मुम्बई, 16 फरवरी, 2013 (वीआर, अंग्रज़ी) भारत के ख्रीस्तीयों ने संत पापा बेनेदिक्त
सोलहवें के साथ अपनी आध्यात्मिक सामीप्य दिखलाने के लिये 22 फरवरी को एक प्रार्थना सभा
का आयोजन किया।
उक्त बात की जानकारी देते हुए मुम्बई के महाधर्माध्यक्ष, सीबीसीआई
एवं सीसीबीआई कार्डिनल ओस्वाल्ड ग्रेशियस ने कहा कि 22 फरवरी संध्या भारत की सब ख्रीस्तीय
संस्थायें, कॉन्वेन्ट और मठ एक घन्टे की आराधना करेंगे जो संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें
को समर्पित होगा।
कार्डिनल ग्रेशियस ने कहा कि संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें के
आठ साल के शासन काल में उन्होंने अपने दस्तावेज़ो के द्वारा कई मुद्दों पर अपने विचार
व्यक्त किये जो एशिया विशेष कर भारत की कलीसिया के लिये अति उपयोगी थे।
संत पापा
बेनेदिक्त सोलहवें ने विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों के साथ वार्ता जैसे मुद्दों पर बल
दिया साथ उन्होंने कहा कि अमीर और ग़रीबों के बीच की दूरी को कम किये जाने का प्रयास
करना चाहिये।
इसके साथ संत पापा ने इस बात पर बल दिया कि कलीसिया के सामाजिक
सिद्धांतों को कलीसिया में लागू किया जाना चाहिये विशेषकर के अर्थव्यवस्था, वैश्वीकरण,
पर्यावरण और अतिवादी संबंधी समस्याओं के समाधान में।
कार्डिनल ग्रेशियस ने संत
पापा की बातों की याद करते हुए कहा कि शांति युद्ध की अनुपस्थिति मात्र नहीं है पर यह
न्याय और प्रेम का सार्वभौमिक अनुभव है जो लालच, असमानता और हिंसा जैसी संरचनात्मक बुराइयों
का विरोध करती है।