2013-01-31 14:10:16

ईशनिन्दा के झूठे आरोप का अन्त 18 महीने बाद


इस्लमाबाद, पाकिस्तान, 31जनवरी, 2031 (एशियान्यूज़) ईशनिन्दा कानून के तहत् गिरफ्तार रिम्शा मसीह के रिहा होने के बाद पाकिस्तान के ख्रीस्तीय समुदाय को प्रसन्न होने का एक दूसरा अवसर मिला है जब ईशनिन्दा के झूठे आरोप में बंदी बरकत मसीह को 18 महीने तक जेल में रहने के बाद मुक्त कर दिया गया है।

एशियान्यूज़ ने जानकारी दी कि 56 वर्षीय बरकत मसीह का जन्म एक पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के बहावलपुर में एक हिन्दु परिवार में हुआ था पर बाद में उन्होंने ख्रीस्तीय धर्म स्वीकार कर लिया।

एक षडयंत्र के तहत् बरकत को 1 अक्तूबर, 2011 को ईशनिन्दा के झूठे आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया था और उसे तुरन्त मृत्यु दंड की सजा सुना दी गयी थी।

बरकत मसीह पर आरोप था कि उन्होंने पैगम्बर मुहम्मद का अपमान किया है और पाकिस्तानी कानून की धारा 295 सी के अनुसार इसकी सजा है - मृत्यु दंड। 28 जनवरी को बहावलपुर के स्थानीय जज जावेद अहमद ने यह कहते हुए बरकत को रिहा करने का आदेश दिया कि ऐसे किसी अपराध के कोई सबूत नहीं हैं।

पाकिस्तान में मानवाधिकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अदालत के इस निर्णय को पाकिस्तान की ओर से एक सकारात्मक संकेत कहा है।

स्वयंसेवी संस्थान ‘वर्ल्ड विज़न इन प्रोग्रेस’ ने अदालत के फ़ैसले पर अपनी प्रसन्नता ज़ाहिर की है। उधर ‘मसीही फाउन्डेशन’ के अध्यक्ष हारु बरकत मसीह ने कहा कि ईशनिन्दा कानून ने उपेक्षितों और अल्पसंख्यक समुदाय का जमकर शोषण किया है।

लाहौर के फादर नवाज़ जोर्ज ने आशा व्यक्त की है कि अब ईशनिन्दा कानून के तहत् जेलों में बंद निर्दोष ईसाइयों को जल्द ही न्याय मिल पायेगा।








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