइयों के महापर्व ईस्टर के पहले विश्व को 266वें पोप के रूप में एक नया संत पापा या संत पेत्रुस का उत्तराधिकारी का प्राप्त हो जाएगा।
मित्रो, आप पोप का चुनाव करने वाली कॉनक्लेव के बारे में जानकारी प्राप्त की। इन दिनों हम बुधवार को संत पापा चुनाव से जुड़ी बातों से अवगत कराते रहेंगे।








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