उदारतापूर्ण कार्यों के लिये संत पापा का ‘मोतु प्रोप्रियो’
वाटिकन सिटी, 1 दिसंबर, 2012 (सेदोक,वीआर) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने उदारतापूर्ण
कार्यों या चैरिटी के लिये किये जाने वाले कार्यों के लिये ‘मोतू प्रोप्रियो’ अर्थात्
‘स्वप्रेरणा’ से कलीसिया के नाम एक आदेश पत्र लिखा है। आदेश पत्र में संत पापा ने
कहा कि कलीसिया स्वभाव से तीन उत्तदायित्वों का निर्वाह करती है ईशवचन की घोषणा (केरिगमा),
संस्कार समारोह (लेतुरजिया) और परोपकारी कार्य (दियाकोनिया) और ये तीनों कार्यों एक-दूसरे
से जुड़े हुए हैं। संत पापा न कहा कि व्यक्ति अपने मन में इस बात को ठीक से समझे
कि दिनचर्या सदा अपूर्ण होंगे अगर उनमें प्रेम का अभाव है - एक ऐसा प्रेम जो येस के प्रेम
से प्रेरित है। इसीलिये, परोपकारी कार्यों से जुड़ी संस्थायें इस बात को याद रखें कि
उनका कार्य सिर्फ़ राशि जमा करना और बाँटना नहीं है पर उन्हें चाहिये कि वे इस बात को
दूसरों को बतलायें कि उनका बाँटना आदर करना और प्रेम करना येसु के प्रेम से प्रेरित हो।
संत पापा ने कहा कि कलीसिया इस प्रलोभन से बचे कि वह एक और संगठित समाज सेवा का केन्द्र
मात्र बन गया हो। उन्होंने कहा कि कलीसिया के सदस्यों द्वारा आरंभ कोई संगठित परोपकारी
पहलों को चाहिये कि उनका प्रबन्धन और संचालन उचित तरीके से हो। कलीसिया के अधिकारियों
को भी चाहिये कि वे इस तरह की पहलों को प्रोत्साहन दें उनकी विशेषताओं को मान्यता दें
और उनकी प्रशासनिक स्वायत्तता का सम्मान करें।