2013-01-30 11:54:33

प्रेरक मोतीः सन्त सारबेलियुस एवं सन्त बारबेया (निधन 101 ई.)


वाटिकन सिटी, 29 जनवरी सन् 2013

सारबेलियुस एवं बारबेया, दोनों भाई बहन थे जो दूसरी शताब्दी में अपने ख्रीस्तीय विश्वास के कारण शहीद हो गये थे। सम्राट त्रायान के दमनकाल में एडेस्सा में दोनों को मार डाला गया था। सारबेलियुस मेसोपोटामिया के एडेस्सा में प्रधान याजक थे। जब सम्राट के सैनिकों को पता चला कि सारबेलियुस तथा उनकी बहन बारबेया ने ख्रीस्तीय धर्म का आलिंगन कर लिया था तो उन्होंने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। कारावास में उनसे ख्रीस्तीय धर्म के परित्याग का आग्रह किया गया। उनके न मानने पर उन्हें कड़ी यातनाएँ दी गई तथा मौत के घाट उतारने से पहले दोनों को गर्म लोहे से यन्त्रणाएं दी गई। मृत्यु तक ख्रीस्त में अपने विश्वास का साक्ष्य देनेवाले शहीद सन्त सारबेलियुस एवं सन्त बारबेया का पर्व 29 जनवरी को मनाया जाता है।


चिन्तनः "प्रभु मेरा चरवाहा है, मुझे किसी बात की कमी नहीं। वह मुझे हरे मैदानों में बैठाता और शान्त जल के पास ले जा कर मुझमें नवजीवन का संचार करता है। अपने नाम के अनुरूप वह मुझे धर्ममार्ग पर ले चलता है। चाहे अँधेरी घाटी हो कर जाना पड़े, मुझे किसी अनिष्ट की शंका नहीं, क्योंकि तू मेरे साथ रहता है। मुझे तेरी लाठी, तेरे डण्डे का भरोसा है। तू मेरे शत्रुओं के देखते-देखते मेरे लिये खाने की मेज सजाता है। तू मेरे सिर पर तेल का विलेपन करता और मेरा प्याला लबालब भर देता है। इस प्रकार तेरी भलाई और तेरी कृपा से मैं जीवन भर घिरा रहता हूँ। मैं चिरकाल तक प्रभु के मन्दिर में निवास करूँगा" ( स्तोत्र ग्रन्थ भजन 23)।








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