2012-12-01 19:23:09

संत पापा की धर्मशिक्षा, 28 नवम्बर, 2012


वाटिकन सिटी, 28 नवम्बर, 2012 (सेदोक, वी.आर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने वाटिकन स्थित पौल षष्टम् सभागार में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।

उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, ‘विश्वास वर्ष’ के अवसर पर हम आज के आमदर्शन समारोह की धर्मशिक्षा में ‘विश्वास’ विषय पर चिन्तन करना जारी रखें।

पिछले सप्ताह हमने ‘विश्वास, ईश्वर की सत्यता को जानने के लिये आवश्यक’ पर जानकारी प्राप्त की आज हम इस बात को जानें कि है कैसे हमारे दिल की अन्तरतम इच्छा का जवाब है ख्रीस्तीय विश्वास और हम इसे दूसरों को कैसे बता पायेंगे?

ख्रीस्तीय विश्वास के बारे में दूसरों को बतलाने का अर्थ है - येसु मसीह के ईश्वर के बारे में लोगों को बतलाना। इसका अर्थ यह भी होगा कि सुसमाचार के संदेश के सार का नम्रतापूर्वक साक्ष्य देना।

यह सुसमाचार उस ईश्वर का संदेश है, जो प्रेम है - जिसने येसु मसीह में हमें अपने करीब बुलाकर प्रभावित किया है। यहाँ तक कि उन्होंने अपने क्रूस के बलिदान के द्वारा भी हमें अपनी ओर खींचकर आशा और नये जीवन की प्रतिज्ञा की है।

येसु ने हमें अपनी सेवा से उदाहरण दिया। उन्होंने उन लोगों की मदद की जिनका जीवन कठिन था और जो परेशान थे और उन्हें पिता परमेश्वर के पास ले आया।

ईश्वर के बारे में बतलाने के मिशन में परिवारों की बहुत बड़ी भूमिका होती है। ऐसा इसलिये क्योंकि परिवारों में विश्वास को रोज दिन सहर्ष. मेल-मिलाप, प्रेम और क्षमा के साथ जीया जाता है।

येसु मसीह के ईश्वर ने हमें पाप और मृत्यु से मुक्त कर मानव की महत्ता को दिखलाया है ताकि मानव नवीकृत हो जाये और ईश्वर का नगर बन जाये।

इतना कह कर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।


उन्होंने कैथोलिक मेडिकल मिशनरी बोर्ड के सदस्यों को उनकी सेवा और जनकल्याणकारी कार्यों के लिये धन्यवाद दिया।

इसके बाद संत पापा ने नाईजीरिया, कोरिया, और अमेरिका के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों पर प्रभु की कृपा और शांति की कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।











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