2013-01-21 14:06:52

स्वयंसेवी संस्थाओं को अमेरिका से सबसे अधिक सहायता राशि प्राप्त


नयी दिल्ली, 21 जनवरी, 2013(कैथन्यूज़)भारत की दो प्रमुख स्वयंसेवी संस्थाओं को वर्ष 2010-11 में सबसे अधिक विदेशी सहायता प्राप्त हुई और अमेरिका ने मदद करने वाले राष्ट्रों में अपना नाम प्रथम स्थान पर बरकरार रखा जबकि ब्रिटेन ने अपना नाम दूसरे स्थान पर दर्ज कराया और जर्मनी को तीसरे स्थान मे ढकेल दिया।
‘फोरेन कन्ट्रीब्यूशन रेगुलेशन ऐक्ट’ (एफसीआरए) की रिपोर्ट के अनुसार उन संस्थानों ने जिन्हें विदेशी मदद प्राप्त हई तमिलनाडू का ‘द वर्ल्ड विज़न’ संस्थान को वर्ष 2010-11 में सबसे ज़्यादा 2,337 मिलियन प्राप्त हुए।
उधर केरल के पठानमथिटा शहर में स्थित ‘द बिलीवर चर्च इंडिया’ को 1,607 मिलियन रुपये प्राप्त हुए।
अन्य संस्थायें जिन्हें विदेशी सहायता प्राप्त हुए उनमें आंध्र प्रदेश का ‘रूरल डेवलॉपमेन्ट ट्रस्ट’ को 1353 मिलियन, तमिलनाडू के ‘करुणा बाल विकास’ को 964 मिलियन और आंध्र प्रदेश की ही ‘वीमेन डेवलॉपमेंट ट्रस्ट’ को 724 मिलियन प्राप्त हुए।
रिपोर्ट के अनुसार क्षेत्र अध्ययन करने से दिल्ली को सबसे अधिक विदेशी सहायता प्राप्त हुई। दिल्ली को कुल विदेशी सहायता राशि 103,340 मिलियन का पाँचवा हिस्सा मिला।
ग़ौरतलब है कि जिला स्तरीय अध्ययन से बंगलौर के जिलों को सबसे ज़्यादा 7,740 मिलियन रुपये विदेशी राशि प्राप्त हुई, चेन्नई को 7,726 मिलियन, मुम्बई को 6,437, कोलकाता को 3,872 मिलिय और केरल को 3692 मिलियन प्राप्त हुए।
रिपोर्ट ने इस बात को भी प्रकाशित किया है कि विदेश से सहायता प्राप्त राशि का सबसे अधिक 13,371.5 मिलियन रुपये सभाओं के आयोजन में खर्च किये गये। अन्य खर्च ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में (8,631.2 मिलियन) बाल कल्याण (7452.4 मिलियन) संस्थाओं के भवन निर्माण (6814.0 मिलियन) छात्रवृति (4581.3 मिलियन) और रिसर्च में (3.644.3 मिलियन) आदि में किये गये।
सहायता उपलब्ध करानी वाली संस्थाओं में अमेरिकी एजेन्सी ‘कोम्पैशन इंटरनैशनल’ ‘पोपुलेशन सर्विस इंटरनैशनल’ और ‘बिल एंड मेलिन्दा गेट्स फाउन्डेशन’, ब्रिटेन की ऐक्शन एइड और मौरिशस की ‘एचसीएल होल्डिंग्स’ एजेन्सी प्रमुख हैं।










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