नोला के सन्त फेलिक्स, लगभग सन् 250 में, इटली
स्थित नेपल्स शहर के निकटवर्ती नोला के धर्माध्यक्ष थे। फेलिक्स सिरियाई मूल के रोमी
सैनिक हेरमियास के पुत्र थे। नोला में उनका जन्म हुआ था। पिता की मृत्यु के बाद फेलिक्स
अपार धन सम्पत्ति के उत्तराधिकारी बने किन्तु उन्होंने अपनी सारी सम्पत्ति निर्धनों में
वितरित कर दी तथा ईश्वर एवं पड़ोसी के प्रति समर्पित रहकर जीवन यापन करने का प्रण कर
लिया। नोला के धर्माध्यक्ष माक्सीमुस ने फेलिक्स को पुरोहित अभिषिक्त किया था। कुछ समय
तक फेलिक्स धर्माध्यक्ष माक्सीमुस के सचिव पद पर काम करते रहे थे किन्तु जब रोमी सम्राट
देचियुस ने ख्रीस्तीयों का उत्पीड़न करना आरम्भ किया तब धर्माध्यक्ष माक्सीमुस नोला से
पलायन कर उजाड़ प्रदेश में निकल गये। फेलिक्स को रोमी सैनिकों ने गिरफ्तार कर काल कोठरी
में डाल दिया। उनसे ख्रीस्तीय धर्म का परित्याग करने को कहा गया किन्तु फेलिक्स प्रभु
ख्रीस्त में अपने विश्वास पर अटल रहे। उन्हें नाना प्रकार उत्पीड़ित किया गया तथा दिन
रात बेड़ियों में जकड़ कर रखा जाने लगा।
बताया जाता है कि एक स्वर्गदूत ने फेलिक्स
को जेल से छुड़ाकर रोगावस्था में तड़प रहे धर्माध्यक्ष माक्सीमुस के पास जाने का निर्देश
दिया था। स्वर्गदूत के दर्शन पाते ही फेलिक्स की बेड़िया अचानक खुल गई तथा वे जेल से
भाग गये। उन्होंने धर्माध्यक्ष माक्सीमुस को ढूँढ़ निकाला तथा उन्हें नोला वापस ले आये।
दो लम्बे वर्षों तक ख्रीस्तीयों के विरुद्ध सम्राट देचियुस का दमन चक्र चला जिसके बाद
देचियुस की मृत्यु हो गई। देचियुस की मृत्यु के बाद ख्रीस्तीयों को कुछ राहत मिली तथा
नोला एवं आस पास के क्षेत्रों में पुनः शांति लौटने लगी। इसी बीच, धर्माध्यक्ष माक्सीमुस
भी चल बसे और लोगों ने फेलिक्स को धर्माध्यक्ष नियुक्त करना चाहा। फेलिक्स ने इस पद से
इनकार कर दिया तथा ईश्वर एवं लोगों के विनीत सेवक रूप में काम करने का चयन किया। शेष
जीवन उन्होंने निर्धनों की सेवा में व्यतीत कर दिया। लगभग सन् 253 ई. में, 14 जनवरी को,
रोमी सैनिकों ने पुनः फेलिक्स को गिरफ्तार कर लिया तथा मार डाला। ख्रीस्तीय विश्वास के
ख़ातिर अपने प्राणों की आहुति देनेवाले शहीद सन्त फेलिक्स का पर्व 14 जनवरी को मनाया
जाता है।
चिन्तनः "अपार सम्पत्ति की अपेक्षा सुयश श्रेष्ठ
है। चाँदी और सोने की अपेक्षा सम्मान अच्छा है।" (सूक्ति ग्रन्थ 22:1)।