पुरोहित को भी ईश्वर की दया और आंतिरक परिवर्तन की ज़रूरत
वाटिकन सिटी, 23 फरवरी 2013 (वीआर, अंग्रेज़ी) पुरोहित अन्य लोगों की तरह ही अपने पापों
और बोझों के साथ एक कमजोर इंसान है और उसे भी ईश्वर की दया और आंतिरक परिवर्तन की ज़रूरत
है।
उक्त बात संस्कृति के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष जियानफ्रांक
रवासी से उस समय कही जब उन्होंने वाटिकन सिटी में संत पापा और रोमन कूरिया के सदस्यों
को शुक्रवार 22 फरवरी को अपने प्रवचन दिये।
विदित हो कि संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें
अपना चालीसाकालीन आध्यात्मिक साधना कर रहे हैं और कार्डिनल रवासी इसके संचालक है। संत
पापा की आध्यात्मिक साधना 23 फरवरी शनिवार तक जारी रहेगा।
कार्डिनल ने प्रेरितिक
प्रासाद में अवस्तिथ रिदेमतोरिस मातेर चैपल में अपने प्रवचन देते हुए स्तोत्र 16 और 73
पर अपने विचार व्यक्त किये। इन स्तोत्रों में पुरोहित की बुलाहट और उसके गुणों के बारे
में चर्चा की गयी है।
कार्डिनल ने कहा कि मानव के कमजोर स्वभाव के बावजूद ईश्वर
का असीम प्रेम हमें मृत्यु से बचाता है और हमें अनन्त कृपा की ओर ले चलता है।
उन्होंने
कहा कि पुरोहित ईश्वर के विशेष साधन हैं जिनके द्वारा ईश्वर की कृपा लोगों तक पहुँचती
है। कार्डिनल ने कहा कि यदि हम ईश्वर पर पूर्ण विश्वास करते हैं तो हमें स्वतंत्रता,
कृपा, शुद्धता और आध्यात्मिकता का वरदान प्राप्त होगा जो जीवन के सच्चे पुरस्कार हैं।
कार्डिनल ने स्तोत्र 71 और 128 पर अपने चिन्तन व्यक्त करते हुए कहा कि जो परिवार
विश्वास करता है उसे चाहिये कि वह अपने आप को बन्द न कर ले पर अपने समुदाय के हित के
लिये अपना योगदान दे।
कार्डिनल रवासी ने कहा ईश्वर द्वारा चुने हुए पुरोहितों
का दायित्व है कि वे विश्वासियों का देखभाल करें और विश्वासियों के जीवन में सहभागी हों।