2013-01-09 19:58:45

संत पापा की धर्मशिक्षा, 9 जनवरी, 2013


वाटिकन सिटी, 9 जनवरी, 2013 (सेदोक, वी.आर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने वाटिकन स्थित पौल षष्टम् सभागार में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।

उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, क्रिसमस काल में हम ‘येसु के शरीरधारण’ के रहस्य का उत्सव मनाते हैं।

यह एक ऐसा रहस्य है जिसमें ईशपुत्र येसु हमारी मुक्ति के लिये शरीरधारण करते हैं (यो.1:14) ताकि हम उनमें स्वर्गीय पिता के दत्तक पुत्र-पुत्रियाँ बन जायें।

बेतलेहेम में जन्मे ईशपुत्र हमारे लिये ईश्वर की ओर से दिया गया सर्वोत्तम उपहार है। इस उपहार में ईश्वर खुद ही विद्यमान हैं।

हमारी मुक्ति के लिये ईश्वर खुद ही हममें से एक बने और हमारी मानवता में पूर्ण रूप से सहभागी हुए और हमारे साथ अपने दिव्य जीवन को बाँटा है।

यह रहस्य मानव के प्रति ईश्वर के असीम प्रेम को प्रकट करता है। इसके साथ यह हमें आमंत्रित करता है कि हम पूरे विश्वास के साथ उन्हें स्वीकार करें उसकी आवाज़ सुनें और उसी के अनुसार अपना जीवन जीयें।

जब हम येसु के शरीरधारण के रहस्य पर चिन्तन करते हैं तो हम येसु को एक नये आदम के रूप में देखते हैं अर्थात् एक पूर्ण मानव के रूप में जो नयी सृष्टि का आरंभ करते, मानव को ईश्वर के प्रतिरूप बनाते और मानव की उत्कृष्ट मर्यादा और बुलाहट को प्रकट करते है।(गौदियुम एत स्पेस, 22)

जब हम ख्रीस्तमस काल के अंतिम दिनों में ईशपुत्र के शरीरधारण पर चिन्तन कर रहें हैं तो हम ईशप्रकाश की महिमा में उल्लसित हों और ईशपुत्र के साथ एक हो जायें।

इतना कह कर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।

उन्होंने अमेरिका के कोन्फेरेन्स ऑफ रोमन काथलिक कथीड्रल के संगीतज्ञों और लॉस एन्जेलेस महाधर्मप्रांत के संत जोसेफ युनिवर्सिटी के गायक दल का अभिवादन किया।

तब उन्होंने नाईजीरिया, ताईवान, ब्राजील, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को प्रेम और शांति की कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।












All the contents on this site are copyrighted ©.