2012-12-19 12:26:44

संत पापा की धर्मशिक्षा, 19 दिसंबर, 2012


वाटिकन सिटी, 19 दिसंबर, 2012 (सेदोक, वी.आर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने वाटिकन स्थित पौल षष्टम् सभागार में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।

उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, ‘विश्वास वर्ष’ के अवसर पर हम आज के आमदर्शन समारोह की धर्मशिक्षा में ‘विश्वास’ विषय पर चिन्तन करना जारी रखें।
पिछले सप्ताह हमने ‘ईश्वर की प्रकाशना और मुक्ति के बारे में विचार किया। आज हम कुँवारी माता मरिया, येसु की माता के विश्वास पर चिन्तन करें।

गाब्रिएल दूत ने माता मरिया को येसु की माता बनने का संदेश दिया और मरिया को आमंत्रित किया कि वह खुशी मनाये क्योंकि प्रभु उनके साथ हैं। यह एक ऐसी आशापूर्ण खुशी थी जिसे ईश्वर ने अपनी प्रजा को देने की प्रतिज्ञा की थी जो अब पूरा हो जायेगी।

यह उस कृपा का फल है जो माता मरिया के ह्रदय को खुशियों से भर देता है उसे ईश्वर के शब्दों पर विश्वास करने के लिये तैयार करता है।

कुँवारी मरिया का विश्वास अब्राहम के विश्वास के समान ही हैं जिसमें भविष्य की कुछ बातों के अँधेरे में होने के बावजूद अब्राहम ने ईश्वर की प्रतिज्ञा पर भरोसा रखा।

हमें ज्ञात है कि माता मरिया को ईश्वर इच्छा कई बार बिल्कुल अस्पष्ट और कई बार उनकी आशा के अनुरूप नहीं लगी। ईश्वर की इच्छा को स्वीकार करना अर्थात् क्रूस के रहस्य गले लगाना।

माता मरिया के संदर्भ में यह बात महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्होंने येसु के जन्म का संदेश पाने के बाद दूत के संदेश पर मनन-चिन्तन किया रही।

उनका उदाहरण हमें इस बात की याद दिलाता है कि विश्वास के साथ हम ईश्वर की इच्छा को माने और प्रत्येक दिन उसे गहराई से समझें और स्वीकार करें।

आगमन के इस पवित्र काल में माता मरिया की प्रार्थना हमें मदद करे कि हम नम्रतापूर्वक विश्वास में बढ़ें ताकि इससे ईश्वरीय कृपा का द्वार हमारे मन-दिल और पूरी दुनिया के लिये खुल जाये।


इतना कह कर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।

उन्होंने कगोशिमा धर्मप्रांत और ‘नाईजीरियन क्रिश्चियन पिल्ग्रीम कमीशन’ के सदस्यों का अभिवादन किया और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों पर ख्रीस्त जयन्ती की शुभकामनायें देते और शांति की कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।










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