वाटिकन सिटीः नववर्ष के उपलक्ष्य में मध्यान्ह देवदूत प्रार्थना से पूर्व दिया गया सन्त
पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश
रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में नववर्ष मनाने हेतु एकत्र हुए भक्त
समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना के पाठ से पूर्व सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहाः
"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आप सबको नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ! सन् 2013
के इस पहले दिन पर मैं विश्व के प्रत्येक स्त्री और प्रत्येक पुरुष तक ईश्वर के आशीर्वाद
को पहुँचाना चाहता हूँ। यह मैं पवित्र धर्मग्रन्थ के प्राचीन व्यवस्थान के गणना ग्रन्थ
में निहित शब्दों से करना चाहता हूँ, "'प्रभु तुम लोगों को आशीर्वाद प्रदान करे और सुरक्षित
रखे। प्रभु तुम लोगों पर प्रसन्न हो और तुम पर दया करे। प्रभु तुम लोगों पर दयादृष्टि
करे और तुम्हें शान्ति प्रदान करे" (गणना ग्रन्थ 6: 24-26)। आगे सन्त पापा ने कहाः
"जैसे कि प्रकाश और सूर्य धरती पर एक आशीर्वाद के सदृश हैं, उसी प्रकार ईश्वर जब अपना
मुखमण्डल मानवजाति पर प्रकट करते हैं तब ईश्वर की ज्योति मानवजाति के लिये आशीर्वाद बन
जाती है। और यह कार्य प्रभु येसु ख्रीस्त के जन्म में सम्पादित हुआ है। ईश्वर ने हम पर
अपने मुखमण्डल का प्रकाश प्रज्वलित होने दिया हैः आरम्भ में एक बड़े ही विनम्र ढंग से,
गुपचुप – बेथलेहेम में केवल मरियम, योसफ तथा कुछ चरवाहे ही इस प्रकाशना के साक्षी बने
-; परन्तु शनैः शनैः, जैसे कि सूर्य उषाकाल से मध्यान्ह 12 बजे तक चढ़ता चला जाता है,
ख्रीस्त की ज्योति विकसित होती गई और सर्वत्र फैल गई।" उन्होंने कहा, "सचमुच, इस
धरती पर अपने लघु जीवन काल में, नाज़रेथ के येसु ने ईश्वर के मुखमण्डल को पवित्र भूमि
में प्रतिबिम्बित कर दिया; और फिर, पवित्रआत्मा से प्रेरित होकर कलीसिया ने सब जातियों
और सब राष्ट्रों तक उनके शांति के सुसमाचार को विस्तृत एवं प्रसारित किया। "स्वर्ग में
ईश्वर की महिमा और पृथ्वी पर उसके कृपा पात्रों को शांति" (सन्त लूकस 2,14)। यह है ख्रीस्तजन्म
पर गाया गया स्वर्गदूतों का गीत, और यही है आकाश तले निवास करनेवाले सभी ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों
का गीत; ऐसा गीत जो हृदयों एवं अधरों से निकल कर ठोस कार्यों में परिणत होता है, प्रेम
के कार्यों में जो वार्ताओं, समझदारी एवं पुनर्मिलन का निर्माण करते हैं।" सन्त पापा
ने कहा, "इसीलिये, ख्रीस्तजयन्ती के आठ दिन बाद, जब कलीसिया, कुँवारी मरियम की तरह, शांति
के राजकुमार, नवजात येसु को विश्व के समक्ष प्रकट करती है, तब हम विश्व शांति दिवस मनाते
हैं। जी हाँ, वह बालक, जो देहधारी शब्द ईश्वर है, मनुष्यों को शांति प्रदान करने आयें
हैं, ऐसी शांति जो विश्व मनुष्य को नहीं दे सकता (दे. सन्त योहन 14,27)। उनका मिशन "शत्रुता
की दीवार" को ध्वस्त करना है" (दे. एफेसिये 2,14)। और जब गलीलिया की झील के किनारे वे
अपने "आशीर्वचनों" का उच्चार करते हैं, उनमें भी वे शामिल हैं जो शांति और मेलमिलाप कराते
हैं, "धन्य हैं शान्ति के निर्माता क्योंकि वे ईश्वर के पुत्र कहलायेंगे" (सन्त मत्ती
5,9)। सन्त पापा ने प्रश्न कियाः "कौन हैं ये शान्ति के निर्माता? शान्ति के निर्माता
वे सब लोग हैं जो दिन ब दिन, भलाई के द्वारा बुराई पर विजय पाने की चेष्टा करते हैं,
सच्चाई की शक्ति से, प्रार्थना और क्षमा के अस्त्रों से, ईमानदारी और सुचारु रूप से सम्पादित
श्रम से, जीवन की सेवा में वैज्ञानिक अनुसन्धानों द्वारा, दया के शारीरिक एवं आध्यात्मिक
कार्यों द्वारा। शांति के कार्यकर्त्ता असंख्य हैं किन्तु वे शोर नहीं मचाते। आटे में
ख़मीर के सदृश वे ईश्वर की योजनानुसार मानवजाति के विकास का प्रयास किया करते हैं। अन्त
में सन्त पापा ने कहा, "नये साल की इस प्रथम देवदूत प्रार्थना के अवसर पर, पवित्रतम ईशमाता
मरियम से याचना करें कि वे उसी प्रकार हमें आशीष दें जैसे एक माता यात्रा पर जानेवाले
अपने पुत्र को आशीष देती है। एक नया वर्ष एक यात्रा के समान हैः प्रकाश और ईश कृपा द्वारा,
वह प्रत्येक पुरुष और प्रत्येक परिवार के लिये, प्रत्येक राष्ट्र एवं सम्पूर्ण विश्व
के लिये शांति की यात्रा बन सकती है।" इतना कहकर सन्त पापा ने उपस्थित भक्त समुदाय
के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सबके प्रति नववर्ष सन् 2013 की मंगलकामनाएं
अर्पित करते हुए सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।