2012-12-17 15:56:23

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें का संदेश


वाटिकन सिटी 17 दिसम्बर 2012 (सेदोक जेनिथ) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने 16 दिसम्बर को संत पेत्रुस बासिलिका के प्रांगण में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व इताली भाषा में सम्बोधित करते हुए कहा-
अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
आगमन काल के इस रविवार का सुसमाचार पाठ पुनः जोन बपतिस्ता की छवि को प्रस्तुत करते हुए यह दिखाता है कि वे उन लोगों को सम्बोधित कर रहे हैं जो यर्दन नदी में उनसे बपतिस्मा लेने आये हैं। चूँकि जोन बपतिस्ता उनसे कठोर शब्दों में कहते हैं तथा उन्हें मसीह के आने के लिए तैयार करने का आह्वान कर रहे हैं कुछ लोग कहते हैं- हमें क्या करना चाहिए ? ये संवाद बहुत रुचिकर हैं तथा दिखाते हैं कि उनकी बहुत सार्थकता है।

पहला जवाब भीड़ को सामान्य रूप से सम्बोधित है। जोन बपतिस्ता कहते हैं- जिसके पास दो कुरते हैं, वह एक उसे दे दे, जिसके पास नहीं है और जिसके पास भोजन है, वह भी ऐसा ही करे। (लूकस 3, 11) यहाँ हम न्याय का मापदंड देख सकते हैं जो उदारता से अनुप्राणित है। न्याय माँग करती है कि जिनके पास पर्याप्त से भी अधिक है और जिनके पास बुनियादी चीजों की भी कमी है इस असंतुलन को दूर किया जाये। उदारता हमें सचेत करती है कि दूसरों के प्रति शिष्ट रह उनकी जरूरतों को पूरा करें न कि अपने हितों की रक्षा करने के लिए न्यायसंगत ठहराने वाले कारणों को देखते रहें। न्याय और परोपकार एक दूसरे के विरोधी नहीं हैं लेकिन दोनों जरूरी हैं और एक दूसरे को पूरा करते हैं। हमेशा ऐसी परिस्थितियाँ रहेंगी जब भौतिक सहायता देने की जरूरत होगी तथा पड़ोसी के प्रति ठोस प्रेम के रूप में सहायता करना अपरिहार्य होगा। तब एक दूसरा जवाब नाकेदारों को सम्बोधित है जो रोमियों के लिए कर जमा करते थे। इसी कारण से नाकेदारों को हेय दृष्टि से देखा जाता था और साथ ही वे, चोरी करने के लिए अपने पद का फायदा उठाते थे।

जोन बपतिस्ता उनसे अपने रोजगार या काम बदलने के लिए नहीं कहते हैं लेकिन कहते हैं कि जितना तुम्हारे लिए नियत है, उस से अधिक मत माँगो। नबी, ईश्वर के नाम में, असाधारण कामों को करने के लिए नहीं लेकिन सबसे पहले अपने कर्तव्य को ईमानदारी पूर्वक करने को कहते हैं। अनन्त जीवन की ओर पहला कदम है ईश्वर की आज्ञाओं का हमेशा पालन करना इस मामले में सांतवीं आज्ञा है चोरी न करना। तीसरा जवाब जो सैनिकों को सम्बोधित है, दूसरी श्रेणी जो कुछ ताकत के साथ हैं, और इसलिए ताकत का दुरूपयोग करने का प्रलोभन भी है। जोन बपतिस्ता सैनिकों से कहते हैं- किसी पर अत्याचार मत करो, किसी पर झूठा दोष मत लगाओ और अपने वेतन से संतुष्ट रहो।( लूकस 3, 14) यहाँ भी, मनपरिवर्तन आरम्भ होता है ईमानदारी और दूसरों के प्रति सम्मान करने से। ऐसा निर्देश जो सबके लिए कल्याणकारी है, विशेष रूप से उनके लिए जिन पर अधिक जिम्मेदारी है।

इन संवादों को एक साथ लेकर जोन बपतिस्ता द्वारा कहे गये ठोस सटीक शब्द बहुत प्रभावी हैं- हमारे कार्यों के अनुसार ईश्वर हमारा न्याय करेंगे इसलिए हमारेआचरण में हमें यह जरूर दिखाना चाहिए कि हम उनकी इच्छा का अनुसरण कर रहे हैं। और विशिष्ट रूप में इसी कारण से जोन बपतिस्ता के निर्देश हमेशा सार्थक हैं- यहाँ तक कि हमारे बहुत जटिल संसार में भी, चीजों बेहतर अवस्था में हो सकती हैं यदि प्रत्येक व्यक्ति आचरण के इन नियमों का पालन करे। इसलिए पवित्रतम कुँवारी माता मरिया की मध्यस्थता द्वारा हम ईश्वर से प्रार्थना करें ताकि मनपरिवर्तन के अच्छे फल उत्पन्न करने सहित क्रिसमस की तैयारी करने के लिए वे हमारी सहायता करें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

तदोपरांत संत पापा ने कहा

प्रिय भाईयो और बहनो,
तेजे समुदाय के तत्वाधान में यूरोपीय युवाओं की बैठक 28 दिसम्बर से 2 जनवरी तक रोम में सम्पन्न होगी। मैं उन परिवारों को धन्यवाद देता हूँ जो आतिथ्य सत्कार प्रदान करने की रोमी परम्परा का पालन करते हुए इन युवाओं को ठहराने के लिए स्वयं को उपलब्ध कराया है। ईश्वर को धन्यवाद, चूँकि जो आग्रह किये गये हैं वे उपलब्ध स्थानों से कहीं अधिक हैं इसलिए मैं और अधिक पल्लियों और परिवारों से आग्रह करता हूँ कि पूर्ण सरलता के मनोभाव में वे ख्रीस्तीय मैत्री के इस महान अनुभव के लिए अपने आपको खोलें।

संत पापा ने अंग्रेजी भाषिय़ों को सम्बोधित करते हुए कहा- आज यहाँ देवदूत संदेश प्रार्थना के लिए आये सब अंग्रेजी भाषी तीर्थयात्रियों और पर्यटकों का मैं अभिवादन करता हूँ। अमरीका में कानेक्टीकट के न्यूटाउन में शुक्रवार को हुई नृशंस हिंसा से मैं बहुत दुःखित हुआ। पीड़ित परिवारों को, विशेष रूप से उनको, जिन्होंने अपने बच्चों को खो दिया मैं प्रार्थना में अपने सामीप्य का आश्वासन देता हूँ। सांत्वना देनेवाले ईश्वर उनके दिलों का स्पर्श करें और उनकी पीड़ा को कम करे। इस आगमन काल के दौरान प्रार्थना करने तथा शांति के कार्यों को करने के लिए हम स्वयं को और अधिक गहराई से समर्पित करें। इस त्रासदी से प्रभावित सब लोगों और आप सब पर मैं ईश्वर की आशीष की कामना करता हूँ।

अंत में संत पापा ने इताली भाषा में कहा – आज मैं रोम शहर के बच्चों का विशेष रूप से अभिवादन करता हूँ। आप सब शिशु येसु की मूर्तियों की पारम्परिक आशीष के लिए आये हैं। प्रिय बच्चो, जैसा कि मैं बालक येसु की प्रतिमाओं को आशीष देता हूं जिसे आप अपनी चरनी में रखेंगे मैं आप में से प्रत्येक जन, आपके परिवार के सब लोगों, आपके शिक्षकों तथा रोम के विभिन्न मेषपालीय और क्रीड़ा केन्द्रों को दिल से आशीष देता हूँ।

मैं आप में प्रत्येक जन को इस रविवार तथा बेथलेहेम की ओर अच्छी आध्यात्मिक यात्रा के लिए शुभकामना देता हूँ। शुभ रविवार।








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