2012-12-31 12:18:03

वाटिकन सिटीः देवदूत प्रार्थना के अवसर पर सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने की परिवारों के लिये प्रार्थना


वाटिकन सिटी, 18 जून सन् 2012 (सेदोक): श्रोताओ, रविवार, 30 दिसम्बर को, पवित्र घराने के पर्व के दिन, सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्र तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना के पाठ से पूर्व, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने, भक्तों को इस प्रकार सम्बोधित कियाः

"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,

आज, नाज़रेथ के पवित्र घराने का महापर्व है। इस दिन के लिये निर्धारित धर्मविधि सन्त लूकस रचित सुसमाचार के पाठ को प्रस्तुत करती है जिसमें कुँवारी मरियम और सन्त योसफ अपनी परम्परा के प्रति निष्ठावान रहते हुए 12 वर्षीय येसु के साथ पास्का के लिये जैरूसालेम जाते हैं। पहली बार येसु अपने जन्म से चालीस दिन बाद मन्दिर में गये थे, उस अवसर पर उनके माता-पिता ने उनकी ओर से, "पण्डुकों का एक जोड़ा या कपोत के दो बच्चे बलिदान में चढ़ाये थे" (लूकस 2:24) जो निर्धनों का चढ़ावा हुआ करता था। "सन्त लूकस, जिनका सम्पूर्ण सुसमाचार निर्धनों एवं निर्धनता के ईशशास्त्रीय अर्थों से भरा पड़ा है, स्पष्ट करते हैं..... कि येसु के परिवार की गिनती इसराएल के निर्धन परिवारों में हुआ करती थी; वे यह समझने में हमारी मदद करते हैं कि वहीं, निर्धनों के बीच, ईश्वर की प्रतिज्ञा परिपक्व हुई" (येसु के बाल्यकाल की कहानियाँ, 96)।"

सन्त पापा ने आगे कहाः "येसु आज फिर एक बार मन्दिर में हैं, किन्तु इस बार उनकी भूमिका अलग है, ऐसी भूमिका जो व्यक्तिगत रूप से उन्हें इस घटना से संलग्न करती है। संहिता के अनुसार इस बार वे मरियम एवं योसफ के साथ, जैरूसालेम की तीर्थयात्रा पर जाते हैं (दे. निर्गमन ग्रन्थ 23.17, 34.23) यद्यपि, तब तक वे 13 वर्ष के नहीं थेः यह पवित्र परिवार की गहन धार्मिकता का प्रतीक है। परन्तु. जब उनके माता पिता नाज़रेथ लौटते हैं तब कोई अनापेक्षित घटना होती हैः वे, बिना कुछ कहे, शहर में रह जाते हैं। तीन दिनों तक मरियम एवं योसफ उन्हें खोजते रहते हैं और बाद में उन्हें मन्दिर में, विधि आचार्यों के साथ बातचीत करता हुआ पाते हैं (लूकस 2: 46,47) और जब वे उनसे स्पष्टीकरण मांगते हैं तब येसु कहते हैं कि उन्हें आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिये, क्योंकि वही उनकी जगह है, वही है उनका घर, उस पिता के साथ जो ईश्वर है (येसु के बाल्यकाल की कहानियाँ, 143) ऑरिगन लिखते हैं "वे अपने पिता के मन्दिर में होने का दावा करते हैं, वे पिता जिन्होंने ख़ुद को हम पर प्रकट किया है, और जिनके बारे में वे कहते हैं कि वे उनके पुत्र हैं" (सन्त लूकस 18,5 पर प्रवचन से)।

उन्होंने आगे कहाः "येसु के प्रति मरियम एवं योसफ की चिन्ता वैसी ही है जैसी चिन्ता उन प्रत्येक माता पिता को होती है जो अपने बच्चों को शिक्षित करते, जीवन में प्रस्तावित करते तथा वास्तविकता समझने में अपनी सन्तानों की मदद करते हैं। इसीलिये आज, हम सबको विश्व के समस्त परिवारों के लिये प्रभु से विशेष प्रार्थना करनी चाहिये। मेरी मंगलकामना है कि नाज़रेथ के पवित्र परिवार का अनुसरण करते हुए तथा यह भुलाये बग़ैर कि विश्वास एक अनमोल वरदान है जिसे अपने अच्छे आचरण द्वारा बच्चों में पोषित किया जाना चाहिये, सभी माता पिता अपने बच्चों के विकास तथा उनकी शिक्षा के प्रति वास्तव में उत्कंठित रहें ताकि बच्चे ज़िम्मेदार एवं ईमानदार नागरिक बन सकें। साथ ही, हम प्रार्थना करते हैं कि ईश वरदान रूप में प्रत्येक शिशु का स्वागत किया जाये तथा विकास के लिये वह अपने माता पिता का समर्थन प्राप्त कर सके, प्रभु येसु के समान ही उसकी भी "बुद्धि और शरीर का विकास होता जाये। वह ईश्वर तथा मनुष्यों के अनुग्रह में बढ़ता जाये" (सन्त लूकस 2:52)। मरियम एवं योसफ का प्रेम, उनकी निष्ठा तथा उनका समर्पण समस्त ख्रीस्तीय दम्पत्तियों के लिये आदर्श है, जो न तो मित्र हैं और न ही अपने बच्चों के जीवन के मालिक, बल्कि ईश्वर के इस अतुल्य वरदान के रखवाले हैं।"

अन्त में सन्त पापा ने कहाः "धर्मी और न्यायी पुरुष, योसफ का मौन (दे. सन्त मत्ती, 1,19), तथा मरियम का उदाहरण, जो हर बात को अपने हृदय में संजोकर रखती थीं (दे. सन्त लूकस, 2,51), हमें पवित्र परिवार के विश्वास एवं मानवीयता से परिपूर्ण रहस्य में प्रवेश करने दें। समस्त ख्रीस्तीय परिवारों के लिये मेरी मंगलकामना है कि वे उसी प्रेम एवं हर्ष के साथ ईश उपस्थिति में जीवन यापन करें जिसे मरियम, योसफ एवं येसु के परिवार ने अंगीकार किया था।"

इतना कहकर सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने सभी भक्तों पर शान्ति का आह्वान किया तथा सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

तदोपरान्त, सन्त पापा ने विभिन्न भाषाओं में तीर्थयात्रियों को सम्बोधित कर शुभकामनाएँ अर्पित कीं। अँग्रेज़ी भाषा-भाषियों को सम्बोधित कर सन्त पापा ने कहा, "देवदूत प्रार्थना के लिये आज यहाँ उपस्थित सभी अँग्रेज़ी भाषा भाषियों का मैं सस्नेह अभिवादन करता हूँ। आज सम्पूर्ण विश्व की कलीसियापवित्र परिवार का महापर्व मनाती है, येसु, मरिया और योसफ सभी ख्रीस्तीय परिवारों में प्रेम, एकता एवं मैत्री को प्रोत्साहित करें ताकि वे उन समुदायों के लिये सुदृढ़ उदाहरण बन सकें जिनमें वे जीवन यापन करते हैं। प्रभु ईश्वर आपको और आपके सभी प्रिय जनों को आशीष दें।"

अन्त में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने सभी उपस्थित तीर्थयात्रियों के प्रति शुभ रविवार और शुभ सप्ताह की मंगलकामनाएँ अर्पित कीं।








All the contents on this site are copyrighted ©.