2012-12-03 14:24:34

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें का संदेश


वाटिकन सिटी 3 दिसम्बर 2012 (सेदोक जेनिथ) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 2 दिसम्बर को संत पेत्रुस बासिलिका के प्रांगण में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व इताली भाषा में सम्बोधित करते हुए कहा-

मेरे अतिप्रिय भाईयो और बहनो,

आज कलीसिया नया पूजनधर्मविधि वर्ष आरम्भ करती है, ऐसा पथ जो विश्वास-वर्ष और द्वितीय वाटिकन महासभा के आरम्भ होने के 50 वर्ष से और अधिक समृद्ध होती है। इस यात्रा का पहला समय आगमन काल है जो कि रोमी रीति में बनायी गयी है, देहधारण का रहस्य अर्थात प्रभु के जन्म के पूर्व का चार सप्ताह।

" आगमन " शब्द का अर्थ है आना या उपस्थिति। प्राचीन विश्व में इसका अर्थ था राजा का आना या अनेक प्रांतों में से किसी एक प्रांत में सम्राट का आना। ईसाईयों की भाषा में, इसका तात्पर्य है ईश्वर के आने से, संसार में उनकी उपस्थिति से, एक रहस्य जिसमें निहित है सम्पूर्ण ब्रह्मांड और इतिहास लेकिन यह दो चरम पलों को मान्यता देता है- येसु ख्रीस्त का पहला और दूसरा आगमन। पहला आगमन उनका देहधारण है और दूसरा है युग के अंत में उनका महिमामय पुनरागमन। ये दो क्षण, क्रमिक रूप से बहुत दूर हैं। हमें नहीं दिया गया है कि यह जानें कि ये दोनों एक दूसरे से कितने दूर हैं, लेकिन हमें गहरे रूप से स्पर्श करते हैं क्योंकि येसु ने अपनी मृत्यु और पुनरूत्थान के द्वारा मानवजाति और ब्रह्मांड के पूर्ण बदलाव को पूरा कर लिया है जो सृष्टि का अंतिम लक्ष्य है। लेकिन इस अंत के पहले, यह आवश्यक है कि सब देशों में सुसमाचार की उदघोषणा की जाये जैसा कि येसु, संत मारकुस रचित सुसमाचार में कहते हैं।
ख्रीस्त का आगमन निरंतर है, संसार उनकी उपस्थिति से अनुप्राणित रहे। सुसमाचार की उदघोषणा में प्रभु के इस स्थायी आगमन के लिए चाहिए हमारा निरंतर सहयोग तथा कलीसिया जो दुल्हन के समान है, क्रूसित और ईश्वर के पुर्नजीवित मेमने की पत्नी है, प्रभु के साथ संयुक्त होकर ईश्वर के इस आगमन के लिए सहयोग करती है, जिसमें उनका महिमामय पुनरागमन शुरू हो चुका है।
इसके लिए ईशवचन आज हमें पुनः स्मरण कराता है, आचरण करने की ऐसी एक शैली का अनुसरण करें ताकि प्रभु के पुनरागमन के लिए तैयार रहें। संत लुकस रचित सुसमाचार में, येसु शिष्यों से कहते हैं- सावधान रहो। कहीं ऐसा न हो कि भोग विलास, नशे और इस संसार की चिन्ताओं से तुम्हारा मन कुंठित हो जाये और वह दिन फन्दे की तरह अचानक तुम पर आ गिरे इसलिए जागते रहो और सब समय प्रार्थना करते रहो। (संत लूकस 21, 34-36) इसलिए सरलता और प्रार्थना करो। और प्रेरित संत पौलुस कहते हैं- प्रभु ऐसा करें कि जिस तरह हम आप लोगों को प्यार करते हैं, उसी तरह आपका प्रेम एक दूसरे के प्रति और सबके प्रति बढ़ता और उमड़ता रहे। इस प्रकार वह उस दिन तक अपने हृदयों को हमारे पिता ईश्वर के सामने पवित्र और निर्दोष बनाये रखें, जब हमारे प्रभु ईसा अपने सब सन्तों के साथ आयेंगे। (थेसलनीकियों के नाम पहला पत्र 3, 12-13) संसार की शोरगुल या उदासीनता और भौतिकवाद की मरूभूमि के मध्य ईसाई, ईश्वर की मुक्ति को स्वीकार करते हैं और एक भिन्न जीवन शैली के द्वारा इसका साक्ष्य देते हैं, ऐसा शहर जो पर्वत पर बसाया गया है। नबी येरेमियस कहते हैं उन दिनों यूदा का उद्धार होगा और येरूसालेम सुरक्षित रहेगा। येरूसालेम का यह नाम रखा जायेगा- प्रभु ही हमारा न्याय है। (येरेमियस 33,16)
विश्वासियों का समुदाय ईश्वर के प्रेम, उनके न्याय का चिह्न है जो यहाँ उपस्थित है तथा इतिहास में क्रियाशील है लेकिन पूरी तरह से कार्यान्वित नहीं हुआ है और इसलिए सदैव इसकी प्रतीक्षा और कामना करते हुए इसकी खोज में धैर्य एवं साहस के साथ लगे रहना चाहिए। कुँवारी माता मरिया आगमन काल के मनोभाव को पूर्ण रूप से मूर्त रूप देती हैं जो कि ईश्वर को सुनना, उनकी इच्छा को पूरा करने के लिए गहन चाह होना तथा प्रसन्नतापूर्वक दूसरों की सेवा करना है। हम उनके द्वारा निर्देशित हों ताकि ईश्वर जो आ रहे हैं वे हमें बंद या दूसरी ओर व्याकुल नहीं पायें लेकिन हममें से प्रत्येक जन को प्रेम, न्याय और शांति वाले अपने राज्य का छोटा भाग हम में से प्रत्येक जन दें।
इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।
तदोपरांत संत पापा ने इताली भाषा में कहा - प्रिय भाईयो और बहनो, आज भारत के कोट्टार में विश्वासी लोकधर्मी देवसहायम पिल्लाई जिन्होंने 19 वीं सदी में जीवन जीया तथा शहीद की मौत मरे उन्हें धन्य घोषित किया गया। भारत में कलीसिया के आनन्द में हम सहभागी होकर प्रार्थना करें कि कलीसिया का यह नया धन्य पुत्र महान और कुलीन देश के ईसाईयों के विश्वास को धारण करे। संत पापा ने आगे कहा- कल विकलांगो के अधिकारों का विश्व दिवस समारोह मनाया जायेगा। हर व्यक्ति, शारीरिक या मनोवैज्ञानिक सीमाओं के साथ, गंभीर कमियों के साथ भी, सदैव मूल्यवान है। मैं कलीसियाई समुदाय को प्रोत्साहन देता हूँ कि इन भाई- बहनों के प्रति सचेत रह उनका स्वागत करे। मैं सरकारों और सांसदों का भी आह्वान करता हूँ कि वे विकलांगों की सुरक्षा करते हुए समाज के जीवन में उनकी पूर्ण सहभागिता का प्रसार करें।
संत पापा ने अंग्रेजी भाषा में कहा- मैं आज यहाँ एकत्रित सब लोगों को मेरे साथ प्रार्थना करने के लिए आमंत्रित करता हूँ। मैं विशेष रूप से कोट्टार के लोगों का अभिवादन करता हूँ जो आज देवसहायम पिल्लाई की धन्य घोषणा का समारोह मना रहे हैं। उनके द्वारा दिया गया ख्रीस्त का साक्ष्य ख्रीस्त के आगमन के प्रति सजगता का उदाहरण है जिसका स्मरण आगमनकाल के इस पहले रविवार को किया जा रहा है. मेरी कामना है कि यह पवित्र जयंतीकाल हमारी सहायता करे कि हम पुनः अपने जीवन को हमारी आशा, प्रभुवर ख्रीस्त में केन्द्रित करें। ईश्वर आपको आशीष दें।








All the contents on this site are copyrighted ©.