ज़रूरत है विश्वास की घोषणा, सही व्याख्या और खुलेपन की
बंगलोर, 2 फरवरी, 2013(सेदोक) शिक्षा के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति के प्रीफेक्ट कार्डिनल
ज़ेनन ग्रोकोलेवेस्की ने बंगलोर के धर्मारम विद्या क्षेत्रम् में आयोजित ‘वाटिकन द्वितीय
महासभा का पुनरवलोकनः50 साल का नवीनीकरण’ विषय पर बोलते हुए कहा कि आज ज़रूरत है सच्चे
विश्वास के घोषणा और उसकी सही व्याख्या की।
कार्डिनल ने कहा कि वाटिकन द्वितीय
महासभा के दस्तावेज़ों को बारीकी से पढ़ने या चिन्तन करने तथा उस पर बौद्धिक मनन-ध्यान
किये जाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि वाटिकन द्वितीय के दस्तावेज़ों के
समझने और व्याख्या में कलीसिया ने विभिन्नता और मतभेद का सामना किया है पर उसके समाधान
के लिये काथलिक कलीसिया को चाहिये ‘कैथोलिसिटी’ अर्थात् ‘सबों के साथ खुलापन’ या हम कहें
‘सबको गले लगाने का भाव।
कार्डिनल ने कहा कि कलीसिया एक तरह से एक द्वैतवाद का
सामना कर रही है जैसे स्थानीय और विश्वव्यापी, नवीनीकरण और निरंतरता, वर्गीकृत और समुदाय,
अक्षर और भाव, ईशशास्र और इतिहास, प्रक्रिया और उत्पादन, घटना और संदर्भ आदि जिसका समाधान
‘कैथोलीसिटी’ या ‘खुलेपन’ में है।
उन्होंने आशा व्यक्त की वाटिकन द्वितीय के दस्तावेज़
हमारे जीवन को नया बनाते रहेंगे हमारी परंपराओं और समुदाय को प्रेरित करते रहेंगे।