वाटिकन सिटी, 25 फरवरी, 2013 (वीआर, अंग्रेज़ी) "सत्य सुन्दर है, सत्य और सुन्दरता एक
साथ चलते हैं और सुन्दरता, सत्यता की मुहर है।"
उक्त बात संत पापा बेनेदिक्त
सोलहवें ने चालीसाकालीन आध्यात्मिक साधना के अंतिम दिन शनिवार 23 फरवरी को उस समय कही
जब उन्होंने अपने आध्यात्मिक साधना की समाप्ति पर संस्कृति के लिये बनी परमधर्मपीठीय
समिति के अध्यक्ष कार्डिनल जियानफ्रांको रवासी के प्रति आभार व्यक्त किया।
उन्होंने
कहा, " विश्वास से पूर्ण सृष्टि की समृद्धि, गहराई और सुन्दरता पर हम आश्चर्य चकित हैं।
हम इस बात के लिये कृतज्ञ हैं कि ईश्वर ने दिव्य वचन के द्वारा हमें नया रूप तथा नयी
शक्ति प्रदान की है।"
उन्होंने कहा, "हम इस बात को देखते हैं कि दुनिया में व्याप्त
बुरी ताकत सदा ही सृष्टि की अच्छाई के विरोध करती है। बुराई हमेशा सृष्टि का विनाश चाहती,
ईश्वर का प्रतिरोध करती और सुन्दरता और सत्यता को धूमिल करने का प्रयास करती है। बुराई
से भरी इसी दुनिया में शब्दधारी ईश्वर ने प्रवेश कर काँटों का मुकुट पहना ताकि दुःख उठाते
हुए ईशपुत्र के रूप में हम सृष्टिकर्त्ता और मुक्तिदाता के प्रेम की सुन्दरता को पहचान
सकें।"
संत पापा ने कहा कि "अन्धेरी रात" के सन्नाटे में हम ईश्वर की आवाज़ सुन
सकते हैं। मालूम हो कि संत पापा ने संत पापा ने वाटिकन के प्रेरितिक प्रासाद में रोमन
कूरिया के सदस्यों के साथ एक सप्ताह का चालीसाकालीन आध्यात्मिक साधना की जिसका समापन
शनिवार 23 फरवरी को हुआ।
आध्यात्मिक साधना के अंत में प्रार्थना के संचालक कार्डिनल
रवासी को धन्यवाद दिया और कहा,"मैं सिर्फ़ उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त नहीं करता
जिन्होंने मेरे साथ आध्यात्मिक साधना की है पर उनके प्रति भी जिन्होंने पूरे स्नेह, प्रेम,
विश्वास तथा दक्षता से संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी होने की ज़िम्मेदारी निभाने में मेरा
साथ दिया है।
संत पापा ने कहा. "मेरी यह कृतज्ञता इस दृश्य एकता के साथ समाप्त
होने के बाद भी बनी रहेगी। आध्यात्मिक सामीप्य और प्रार्थनामय एकता हमेशा बनी रहती है।
ईश्वर की जीत की सत्यता, सुन्दरता और प्रेम की निश्चितता में एक साथ हम सदा आगे बढ़ते
रहें।"