2013-02-11 15:07:51

हज़ारों लोगों का प्यारा तीर्थस्थल - लूर्द


वाटिकन सिटी, 11 फरवरी, 2013(वीआर,अंग्रेज़ी) लूर्द का तीर्थस्थल हज़ारों के जीवन के बदल डाला है और लूर्द आना एक अद्वितीय दिव्य अनुभव है। उक्त बात एचसीपीटी तीर्थयात्रा के निदेशक फिलिप स्पार्क ने उस समय कहीं जब उन्होंने 11 फरवरी विश्व रोगी दिवस के अवसर पर वाटिकन रेडियो को एक साक्षात्कार दिया।

विदित हो कि 11 फरवरी सन् 1858 ईस्वी माता मरिया ने बेर्नादेत्त नामक को दर्शन दिये थे और उस समय से यह फ्रांसीसी शहर विश्व प्रसिद्ध हो गया है तथा तीर्थयात्रियों के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है।

एचसीपीटी पिलग्रिम ट्रस्ट के निदेशक फिलिप स्पार्क ने कहा कि लूर्द की कुँवारी मरिया के तीर्थस्थल पर आने के बाद कई विकलांगों को चँगाई प्राप्त हुई है उन्होंने यह महसूस किया है कि वे भी मानव परिवार के सदस्य हैं।

उन्होंने कहा कि बीमारी के कारण कई रोगी यह सोचने को मजबूर हो जाते हैं कि दुनिया से वे कट गये हैं पर उन्हें यह गहरा आभास होता है कि वे पुनः लोगों के साथ एक हो गये हैँ।

फिलिप ने अपने व्यक्तिगत अनुभव को बतलाते हुए कहा कि उन्होंने कई रोगियों को देखा जो आरंभ में प्रार्थना करने और गीत-भजन में सकुचाते हुए शामिल होते हैं पर बाद में पूर्ण रूप से उसमें मशगूल हो जाते हैं।

तीर्थयात्रा आयोजन ट्रस्ट के निदेशक ने बतलाया कि लूर्द तीर्थयात्रा का महत्व तब स्पष्ट हो जाता है जब कई रोगी अपनी चंगाई की कहानी लिख भेजते हैं। वे बतलाते हैं कि लूर्द की तीर्थयात्रा के बाद उनका जीवन बदल गया।

फिलिप ने बतलाया कि एक 12 वर्षीय बालक ने हाल में पत्र लिखकर बतलाया की लूर्द की तीर्थयात्रा के बाद उसने चंगाई प्राप्त की और ईश्वर पर उसका विश्वास मजबूत हुआ।








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