अंतर धार्मिक वार्ता अभिन्न अंग मात्र एक हिस्सा नहीं
रोम, 30 नवम्बर, 2012 (वीआर, अंग्रेज़ी) अंतरधार्मिक वार्ता हमारे जीवन का अभिन्न अंग
है एक छोटा-सा हिस्सा नहीं। उक्त बात भारत के नये कार्डिनल बासेलियोस क्लेमीस ने उस समय
कहीं जब उन्होंने 27 नवम्बर, बुधवार को रोम में स्थित अंतरधार्मिक अध्ययन के लिये लिये
स्थापित टचावरा इस्टीट्यूट ऑफ इंडियन एंड इंटररेलिजियस स्टडीस’ में ‘चावरा लेक्चर्स 2012
श्रृंखला’ का उद्धाघटन किया।
‘21वीं सदी में भारतीय कलीसिया की चुनौतियाँ और
संभावनायें’ विषय पर बोलते हुए कार्डिनल क्लीमीस ने कहा, भारत में कई चुनौतियाँ तो हैं
ही. कई सकारात्मक अवसर भी है जिनके द्वारा हम आगे बढ़ सकते हैं।
उन्होंने कहा
कि मदर तेरेसा जैसी एक छोटी-सी महिला ने दुनिया के लोगों को ईश्वर की उपस्थिति साक्ष्य
दिया, हम भी उनसे प्रेरणा प्राप्त करें और पूरी दुनिया में ख्रीस्त को दूसरों को बाँटे।
कार्डिनल क्लेमीस ने कहा कि भारत की कलीसिया की कई चुनौतियाँ हैं और उनमें अंतरधार्मिक
वार्ता प्रमुख है। अंतरधार्मिक वार्ता हमारे जीवन का अभिन्न अंग है एक छोटा हिस्सा मात्र
नहीं।
उन्होंने कहा, "धन्य चावरा इस बात पर विश्वास करते थे कि अंतरधार्मिक वार्ता
सिर्फ़ अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों तक ही सीमित न रहे वरन् एक जीवित उदाहरण बन जाये। वार्ता
सिर्फ़ सेमिनारों तक न सिमट कर न रह जाये पर जीवन में एक हकीकत बने।"
उन्होंने
कहा कि उन्हें इस बात पर आश्चर्य हुआ की उनके कार्ड़िनल पद ग्रहण समारोह में हिन्दु और
मुस्लिमों ने भी भारत का प्रतिनिधित्व किया। कार्डिनल क्लेमीस ने कहा कि कि भारत
में हम सिर्फ़ 2.5 प्रतिशत हैं पर स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में हम केन्द्रीय सरकार
के बाद सबसे बड़े संगठन हैं। हम निश्चय ही भारत में अपना सकारात्मक प्रभाव छोड़ सकते
हैं।