2013-02-01 19:28:01

वर्ष ‘स’ का तीसरा रविवार, 27 जनवरी, 2013


कुरिन्थियों के नाम 12,12-3-
नबी नहेम्या का ग्रंथ 8, 2-8, 8-10
संत लूकस 1, 1-4, 4,14-21
जस्टिन तिर्की, ये.स.

रोज़ी
मित्रो, आज आप लोगों के एक घटना के बारे में बताता हूँ जिसे फादर पीयुस ने बताया था। वे शहर से दूर एक पल्ली में काम करते थे। पल्लीवासियों के लिये मिस्सा-पूजा चढ़ाते और उनकी आध्यात्मिक देख-रेख किया करते थे। कई बार वे बीमारों को देखने जाते, उनके लिये प्राथनायें करते और उन्हें अंतिम संस्कार दिया करते थे। एक बार जब वे रविवारीय मिस्सा-पूजा के बाद आराम कर रहे थे तो किसी ने उनका दरवाज़ा खटखटाया। जब वे बाहर निकल तो देखा 12 साल का एक लडका वहाँ खड़ा है। फादर पीयुस ने बालक से पूछा क्यो हो गया। तब उस बालक ने कहा कि उसकी छोटी बहन बीमार है। माँ ने उस अस्पताल में भर्ती कराया है और मुझे आपके पास भेज दिया ताकि मैं आपको बुलाऊँ और अस्पताल जाकर मेरी बहन के लिये प्रार्थना करें ताकि वह ठीक हो जाये। फादर ने याद किया कि रोजी नामक वह बच्ची सिर्फ़ एक साल की थी और चार भाईयों की एकलौती बहन थी। जब उसका जन्म हुआ था उसके लिये कितनी खुशियाँ मनायी गयी थी। फादर पीयुस जल्द तैयार हो गये और उस बालक के साथ अस्पताल पहुँचे। जब वे डॉक्टरों से मिले तो उन्होंने बतलाया कि उस बच्ची की हालत खराब होती जा रही है। अस्पताल में फादर ने उस बालक की माँ से मिले और रोजी के लिये प्रार्थनायें कीं।प्रार्थना करने के बाद वे वापस चले आये। जब फादर पीयुस खाना खा ही रहे थे कि किसी ने फादर का दरवाज़ा खटखटाया। फादर ने देखा रोज़ी का भाई खड़ा है। फादर को देखते ही उस बालक ने कहा कि फादर आपके अस्पताल छोड़ने के बाद ही छोटी बहन रोजी की मृत्यु हो गयी। फादर ने कहा कहा कि उन्हें बहुत दुःख है कि रोजी को प्रभु ने अपने यहाँ बुला लिया है। उस बालक न कहा फादर जी आपकी प्रार्थनाओं के लिये धन्यवाद। रोजी आपकी प्रार्थना के बाद ईश्वर के पास वापस चली गयी।

मित्रो, कई बार हम बीमारी या दुःख की घड़ी में कितने असहाय हो जाते हैं। कई बार जीवन की कड़वी सच्चाइयों के सामने हमें लगता है कि हम कितने छोटे हैं। कई बार हमें लगता है कि जीवन में हम कई प्रकार के बंधनों से बंधे हुए हैं और हमें शांति देनेवाला मुक्ति देने वाला या राहत पहुँचाने वाला कोई नहीं है। ऐसे समय में छोटी-सी मदद या प्रार्थना हमारे दिल के लिये बहुत बड़ी सांत्वना लाती है।

मित्रो, रविवारीय आराधना विधि चिन्तन कार्यक्रम के अंतर्गत पूजन-विधि पंचांग के वर्ष ‘स’ के तीसरे रविवार के पिये प्रस्तावित पाठों के आधार पर हम मनन-चिन्तन कर रहे हैं । आज प्रभु हमें बताना चाहते हैं कि वे लोगों के सब दुःख विपत्तियों को हरने और उन्हें सब बंधनों से मुक्त करने के लिये आ रहे हैं। प्रभु हमें बताना चाहते हैं कि उनकी इच्छा है कि लोगं मुक्ति प्राप्त करें और आध्यात्मिक शांति प्राप्त करें। प्रभु हमें यह भी बतलाना चाहते हैं कि कि न केवल ईश्वर पर हर भला आदमी का यही मिशन है कि वह अपने वचन और कर्म से दुःखियों के दर्द कम करे और इस दुनिया को एक बेहतर स्थान बनाने में मदद दे। आइये हम प्रभु के दिव्य वचनों को सुनें जिसे संत लूकस के सुसमाचार के पहले अध्याय के 1 से से और चौथे अध्या के 14 से 21 पदों से लिये गया है।

संत लूकस, 1, 1-4;4, 14-21
1) जो प्रारम्भ से प्रत्यक्षदर्शी और सुसमाचार के सेवक थे, उन से हमें जो परम्परा मिली, उसके आधार पर
2) बहुतों ने हमारे बीच हुई घटनाओं का वर्णन करने का प्रयास किया है।
3) मैंने भी प्रारम्भ से सब बातों का सावधानी से अनुसन्धान किया है; इसलिए श्रीमान् थेओफ़िलुस, मुझे आपके लिए उनका क्रमबद्ध विवरण लिखना उचित जान पड़ा,
4) जिससे आप यह जान लें कि जो शिक्षा आप को मिली है, वह सत्य है।
आत्मा के सामर्थ्य से सम्पन्न हो कर ईसा गलीलिया लौटे और उनकी ख्याति सारे प्रदेश में फैल गयी।
15) वह उनके सभागृहों में शिक्षा दिया करते और सब उनकी प्रशंसा करते थे।
16) ईसा नाज’रेत आये, जहाँ उनका पालन-पोषण हुआ था। विश्राम के दिन वह अपनी आदत के अनुसार सभागृह गये। वह पढ़ने के लिए उठ खड़े हुए
17) और उन्हें नबी इसायस की पुस्तक़ दी गयी। पुस्तक खोल कर ईसा ने वह स्थान निकाला, जहाँ लिखा हैः
18) प्रभु का आत्मा मुझ पर छाया रहता है, क्योंकि उसने मेरा अभिषेक किया है। उसने मुझे भेजा है, जिससे मैं दरिद्रों को सुसमाचार सुनाऊँ, बन्दियों को मुक्ति का और अन्धों को दृष्टिदान का सन्देश दूँ, दलितों को स्वतन्त्र करूँ
19) और प्रभु के अनुग्रह का वर्ष घोषित करूँ।
20) ईसा ने पुस्तक बन्द कर दी और वह उसे सेवक को दे कर बैठ गये। सभागृह के सब लोगों की आँखें उन पर टिकी हुई थीं।
21) तब वह उन से कहने लगे, ''धर्मग्रन्थ का यह कथन आज तुम लोगों के सामने पूरा हो गया है''।

येसु का घोषणापत्र
मित्रो मेरा पूरा विश्वास है कि आप सबों ने फ्रभु के दिव्य वचनों को ध्यान से सुना है और इसके द्वारा आपको और आपके परिवार के सब सदस्यों को आध्यात्मिक लाभ हुए हैं। आज के सुसमाचार को यदि आपने ध्यान से सुना है तो पाया होगा कि यह प्रभु के मिशन के आरंभ की घटना थी। इस प्रवचन में येसु ने अपने कार्यक्रम की घोषणा यह कह सकते हैं जिन बातों को येसु ने हमें बतलाया उसके मिशनकार्य की घोषणापत्र थी।

मित्रो आपको याद होगा कि जब हमारे नेता हमारे क्षेत्र में कोई भाषण देते हैं विशेषकरके चुनाव के पूर्व तो उनके पास भी एक घोषणा पत्र होता है जिसके द्वारा वे बतलाना चाहते हैं कि वे आनेवाले दिनों में समाज के लिये क्या करना चाहते हैँ। घोषणा पत्र एक मार्गदर्शिका होता है जिसके द्वारा हम जानते हैं कि हमें नेता किस ओर ले जाना चाहते हैं और समाज की प्रगति के लिये उनके पास क्या योजना और रणनीति है। मित्रो, कई बार हमें अपने नेताओं से निराशा भी हुई होगी क्योंकि उनकी कथनी और करनी में अंतर होता है। वे कहते कुछ और करते कुछ और। आज प्रभु ने जो कुछ कहा उसमें हम पाते हैं कि उन्होंने जैसी घोषणा की उसे पूरा भी किया।

प्रभु का आत्मा
मित्रो, आइये हम प्रभु के एक-एक वचन पर ग़ौर करें। सबसे पहले प्रभु ने कहा प्रभु का आत्मा मुझपर छाया रहता है। इसका अर्थ यही हुआ कि वे जो कुछ भी करते हैं वे ईश्वर के नाम पर उसकी महिमा के लिये ही करते हैं। वे यूँ ही कुछ नहीं कर डालते पर पवित्र आत्मा की प्रेरणा से करते हैं। मित्रो आपको याद होगा जब प्रभु येसु ने बपतिस्मा ग्रहण किया था उसी समय पवित्र आत्मा उनपर कपोत के रूप में उतरा था और तब से येसु पवित्र आत्मा से प्रेरित थे। इसी पवित्र आत्मा की प्रेरणा के कारण येसु ने सदा लोगों की भलाई की और विपरीत पलों में भी कभी न खुद विचलित हुए न दूसरों को विचलित होने दिया।



सम्पन्न बनाना
दूसरी बात मित्रो जिसने मुझे प्रभावित किया वह है वह येसु की घोषणायें। येसु की सबसे पहली इच्छा है कि वे गरीबों को सुसमाचार सुनायें। येसु चाहते हैं कि गरीब, कमजोर और ज़रूरतमंद को साथ लेकर चलें। वे चाहते हैं कि उन्हें नया जीवन दें। वे चाहते हैं कि दरिद्रों को मुख्य धारा से जोडें। प्रभु चाहते हैं कि व्यक्ति हर तरह से सम्पन्न बने, शारीरिक, आर्थिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से तब ही हमारा समाज सुन्दर बनेगा। प्रभु चाहते हैं कि वह व्यक्ति के जीवन को पूर्ण करे।

सच्ची स्वतंत्रता
तीसरी बात मित्रो जिसने मुझे प्रभावित किया है वह है लोग स्वतंत्र हों। येसु ने इस बात को करीब से देखा था कि सम्पन्न हो जाने से लोग खुश नहीं हो सकते हैं। कई बुरी लतों के शिकार है और अपनी शांति गवाँ दी है।

आँखें खोलें
और एक बात जिस पर प्रभु बल देना चाहिते हैं वह है कि लोग अपने मन की आँखें खोलें ताकि वे भली और अच्छी बातों को देख सकें और उसी के समान अपना जीवन बिता सकें। मित्रो प्रभु आज प्रभु हमें बुला रहे हैं ताक हम गरीबों के लिये कार्य करें, स्वतंत्रता के लिये कार्य करें, अन्तरदृष्टि पाने में लगे रहें और हम परिस्थिति में प्रभु की योजना पहचानें और उसके घोषणा पत्र को पूर्ण करने में अपना योगदान दें। फादर पीयुस ने छोटे रूप में ही सही रोजी को अस्पताल देखने गये और उसके लिये प्रार्थना की । रोजी बची नहीं पर फादर पीयुस का संदेश रोजी के भाई के लिये बड़ी सांत्वना थी जिसने दुःख की घड़ी में भी ईश्वर की योजना को पहचाना और ईश्वर को धन्यवाद दिया।अगर दुनिया का हर प्राणी पर हित में अपना जीवन बितायें तो अवश्य ही यह दुनिया एक बेहतर जगह बन जायेगी मानो स्वर्ग ही धरा पर उतर आया हो।








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