2013-02-07 20:16:43

युवा कलीसिया की सुन्दरता और ताकत


वाटिकन सिटी, 7 फरवरी, 2013(सेदोक, वीआर) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने संस्कृति के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति द्वारा ‘उभरती युवा संस्कृति’ पर आयोजित एक सभा को 7 फरवरी वृहस्पतिवार को संबोधित किया।

संत पापा ने कहा कि युवाओं की समस्यायें जटिल हैं और उन्हें किसी एक संस्कृति के आधार पर समझा जा सकता है पर उन्हें समझने के लिये बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाये जाने की आवश्यकता है क्योंकि इसका निर्णय विचारों की विभिन्नता, दृष्टिकोण और रणनीति पर निर्भर करता है।

संत पापा ने कहा कि विभिन्न समस्याओं और अनिश्चितताओं के बावजूद हज़ारों युवा कलीसिया के साथ मिलकर ज़रूरतमंदों की मदद करते हैं और अपने विश्वास का साक्ष्य देते हैं। वे कलीसिया के साथ मिलकर इस बात का प्रयास करते हैं कि प्रत्येक व्यकि की स्वतंत्रता और मर्यादा का सम्मान हो विशेषकरके उनका जो कमजोर और ज़रूरतमंद हैं।

संत पापा ने कहा कि उन्हें इस बात का पक्का विश्वास है कि समस्त कलीसिया युवाओं की शक्ति पर पूर्ण भरोसा रखती है और वह चाहती है कि युवाओं के ज़रूरतों की पूर्ति करे ताकि वे येसु के द्वारा दिये गये मिशन को पूर्ण करने में कलीसिया की मदद करें।

संत पापा ने वाटिकन द्वितीय महासभा की याद दिलाते हुए कहा कि युवावर्ग कलीसिया की ताकत और सुन्दरता है।

उन्होंने पूजनीय पौल षष्टम् की याद कराते हुए उन्हीं के शब्दों में अपील करते हुए कहा कि पिता और पुत्र परमेश्वर के नाम युवा अपनी दृष्टि दौड़ायें और ज़रूरतमंदों की आवाज़ सुनें, अहंकार का विरोध करें, हिंसा और घृणा त्यागें जिससे युद्ध पैदा होती है। वे उदार बनें, ईमानदारी बनें, सबका सम्मान करें और एक बेहतर विश्व के निर्माण में अपना योगदान दें।

संत पापा ने कहा कि विश्वास वर्ष युवाओं के लिये एक ऐसा बहुमूल्य समय है जब वे येसु के साथ अपनी मित्रता को सुदृढ़ करें जो हमारे जीवन को आनन्द से भर देते हैं और हमारे संस्कृति और समाज को नया कर देते हैं।














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