वाटिकन सिटी, 5 जनवरी, 2013 (वीआर, अंग्रेज़ी) वाटिकन के कोन्ग्रेगेशन फॉर कलर्जी के
प्रीफेक्ट कार्डिनल मौरो पियाचेन्सा ने पुरोहितों और सेमिनेरियनों (धर्मबंधुओं) की माताओं
के प्रति पूरी काथलिक कलीसिया की ओर से आभार व्यक्त किया है।
कुँवारी मरिया ईश्वर
की माता के पर्वोत्सव पर 1 जनवरी, 2013 को के लिखे एक पत्र में उन्होंने कहा कि परिवार
में एक पुत्र के पुरोहित होने का अर्थ है एक नये तरीके का मातृत्व अर्थात् ऐसी माता होना
जो अपने पुत्र का प्रभावपूर्ण प्रार्थनामय साथ दे।
कार्डिनल ने कहा कि वे उन सब
माताओं के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं जिन्होंने अपने पुत्रों के विश्वास को
सुदृढ़ किया और उनका साथ दिया ताकि वे अपनी बुलाहट में मजबूत रहें।
मालूम हो
कि कार्डिनल मौरा पियाचेन्सा के पत्र को वाटिकन के ‘कोन्ग्रेगेशन ऑफ कलर्जी’ के वेबसाइट
में इताली भाषा में प्रकाशित किया गया है।
कार्डिनल ने कहा कि जब परिवार में
एक पुरोहित अभिषिक्त होता है तो इससे पूरे परिवार को वरदान प्राप्त होता है। इससे पूरे
परिवार को आध्यात्मिक सात्वना प्राप्त होती है।
उन्होंने कहा कि पुरोहित या सेमिनेरियन
बन जाने के बाद शारीरिक अलगाव तो होता है पर इससे माता और पुरोहित पुत्र के बीच जो आध्यात्मिक
निकटता बढ़ती है वह अद्वितीय है। कार्डिनल ने कहा कि रह्स्यात्मक तरीके से प्रत्येक
माँ अपने पुरोहित पुत्र की पुत्री है और कलीसिया उससे आशा करती है कि वह अपने पुत्र के
लिये लगातार प्रार्थना करे।
कार्डिनल का मानना है कि पुरोहितों और सेमिनेरियनों
की मातायें एक ऐसी सेना के सदस्य हैं जो ईश्वर को अपनी प्रार्थनायें और बलिदान चढ़ातीं
हैं ताकि ईश्वर पुरोहितों और लोगों पर अपनी कृपायें बरसाये।