2012-12-02 20:02:10

ख्रीस्त राजा का पर्व 25 नवंबर, 2012


नबी दानिएल का ग्रंथ 7,13-14
प्रकाशना ग्रंथ 1, 5-8
संत योहन 18, 33-37
जस्टिन तिर्की, ये.स.

कुलदीप की कहानी

मित्रो. आज आप लोगों को एक राजकुमार के बार में बताता हूँ उसका नाम था कुलदीप। कुलदीप के पिता एक बहुत प्रसिद्ध राजा थे। वह अपने पिता के राजमहल में अमन-चैन से रहता था। पर कुलदीप को इस बात का शौक था कि वह अपने पिता के राज्य में घूमें और लोगों के जीवन का व्यक्तिगत अनुभव करे। वह रोज अपने राजमहल से निकल जाता और शाम को अपने पिता को पूरे राज्य की जानकारी देता था। एक दिन की बात है जब वह राजमहल लौटा तो वह बहुत उदास था। राजा ने राजकुमार से पूछा कि वह क्यों उदास है तो राजकुमार ने कहा कि आज उसने एक परिवार को देखा जिसके सब लोग भीख माँग रहे थे। उनके पास कुछ नहीं था। और उस समय वह उन्हें मदद नहीं कर पाया। तब राजा ने कहा कि हम उस पूरे परिवार को राजमहल में ले आते हैं। वे यहीं रहेंगे और हमारे कार्यों में मदद देंगें।तब उस ग़रीब परिवार को राजमहल लाया गया। वह ग़रीब परिवार राजमहल में चैन से रहने लगा। कुछ दिनों के बाद राजा को पता चला कि वह परिवार राजा के दुश्मनों से मिलकर राजा के विरुद्ध षड्यंत्र रचने लगा है। राजा को इस बात की भी जानकारी दी गयी वे उसकी हत्या करने की योजना बना रहे हैं। तब राजा ने उस परिवार को राजमहल से बाहर करा दिया। राजकुमार दुःखी था पर क्या करता। राजकुमार ने अपना कार्यक्रम जारी रखा। वह रोज दिन राज्य की जनता का हाल ख़बर लेने के लिये राजमहल से निकल जाता और ग़रीब-दुःखियों की मदद किया करता था। एक दिन उसने उसी ग़रीब परिवार को फिर से देखा वे भीख माँग रहे हैं। वह राजा के पास आया और कहा कि उसने उस परिवार को और भीख माँगते देखा है। उन्हें फिर से राजमहल में लाया जाये। तब राजा ने कहा उसे भी उन पर तरस आती है पर वह उन्हें राजमहल में स्वीकार नहीं कर सकता है। राजकुमार के बार-बार आग्रह करने पर राजा ने कहा कि वह उन्हें सिर्फ़ एक शर्त पर घर ला सकता है यदि कोई उनके साथ रहे और उन्हें ईमानदारी पूर्वक जीना सिखाये। तब राजकुमार ने कहा कि वह उनके साथ रहेगा और उन्हें राजमहल में रहने के योग्य बनायेगा।


मित्रो. रविवारीय आराधना विधि चिंतन कार्यक्रम के अन्तर्गत पूजन विधि पंचांग के वर्ष ‘ब’ के ख्रीस्त राजा पर्व के लिये प्रस्तावित सुसमाचार पाठ के आधार पर हम मनन-चिन्तन कर रहे हैं। आज काथलिक कलीसिया येसु के राजा होने का त्योहार मनाती है। आज हम विचार करने के लिये आमंत्रित किये जाते हैं कि हम येसु के राजा के रूप में पहचानें और उन्हीं को अपना जीवन समर्पित करें और उन्हीं से प्रेम, सेवा, ईमानदारी और वफ़ादारी की शिक्षा ग्रहण करें। आइये हम संत योहन के सुसमाचार के उन पदों को सुनें जिसमें येसु के राजा होने के बारे में बताया गया है।

संत योहन 18, 33-37

पिलातुस ने येसु से कहा, " क्या तुम यहूदियों के राजा हो?" येसु ने उत्तर दिया, "क्या आप यह अपनी ओर से कहते हैं या दूसरों ने आप से मेरे विषय में यह कहा है?" पिलातुस ने कहा, "क्या मैं यहूदी हूँ? तुम्हारे ही लोगों ने और महायाजकों ने तुम्हें मेरे हवाले कर दिया है। तुमने क्या किया है?" येसु ने उत्तर दिया, "मेरा राज्य इस संसार का नहीं है। यदि मेरा राज्य इस संसार का होता तो मेरे अनुयायी लड़ते और मैं यहूदियों के हवाले नहीं किया जाता। परन्तु मेरा राज्य इस संसार का नहीं है।" इस पर पिलातुस ने उन से कहा, "तो तुम राजा हो?" येसु ने उत्तर दिया, "आप ठीक कहते हैं। मैं राजा हूँ। मैं इसीलिये जन्मा औऱ इसीलिये संसार में आया हूँ कि सत्य के बिषय में साक्ष्य दूँ। जो सत्य के पक्ष में है, वह मेरी सुनता है।"

राजा का अर्थ
मित्रो. मेरा पूरा विश्वास है कि आपने आज के सुसमाचार को ध्यान से सुना है। आपके ध्यान से सुनने से न केवल आपको पर आपके परिवार के सब ही सदस्यों को इससे आध्यात्मिक लाभ हुए हैं। मित्रो. आज के दिन में अधिकतर पल्लियों में ख्रीस्त राजा का त्योहार बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है। और इस दिन में बच्चे, युवा तथा बुजूर्ग भी पूरी बुलन्दी से नारा लगाते है कि ‘ख्रीस्त हमारा राजा है’। कई तो कहते हैं ‘येसु तेरा राज आवे’। हमने कई शोभा यात्रा में लोगों को ऐसा भी नारा लगाते हुए सुना है कि ‘हे येसु तेरा राज्य अनन्त काल तक बना रहे’। मित्रो. क्या कभी आपने ग़ौर किया है कि ‘राजा’ शब्द का क्या अर्थ है। ‘राजा’ अर्थात् ‘जो राज्य करता हो’। राजा जो शासन करता हो। राजा जिसके ऊपर अपनी प्रजा की रक्षा की जि़म्मेदारी होती हो। राजा जिसे लोग सम्मान देते हैं जिसकी आज्ञा का पालन करते हैं। मित्रो. आप सबों ने भले राजा और बुरे राजाओं की कहानियों के बारे में भी सुना होगा। कुछ राजा अपनी ज़िम्मेदारी अच्छी तरह से निभाते हैं तो कुछ अपने पद शक्ति और दायित्त्व को भली-भाँति नहीं निभाते हैं। मित्रो. आपने कई बार लोगों को राजा शब्द का प्रयोग करते हुए सुना होगा जब वे किसी को बहुत प्यार करते है। युवतियाँ कहतीं है कि उसका जीवन साथी उसके दिल का राजा है और युवक कहता है कि उसकी जीवनसाथी उसके दिल की रानी है। माताओं को भी आपने यह कहते हुए सुना होगा वे अपनी संतान को ‘राजा बेटा’ या ‘रानी बेटी’ कह कर पुकारतीं है। मित्रो. यह ‘राजा’ शब्द कितना प्यारा है और यह कितना सारगर्भित है। मित्रो. जब हम येसु को राजा कहते हैं तो इसमें दो बातें तो अवश्य ही छुपी होती है। पहली तो यह कि हम येसु को प्यार करते हैं और दूसरी कि हम उनकी आज्ञा मानने के लिये तत्पर हैं।


राजा को पहचानना
मित्रो. क्या आपने आज के सुसमाचार पर ग़ौर किया। पिलातुस येसु को पूछते हैं कि क्या वे राजा हैं। पिलातुस येसु को राजा के रूप न तो पहचान पाते हैं और न ही वे उन्हें एक राजा के रूप में देखते हैं। और इसीलिये वे उन्हें कोड़े लगवाते हैं और उनके बदले में एक डाकू को रिहा कराते हैं और येसु को क्रूस पर ठोंके जाने के लिये लोगों के हवाले कर देते हैं। मित्रो. क्या आपने ग़ौर किया है कि जब हम अपने जीवन में उन बातों को नहीं पहचान पाते हैं कि कौन हमारे लिये सबसे महत्त्वपूर्ण है तो हम भी येसु के साथ ऐसा ही वर्ताव करते हैं। मित्रो. आज प्रभु हमें बुला रहे हैं। वे हमसे कह रहे हैं कि वे राजा है। वे हमारे दिल के राजा है। वे हमारे जीवन के राजा हैं। और हमें चाहते हैं कि हम उनके राज्य के अधिकारी हों। येसु चाहते हैं कि हम उनकी इच्छा के अनुसार जीवन बितायें ताकि इस धरा में ही स्वर्ग का राज्य आये।

सांसारिक राजा नहीं

मित्रो. सुसमाचार में एक और बात महत्वपूर्ण है। पिलातुस से बात-चीत करते हुए येसु ने कहा था कि उनका राज्य इस संसार का नहीं हैं। अगर उनका राज्य इस संसार को होता तो उसके शिष्य इसके लिये लड़ते और वे क्रूस की मृत्यु से बच जाते। मित्रो. जब हम प्रभु के वचनों पर ग़ौर करते हैं तो हम पाते हैं कि येसु का राज्य सांसारिक राज्य नहीं है। येसु जिस राज्य के बारे में बातें कर रहे हैं वह एक ऐसा राज्य है जिसकी प्राप्ति के लिये हमें खुद पर विजय प्राप्त करना पड़ता है और सत्य न्याय दया क्षमा और मेलमिलाप का ऐसा जीवन जीना पड़ता है जिससे सबका कल्याण होता हो। मित्रो. प्रभु येसु ने इस राज्य के विषय में बातें करते हैं. कई बार ऐसा लगता हैकि सत्य और धार्मिकता का राज अभी दूर है। पर मित्रो. कई बार हम इस राज्य की चुनौतियों को देखते हुए और अपने जीवन के खट्टे अनुभवों के कारण इसके बारे में बातें नहीं करना चाहते हैं। मित्रो. सच तो यही है कि येसु ने जिस राज्य की कल्पना की थी उसी को पाने के प्रयास अगर जीवन बितायें तो हमें जीवन की सच्ची खुशी मिल सकती है।

क्रूस का रास्ता
मित्रो. हमने कई लोगों से यह कहते हुए सुना है कि ऐसा जीवन कठिन हैं काँटो से भरा है भारी क्रूस ढोने का रास्ता है। पर मित्रो. इसी को तो येसु ने गले लगाया और उन्हें महिमा प्राप्त हुई। येसु एक ऐसे राजा हैं जिसका हथियार है प्रेम, क्षमा और सेवा। अगर हमने इन बातों को समझ लिया और उसी के अनुसार अपना आचरण भी बदल दिया तो हम अपने लौकिक जीवन को जीत कर एक ऐसे जीवन में प्रवेश करेंगे जिसका मार्ग काँटों का है पर सुख से भरा और साथ में अनन्त जीवन का पुरस्कार। येसु ही एक ऐसे राजा है उन बातों को कर के दिखाया जिसका उन्होंने प्रवचन दिये। येसु ने नम्र बनना सिखाया खुद लोगों के बीच नम्र बन कर, क्षमा करना सिखाया खुद क्षमा देकर, चंगाई की आज्ञा दी खुद दूसरों को चंगा करके। मित्रो. येसु एक ऐसे गुरु हैं जो न केवल आज्ञा देते हैं पर अपने उदाहरण से अपने कर्म से लोगों को शिक्षित करतें हैं।

दुःख को गले लगायें, सुख को बॉँटे

मित्रो. आज येसु राजा हमें बुला रहे हैं। हमसे कह रहे हैं कि वे हमारे राजा हैं। हमसे कह रहे हैं कि हम उनके पथ पर चलें,, चुनौतियों के समय उन्हीं प्रभु के दुःख को याद करें जिसे प्रभु ने हमारे लिये उठाया।

खुशियों के पल हमें अपनी खुशी को दूसरों को बाँटे और हरदम यही सोचें कि हम जो कुछ भी करते हैं, सब कुछ प्रभु के नाम पर ही करें। अगर हम प्रभु के कार्यों को करने के मार्ग में दुःख उठाते हैं इसका पुरस्कार महान् होगा जैसा कि खुद प्रभु ने पाया। आज प्रभु हमारे राजा हम बुला रहे हैं और कह रहे हैं कि मैं ही राजा हूँ जो मेरा अनुसरण करते हुए मेरे लिये दुःख उठाता है और लोगों का कल्याण करता है वह स्वर्गीय सुख न केवल स्वर्ग में प्राप्त करेगा पर इस धरा को ही वह स्वर्ग बनाने में सक्षम हो पायेगा।









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