2013-02-04 10:37:36

वाटिकन सिटीः देवदूत प्रार्थना से पूर्व दिया गया सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश


वाटिकन सिटी, 28 जनवरी सन् 2013 (सेदोक): रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में, रविवार 03 फरवरी को एकत्र भक्त समुदाय के साथ, देवदूत प्रार्थना के पाठ से पूर्व, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहाः
"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
सन्त लूकस रचित सुसमाचार के चौथे अध्याय से लिया गया आज का सुसमाचार पाठ विगत रविवार के सुसमाचार की निरन्तरता है। इस पाठ में नाज़रेथ के यहूदी मन्दिर का ही विवरण है जहाँ येसु का पालन पोषण और विकास हुआ था तथा जहाँ सब लोग उन्हें एवं उनके परिवार को जानते थे। अनुपस्थिति की एक अवधि के बाद, अब, येसु एक नये तरीके से वापस लौटे थेः विश्राम दिवस की धर्मविधि के दौरान, वे, मसीह के विषय में, नबी इसायाह की भविष्यवाणी को पढ़ते तथा उसकी परिपूर्णता की घोषणा करते हैं और ऐसा कर वे ये सुझाव भी देते हैं कि वह भविष्यवाणी उनके सन्दर्भ में थी। यह तथ्य नाज़रेथवासियों में घबराहट को उत्पन्न करता हैः एक ओर, सब उनकी गवाही देते थे तथा उनके मुख से निकलनेवाले अनुग्रह के शब्दों पर आश्चर्यचकित हो जाते थे" (लूकस 4:22) सन्त मारकुस बताते हैं कि "बहुत-से लोग अचम्भे में पड़ कर कहते थे, ''यह सब इसे कहाँ से मिला? यह कौन-सा ज्ञान है, जो इसे दिया गया है?" (6:2) दूसरी ओर, उनके पड़ोसी एवं नगरवासी उन्हें अच्छी तरह से जानते थेः "कहते थे, यह हममें से एक है इसका दावा परिकल्पना और अनुमान से अधिक और कुछ भी नहीं है" (L’infanzia di Gesù, 11)। "क्या यह युसूफ़ का बेटा नहीं है?'' (लूकस 4,22), मानों कह रहे होः नाज़रेथ के बढ़ई का क्या आकाँक्षाएँ हो सकती हैं?"

सन्त पापा ने कहा, "उनके संकीर्ण दिल को परखते हुए जो इस मुहावरे पर खरा उतरता है कि किसी भी नबी का उसके अपने देश में स्वागत नहीं किया जाता, येसु यहूदी आराधनालय में उपस्थित लोगों की तरफ उन शब्दों से अभिमुख होते हैं जो एक प्रकार से उत्तेजक जान पड़ते हैं। वे दो महान नबियों, एलिया एवं एलियस द्वारा, ग़ैरइस्राएलियों के पक्ष में, सम्पादित चमत्कारों का उदाहरण देते हैं। यह दर्शाने के लिये कभी कभी इस्राएल से बाहर और अधिक विश्वास को देखा जा सकता है। उस बिन्दु पर लोगों की प्रतिक्रिया सर्वसम्मत थीः सभी उठते हैं तथा उन्हें बाहर कर देते हैं यहाँ तक कि उन्हें एक ऊँची चट्टान से उठाकर नीचे फेंकना चाहते हैं किन्तु येसु शांतिपूर्वक गुस्साये हुए लोगों के बीच से गुज़रते हुए बाहर निकल जाते हैं। इस बिन्दु पर यह सवाल करना स्वाभाविक हैः क्यों येसु ने इस प्रकार की उत्तेजना को भड़काना चाहा? आरम्भ में लोग उनके प्रशंसक थे, और शायद उस समय उन्हें लोगों का समर्थन मिल जाता ... परन्तु यही है वास्तविकताः येसु मनुष्यों से समर्थन और सहमति प्राप्त करने नहीं आये, अपितु – जैसा कि अन्त में पिलातुस से उन्होंने कहा था – "मैं इसलिये आया हूँ कि सत्य के विषय में साक्ष्य पेश कर सकूँ (योहन 18:37)। सच्चा नबी या भविष्यवक्ता अन्यों की नहीं ईश्वर की आज्ञा का पालन करता तथा सत्य की सेवा में स्वतः को अर्पित कर देता है, इसके लिये वह अपने प्राणों की आहुति तक देने को तैयार हो जाता है। यह सच है कि येसु प्रेम के नबी हैं, किन्तु प्रेम का भी अपना सत्य होता है। दरअसल, प्रेम एवं सच्चाई एक ही वास्तविकता के दो नाम हैं, ईश्वर के दो नाम है।"

सन्त पापा ने आगे कहाः "आज के धर्मविधिक पाठों में सन्त पौल के ये शब्द भी गूँजते हैं: "प्रेम .... न तो डींग मारता और न घमण्ड करता है। प्रेम, सहनशील और दयालु है। प्रेम, अशोभनीय व्यवहार नहीं करता। वह अपना स्वार्थ नहीं खोजता। प्रेम, न तो झुंझलाता है और न बुराई का लेखा रखता है। वह दूसरों के पाप से नहीं, बल्कि उनके सदाचरण से प्रसन्न होता है"(1 कुरिन्थ. 13, 4-6)। ईश्वर में विश्वास करने का अर्थ है पूर्वाग्रहों का परित्याग करना तथा उस ठोस मुखमण्डल का स्वागत करना जिसमें येसु ने ख़ुद को प्रकट किया है और वे हैं नाज़रेथ के येसु। यही है वह रास्ता जो उन्हें पहचानने तथा दूसरों में उनकी सेवा करने तक हमें ले जाता है।

इसमें मरियम का उदाहरण आलोक प्रदान करनेवाला है। उनसे अधिक कौन येसु की मानवता से इतने क़रीब से परिचित हुआ? किन्तु मरियम उनके नगरवासियों की तरह कभी भी चौंकी नहीं। उन्होंने रहस्य को अपने दिल में संजोए रखा तथा नित्य उसका स्वागत करना जाना। मरियम, आस्था के मार्ग पर, क्रूस की रात तक तथा पुनरुत्थान के पूर्ण प्रकाश तक नित्य नवीन ढंग से अग्रसर होती गई। मरियम हमारी मदद करें कि हम भी निष्ठा और आनन्द के साथ इस पथ पर आगे बढ़ते रहें।

इतना कहकर सन्त पापा ने उपस्थित भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सबके प्रति मंगलकामनाएं अर्पित करते हुए सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

तदोपरान्त सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने विभिन्न भाषाओं में उपस्थित भक्तों के प्रति मंगलकामनाएँ अर्पित कीं। अँग्रेज़ी भाषा भाषियों को सम्बोधित कर सन्त पापा ने कहा, "आज देवदूत प्रार्थना के लिये उपस्थित सभी अँग्रेज़ी भाषी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का मैं अभिवादन करता हूँ। आज की पूजन पद्धति के लिये नविर्धारित सुसमाचार पाठ में येसु स्मरण दिलाते हैं कि नबी होना कोई सरल काम नहीं है, विशेष रूप से, उन लोगों के बीच जो हमारे बहुत क़रीब हैं। प्रभु से हम प्रार्थना करें कि वे हमें साहस एवं प्रज्ञा प्रदान करें ताकि अपने वचनों और कर्मों में हम निर्भिकता, विनम्रता तथा सम्बद्धता के साथ ईश प्रेम के उद्धारकारी सत्य की उदघोषणा कर सकें। आप सबको ईश्वर आशीष प्रदान करें।"
अन्त में सन्त पापा ने सबके प्रति शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ व्यक्त की।








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