वाटिकन परमधर्मर्पीठ ने यू.एन. के निर्णय का स्वागत किया
वाटिकन सिटी, 1 दिसंबर, 2012 (वीआर, अंग्रेज़ी) वाटिकन परमधर्मपीठ (होली सी) ने संयुक्त
राष्ट्र संघ के उस निर्णय का स्वागत किया है जिसमें यूएन ने वृहस्पतिवार 28 नवम्बर को
अप्रत्यक्ष रूप से फिलीस्तीन को एक राज्य की मान्यता प्रदान की है।
संयुक्त राष्ट्र
संघ अपने उस माँग को भी दुहराया है जिसके तहत् येरुसालेम को विशेष दर्जा दिया जाये जिसे
अंतराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हो।
संयुक्त राष्ट्र संघ की 193 राष्ट्रों की जेनरल
असेम्बली ने एक प्रस्ताव पास कर फिलीस्तीन प्राधिकरण को " संस्था" (एनटिटी) से ‘गैर सदस्य
पर्यवेक्षक राज्य’ (नॉन मेम्बर स्टेट) का दर्ज़ा दे दिया है। संयुक्त राष्ट्र संघ में
वाटिकन सिटी को भी यही दर्ज़ा प्राप्त है।
वाटिकन सूत्रों ने संयुक्त राष्ट्र
संघ के इस कदम का स्वागत किया हो और कहा है कि यह सुअवसर है जब सन् 2000 में वाटिकन और’पालेस्टाइन
लिबरेशन ऑरगानाईजेशन’ येरूसालेम के बारे जो द्विपक्षीय समझौता हुए था उस पर भी विचार
किया जाये।
वाटिकन ने यह भी कहा कि इसके तहत् येरूसालेम को अंतरराष्ट्रीय मान्यता
प्राप्त विशेष दर्जा मिले जिसमें धर्म और अंतःकरण की स्वतंत्रता हो और इसकी मान्यता एक
पवित्र नगर रूप में हो और लोगों को यहाँ आने की स्वतंत्रता अन्य पवित्र नगरों की तरह
हो।
वाटिकन ने स्पष्ट किया है कि दोनों पक्ष शांति, न्याय और स्थायित्व के लिये
और दोनों पक्षों की वैध महत्वकाँक्षाओं के लिये पूरे समर्पण के साथ कार्य करें।
मालूम
हो कि इस्राएल ने येरूसालेम पर किसी भी तरह की अंतरराष्ट्रीय आदेश का यह कहते हुए विरोध
किया है कि उसने येरूसालेम शहर को तीन एकेश्वरवादी धर्मों - ईसाई, यहूदी और इस्लाम की
पवित्र नगरी के रूप में सम्मान करता रहा है।