कास्टेल गोन्दोल्फोः विनीत सेवक से एक साधारण तीर्थयात्री बेनेडिक्ट 16 वें हुए सेवामुक्त
कास्टेल गोन्दोल्फो, 01 मार्च सन् 2013 (सेदोक): "प्रभु की दाखबारी में एक विनम्र सेवक"
शब्दों का उच्चार कर, सेवामुक्त सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने अपनी परमाध्यक्षीय प्रेरिताई
आरम्भ की थी तथा स्वतः को "इस धरती पर अपनी तीर्थयात्रा के अन्तिम पड़ाव पर आगे बढ़ता
साधारण तीर्थयात्री" कहकर 28 फरवरी को अपना परमाध्यक्षीय काल समाप्त कर सेवामुक्त हो
गये। गुरुवार, 28 फरवरी को बेनेडिक्ट 16 वें रोम समयानुसार सन्ध्या लगभग साढ़े पाँच
बजे कास्टेल गोन्दोल्फो पहुँचे जहाँ स्थानीय लोगों ने हज़ारों की संख्या में एकत्र होकर
उनका हार्दिक स्वागत किया। वाटिकन के श्वेत एवं पीले ध्वजों को फहराकर, वीवा इल पापा
के जयनारे लगाकर, करतल ध्वनि और साथ ही गिरजाघरों के घण्टों की गूँज द्वारा, लोगों ने
प्रार्थना में सदैव बेनेडिक्ट 16 वें के समीप रहने का प्रण किया। इस अवसर पर तीर्थयात्रियों
से बेनेडिक्ट 16 वें ने कहाः "मैं केवल एक साधारण तीर्थयात्री हूँ जो इस धरती पर अपनी
तीर्थयात्रा का अन्तिम पड़ाव शुरु कर रहा है। परन्तु मैं अब भी अपने सारे हृदय से, सारे
प्रेम से, अपनी प्रार्थनाओं एवं अपने चिन्तनों द्वारा कलीसिया के कल्याण तथा मानवजाति
के कल्याण के लिये काम करना चाहता हूँ। इस उद्यम में आपकी सहानुभूति मुझे समर्थन देती
है। कलीसिया और विश्व की भलाई के लिये हम सब एकसाथ मिलकर आगे बढ़ते रहें। धन्यवाद।" गुरुवार,
28 फरवरी सन् 2013, रात्रि आठ बजे प्रेरितिक प्रासाद के विशाल काठ के द्वार बन्द हो गये।
लोगों ने वीवा इल पापा के नारे लगाकर बेनेडिक्ट 16 वें से विदा ली। दो स्विज़ गार्ड्स
विशाल काठ के द्वार के भीतर एवं दो गार्ड्स बाहर तैनात थे जिन्होंने सुरक्षाभार वाटिकन
सुरक्षा अधिकारियों के सिपुर्द किया तथा वहाँ से विदा ली। ग़ौरतलब है कि स्विज़ गार्ड्स
केवल कलीसिया के परमाध्यक्ष की सुरक्षा के लिये हैं इसलिये "सेदे वाकान्ते" के समय अर्थात
परमाध्यक्षीय पीठ के खाली रहने के समय, वाटिकन के स्विज़ सुरक्षा कर्मी सेवामुक्त रहते
हैं।