नबी इसायस 62,1-5 कुरिन्थियों के नाम पत्र 12, 4-11 संत योहन 2, 1-12 जस्टिन
तिर्की,ये.स.
जोन की कहानी मित्रो आज आप लोगों को एक कहानी बतलाता हूँ एक बालक
के बारे में। बालक का नाम था जोन। जोन प्रत्येक रविवार को संडे स्कूल जाया करता था। प्रत्येक
रविवार को संडे स्कूल शिक्षिका क्लास में बाईबल की एक कहानी बतलाया करती थी। एक दिन जोन
के बस्ती में टीवी वालों का एक दस्ता पहुँचा। उन्होंने जोन का इन्टरव्यूह लिया। टीवी
वाले ने जोन से पूछा कि वह रविवार का समय कैसे व्यतीत करता है। जोन ने कहा कि वह प्रत्येक
रविवार को संडे स्कूल जाता है। टीवी वाले ने पूछा कि वहाँ वह क्या करता है। जोन ने कहा
कि उनकी टीचर बाईबल की एक कहानी बतलाती है। टीवी वाले ने अगला सवाल किया कि पिछले सप्ताह
टीचर ने किस कहानी को बतलाया। जोन ने कहा कि टीचर ने काना नगर के विवाह भोज की कहानी
बतलायी। टीवी वाले ने कहा कि क्या कहानी पसंद आयी। जोन ने कहा कि उसे कहानी बहुत पसंद
आयी। क्यों ? तब जोन ने कहा कि माता मरिया के कहने पर ने पानी को दाखरस बना दिया और सब
प्रसन्न हो गये। टीवी वाले ने कहा कि इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है। जोन ने
कहा कि टीचर ने इसके बारे में कुछ नहीं कहा क्योंकि समय हो चुका था। और घंटी बज चुकी
थी। टीवीवाले ने कहा कि अच्छा तुम सोचकर बतलाओ कि काना नगर के विवाह भोज की कहानी से
तुम्हें क्या शिक्षा मिलती है।जोन ने कहा कि उसके टीचर ने इसके बारे में कुछ नहीं बतलाया।
तब टीवी वाले का अगला सवाल था। तब तुम ही बतलाओ कि तुम्हें काना नगर के विवाह भोज की
कहानी से क्या शिक्षा मिलती है। बालक जोन कुछ पल मौन रहा और सकुचाते हुए कहा इस कहानी
से हमें यही शिक्षा मिलती है कि हमारे कार्यक्रमों में माता मरिया और येसु को ज़रूर ही
आमंत्रित करना चाहिये क्योंकि माता मरिया और येसु हमारी ज़रूरतों को अवश्य ही पूरी कर
देंगे। वे सबों को खुश कर और संतुष्ट कर देंगे।
मित्रो, हम रविवारीय आराधना विधि
चिन्तन कार्यक्रम के अन्तर्गत पूजन विधि पंचांग के वर्ष ‘स’ के दूसरे रविवार के लिये
प्रस्तावित सुसमाचार पाठ के आधारपर मनन- चिन्तन कर रहे हैं। प्रभु आज हमें बतलाना चाहते
हैं कि हमारे जीवन में माता मरिया और येसु का स्थान अति महत्वपूर्ण है। उनके बिना हम
कई समस्याओं में फँस जाते हैं पर उनके साथ रहने से हम जीवन की सच्ची मुक्ति और शांति
पा सकते हैं। मित्रो, आइये हम ईशवचन को पढ़ें जिसे संत योहन के सुसमाचार के 2 अध्याय
के 1 से 12वें पदों से लिया गया है।
संत योहन, 2, 1-12 2) ईसा और उनके शिष्य
भी विवाह में निमन्त्रित थे। 3) अंगूरी समाप्त हो जाने पर ईसा की माता ने उन से कहा,
‘‘उन लोगो के पास अंगूरी नहीं रह गयी है''। 4) ईसा ने उत्तर दिया, ‘‘भद्रे! इस से
मुझ को और आप को क्या, अभी तक मेरा समय नहीं आया है।'' 5) उनकी माता ने सेवकों से
कहा, ‘‘वे तुम लोगों से जो कुछ कहें वही करना''। 6) वहाँ यहूदियों के शुद्धीकरण के
लिए पत्थर के छः मटके रखे थे। उन में दो-दो तीन-तीन मन समाता था। 7) ईसा ने सेवकों
से कहा, ''मटकों में पानी भर दो''। सेवकों ने उन्हें लबालब भर दिया। 8) फिर ईसा ने
उन से कहा, ‘‘अब निकाल कर भोज के प्रबन्धक के पास ले जाओ''। उन्होंने ऐसा ही किया। 9)
प्रबन्धक ने वह पानी चखा, जो अंगूरी बन गया था। उसे मालूम नहीं था कि यह अंगूरी कहाँ
से आयी है। जिन सेवकों ने पानी निकाला था, वे जानते थे। इसलिए प्रबन्धक ने दुल्हे को
बुला कर 10) कहा, ‘‘सब कोई पहले बढ़िया अंगूरी परोसते हैं, और लोगों के नशे में आ
जाने पर घटिया। आपने बढ़िया अंगूरी अब तक रख छोड़ी है।'' 11) ईसा ने अपना यह पहला चमत्कार
गलीलिया के काना में दिखाया। उन्होंने अपनी महिमा प्रकट की और उनके शिष्यों ने उन में
विश्वास किया। 12) इसके बाद ईसा अपनी माता, अपने भाइयों और अपने शिष्यों के साथ कफरनाहूम
गये, परन्तु वे वहाँ थोड़े ही दिन रहे।
मित्रो, मेरा पूरा विश्वास है कि आपने
प्रभु के दिव्य वचन को ध्यान से सुना है और इसके द्वारा आपको और आपके परिवार के सब लोगों
को आध्यात्मिक लाभ हुए हैं। मित्रो, आपने ग़ौर किया होगा कि आज का सुसमाचार योहन रचित
सुसमाचार है। योहन का प्रयास यही था कि लोग येसु के कार्यों से आध्यात्मिक रूप से प्रकाश
प्राप्त करें ताकि उन्हें ईश्वरीय कृपा मिले और वे विश्वास करें।
चमत्कार क्या
है ? मित्रो हम आपको बतला दें कि आज के सुसमचार में जिस घटना की चर्चा की गयी है
इसे हमने कई बार सुना है। मैंने भी इस पर विचार और चिन्तन किये हैं। पर आज मुझे जिन बातों
ने प्रभावित किया वह है माता की मध्स्थता और समस्या के निदान में येसु की सक्रिय था।
संत योहन के अनुसार काना के विवाह भोज का चमत्कार कर सकें। हम येसु को पहचान सकें कि
वे ही दुनिया की ज्योति हैं । वे हमारे उद्धारकर्ता हैं। मित्रो कई बार जब हम चमत्कार
की बातें करते हैं तो हम सोचने लगते हैं कि इस चमत्कार के लिये कोई विशेष समय होना चाहिये
कोई बड़ा त्योहार या कोई बड़ा अवसर होना चाहिये। मित्रो अगर आपने प्रभु के वचन को ध्यान
से सुना है तो पाया होगा कि प्रभु येसु हमारे जीवन के किसी भी पल में चमत्कार करने के
लिये तैयार रहते हैं। मित्रो क्या आपने कभी इस बात पर विचार किया है कि चमत्कार आखिर
क्या है। क्या यह कोई जादू है, कोई ईश्वरीय शक्ति है। जब हम चमत्कार की बातें करते तो
उन सुखद पलों की याद करते हैं जो मानवीय दृष्टिकोण से असंभव रहे हों पर प्राथनाओँ और
दुवाओं से अचानक ठीक हुए हों। मित्रो, यह सही है कि जब मानव के जीवन में ईश्वरीय
शकित का गहरा आभास होता है तो हम इसे चमत्कार कहते हैं। किसी नवअभिषिक्त पुरोहित ने कहा
था कि चमत्कार का अर्थ है उस शक्ति को प्राप्त कर लेना जिसके द्वारा ईश्वरीय चिह्न की
पहचान करना, धन्यवादी हो जाना और ईश्वर की इच्छा के अनुसार जीवन जीने लगना। मित्रो, यह
सच है कि अगर व्यक्ति ईश्वरीय चिह्न को पहचान ले तो उसका जीवन चमत्कारों से भर जायेगा।
माता मरिया की भूमिका आज की जिस घटना वर्णन सुसमाचार में किया गया है
उससे मैं बहुत प्रभावित हूँ विशेष कर माता मरिया की भूमिका से। माता मरिया की यह छोटी–सी
भूमिका मुझे बहुत अच्छी लगती है। माता मरिया ने येसु से आग्रह किया कि वह विवाह भोज के
लिये दाखरस का इंतज़ाम कर दे। मित्रो, मात मरिया का यह काम कितना छोटा नज़र आता है लेकिन
यह कितना महत्वपूर्ण है। आज कई लोग विपत्तियों में हैं, समस्याओं से जूझ हे हैं और कई
असहाय महसूस करते हैं। वे अपने से कुछ नहीं कर सकते हैं। उन्हें दूसरों का सहारा चाहिये।
उन्हें एक मध्यस्थ चाहिये जोन उनके लिये ईश्वर से अर्जी कर दें। मित्रो माता मरिया की
अर्जी को प्रभु कदापि नहीं टाल सकते।
जो कहें वही करना एक दूसरी बात जिसने
मेरे मन-दिल को छूआ है वह है माता मरिया की छोटी सलाह। वे कहतीं हैं प्रभु येसु जो कहें
वहीं करना। मित्रो, अगर हम अपने जीवन में कोई चमत्कार देखना चाहते हैं तो यह परमावश्यक
है कि हम वही कहें या करें जिसं प्रभु हमसे करने की आज्ञा देते हैं। मित्रो, एक अंतिम
बात जिसने मेरे दिल को छूआ है वह है येसु की भले कार्यों के प्रति उत्साह और सक्रियता।
जैसे ही उन्हें मालूम हुआ कि दाखरस घट गया है उन्होंने तुरन्त ही उसका समाधान खोज निकाला
और सबों को खुशियो से भर दिया।
मरिया और येसु को आमंत्रित करें मित्रो आज प्रभु
हमें बुला रहे हैं ताकि हम भी अपने जीवन में येसु द्वारा किये गये चमत्कारों को पहचानें,
माता मरिया की मध्यस्थता से प्रार्थना करें ताकि वह हमारी प्रार्थना को येसु तक पहुँचायें
और हमारे निवेदन पूरे हो सकें। आज हम उस बालक की बात भी याद करें जिसने कहा था कि हम
कुछ भी कार्य करें माता मरिया और येसु को आमंत्रित करना न भूलें। अगर हमने ऐसा करना
सीख लिया और इसे अपना दिनचर्या बना लिया तो हम ईश्वरीय आभा से आलोकित होंगे ही, ईश्वरीय
चमत्कारों का व्यक्तिगत अनुभव कर पायेंगे और अपने जीवन, वचन और कर्म से दूसरों के जीवन
को सुखद, आश्चर्यमय अनुभवों से भर देंगे।