धार्मिक स्वतंत्रता पूजा-पाठ करने की स्वतंत्रता तक ही सीमित नहीं
वाटिकन सिटी, 10 दिसंबर, 2012. (न्यूज़.वीए) वाटिकन सिटी स्टेट के अंतरराष्ट्रीय संबंधों
के सचिव महाधर्माध्यक्ष दोमिनिके मम्बेरती ने कहा, "धार्मिक स्वतंत्रता की पूर्ण गारंटी
को पूजा-पाठ करने की स्वतंत्रता तक ही सीमित नहीं रखा जा सकता है लेकिन इसमें धर्म के
सार्वजनिक पक्ष को भी इसके भीतर लाया जाना चाहिये ताकि विश्वासी सामाजिक व्यवस्था के
निर्माण में अपना योगदान दे सकें।"
महाधर्माध्यक्ष मम्बेरती ने उक्त बात उस समय
कहीं जब उन्होंने 6-7 दिसंबर को आयरलैंड में कौंसिल ऑफ मिनिस्टरे ऑफ द ऑरगानाइजेशन फॉर
सेक्यूरिटी एंड कोपरेशन इन यूरोप (ओएससीआई) के सदस्यों को संबोधित किया।
महाधर्माध्यक्ष
ने कहा "वाटिकन परमधर्मपीठ के लिये आधारभूत स्वतंत्रताओं में धार्मिक स्वतंत्रता सबसे
महत्वपूर्ण है। ओएससीआई ने सदा ही धार्मिक समुदायों के सकारात्मक योगदानों के महत्व पर
बल दिया है। इस तरह से इस संगठन के क्रियाकलाप इस बात की गारंटी देती है कि सार्वजनिक
बहस धार्मिक दर्शन के उन सभी पहलुओं जैसे पूजा-पाठ, शिक्षा, सूचनाओं का आदान-प्रदान,
धर्म को चुनने और उसकी घोषणा करने को शामिल करे।"
उन्होंने कहा कि सच पूछा जाये
तो धर्म से जुड़े अधिकारों की रक्षा की सख्त़ ज़रूरत है उन परिस्थितियों में जब स्थानीय
धर्मनिर्पेक्ष विचारधारा या अधिकांश धार्मिक स्थिति अलगाववादी है।
उन्होंने कहा
कि विश्व में बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता की स्थिति में यह भी पाया गया कि ईसाइयों के साथ
भेदभाव किया जाता है यहाँ तक की यूरोप में भी।
उन्होंने कहा कि संगठन द्वारा
धार्मिक स्वतंत्रता के प्रति अपने समर्पण का दावा करने के बावजूत कई ईसाइयों के प्रति
भेदभावपूर्ण नियम, निर्णय और व्यवहार होते रहे हैं जो धर्मिक स्वतंत्रता के विरुद्ध है।"