2012-12-24 16:13:58

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा द्वारा दिया गया संदेश


वाटिकन सिटी 24 दिसम्बर 2012 (सेदोक जेनिथ) संत पापा बेडिक्ट 16 वें ने रविवार 23 दिसम्बर को संत पेत्रुस बासिलिका के प्रांगण में उपस्थित देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व इताली भाषा में सम्बोधित करते हुए कहा-
अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
आगमन काल के इस चौथे रविवार में जो प्रभु के जन्म के पहले आया है, सुसमाचार पाठ मरियम-एलिजाबेथ मिलन के दृश्य का वृत्तांत प्रस्तुत करता है। यह मात्र सदभावनापूर्ण संकेत नहीं है लेकिन महान सरलता में पुराने तथा नये व्यवस्थान के मिलन को दर्शाता है। ये दो महिलाएँ, दोनों गर्भवती हैं, वस्तुतः एक आकांक्षा को तथा दूसरे जिनकी प्रतीक्षा है उन्हें मूर्त रूप देती हैं। वृद्ध एलिजाबेथ इस्राएल का प्रतीक हैं जो मसीह की प्रतीक्षा करती है जबकि युवा मरियम सम्पूर्ण मानवजाति के लाभ के लिए इस प्रतीक्षा की परिपूर्णता को धारण करती हैं। इन दो महिलाओं में हम सबसे पहले उनके गर्भ के फलों को पहचानते और मिलते हैं- योहन और येसु। ईसाई कवि प्रुडेनसियुस टिप्पणी करते हैं- बूढ़ी महिला के गर्भ में स्थित शिशु अपनी माता के मुँह द्वारा प्रभु, कुँवारी के पुत्र का अभिवादन करता है। एलिजाबेथ के गर्भ में योहन का खुशी के मारे उछल पड़ना इंतजार के अंत का चिह्न है, ईश्वर अपनी प्रजा को देखने के लिए आनेवाले हैं। स्वर्गदूत संदेश के समय महादूत गाब्रिएल ने ईश्वर की शक्ति के प्रमाण के रूप में मरियम से एलिजाबेथ की गर्भावस्था के बारे में कहा था। बूढी होने के बावजूद बाँझपन जनन क्षमता में बदल जाती है।
एलिजाबेथ मरिया का स्वागत करते हुए पहचान जाती है कि मानवजाति के लिए ईश्वर की प्रतिज्ञा साकार रूप ले रही है और वह ऊँचे स्वर से बोल उठी- आप नारियों में धन्य हैं और धन्य है आपके गर्भ का फल, मुझे यह सौभाग्य कैसे प्राप्त हुआ कि मेरे प्रभु की माता मेरे पास आयीं ? यह अभिव्यक्ति स्त्रियों में धन्य है इसका प्रयोग पुराने व्यवस्थान की याएल तथा यूदीत के लिए हुआ है। दो योद्धा महिलाएँ जिन्होंने इस्राएल जाति को बचाने का प्रयास किया। अब यह मरियम के लिए कहा गया है एक शांत युवा महिला जो दुनिया के मुक्तिदाता को जन्म देनेवाली है। आनन्द के मारे गर्भ में योहन का उछल पड़ना राजा दाऊद के नृत्य का स्मरण कराता है जिसे उन्होंने येरूसालेम में प्रभु की मंजूषा के प्रवेश के समय साथ साथ चलते हुए किया था। ईश्वर की मंजूषा, जिसमें विधान की पाटियाँ, मन्ना तथा हारून की छडी थी, यह लोगों के मध्य ईश्वर की उपस्थिति का चिह्न था। मरियम, नये विधान की मंजूषा, जो अपने गर्भ में येसु, मानव बने ईशपुत्र को धारण की हैं, उनके सामने योहन जो शीघ्र ही जन्म लेनेवाले हैं खुशी से उछल पड़ते हैं। मरियम एलिजाबेथ के मिलन का दृश्य आतिथ्य सत्कार के सौंदर्य को भी व्यक्त करता है। जहाँ भी परस्पर स्वागत है, एक दूसरे को सुनते हैं, एक दूसरे के लिए स्थान बनाते हैं, ईश्वर उस खुशी के साथ वहाँ उपस्थित हैं जो उनसे आती है।
हम क्रिसमस जयंती काल में मरिया का अनुसरण करें। जो लोग कठिनाई में हैं, विशेष रूप से बीमार, बन्दी, बुजुर्ग तथा बच्चे उनके पास हम जायें। साथ ही हम एलिजाबेथ का भी अनुसरण करें जो अतिथि का स्वागत भगवान के रूप में करती है। जब तक हम इच्छा नहीं रखेंगे हम कदापि प्रभु को नहीं जान पायेंगे, जबतक हम उनकी आकांक्षा नहीं रखेंगे हम कदापि उनसे मिल नहीं पायेंगे, जबतक हम उन्हें नहीं ढूंढेंगे हम उन्हें नहीं पा सकेंगे। उसी खुशी के साथ जैसा कि मरिया एलिजाबेथ से मिलने के लिए शीघ्रता से चल पड़ती है हम भी बाहर निकलते हैं प्रभु से मिलने के लिए जो आते हैं। हम प्रार्थना करें कि सब लोग ईश्वर की खोज करें, यह ईश्वर ही हैं जो हमसे मिलने के लिए आते हैं। हम अपने दिल को मरिया, नये और अनन्त विधान की मंजूषा, को अर्पित करें ताकि वे इसे क्रिसमस के रहस्य में ईश्वर के दर्शन के स्वागत करने योग्य बना सकें।
इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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