2012-11-27 16:49:35

वियेना स्थित अंतर धार्मिक संवाद केन्द्र के उदघाटन के अवसर पर कार्डिनल तुरान का सम्बोधन


वियेना आस्ट्रिया 27 नवम्बर 2012 (सेदोक) अंतर धार्मिक वार्ता संबंधी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल ज्यां लुई तोरान ने आस्ट्रिया की राजधानी वियेना के होफबुर्ग में 26 नवम्बर को अंतर धार्मिक और अंतर सांस्कृतिक संवाद के लिए किंग अब्दुल्ला बिन अब्दुल अजीज केन्द्र (केएआईसीआईआईडी) के उदघाटन के समय दिये गये संबोधन में कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि वे इस अवसर पर उपस्थित लोगों के लिए संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें की शुभकामनाएं लाते हैं तथा इस संवाद केन्द्र की गतिविधियों की सफलता के लिए प्रार्थनामय शुभकामनाएं देते हैं।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक जन हमें देख रहा है। सऊदी अरब के सम्राट किंग अबदुल्ला की पहल तथा जिसे आस्ट्रिया और स्पेन की सरकारों का समर्थन है एवं संस्थापक पर्यवेक्षक के रूप में वाटिकन की सहायता मिल रही है इससे हर व्यक्ति ईमानदारी, दर्शन और विश्वसनीयता की अपेक्षा कर रहा है। यह केन्द्र मौलिक मानवाधिकारों विशिष्ट रूप से हर व्यक्ति, हर समुदाय और सब जगहों में धार्मिक स्वतंत्रता सहित विभिन्न मुददों पर खुले संवाद के लिए एक अवसर प्रस्तुत कर रहा है। इस संदर्भ में वाटिकन उन ईसाई समुदायों की नियति के प्रति विशिष्ट रूप से सचेत है जिन देशों में धार्मिक स्वतंत्रता की पर्य़ाप्त गारंटी नहीं है। सूचनाएं, नयी पहल, आकांक्षाएँ तथा संभवतः विफलता के समाचार भी हमारे ध्यान में लाये जायेंगे। इसके बाद यह इस केन्द्र का काम होगा कि अन्य संगठनों के साथ यथासंभव सहयोग करते हुए मुददों या मामलों की सच्चाई की पता लगाते हुए सटीक कदम उठाये ताकि हमारे समसामयिक जन उस प्रकाश और संसाधनों से वंचित न हों जिसे हर व्यक्ति की खुशी के लिए धर्म अर्पित करता है। विश्वासियों को उन सब कारकों के पक्ष में काम करना तथा को समर्थन देना है जो व्यक्ति की भौतिक, नैतिक और धार्मिक आकांक्षाओं को समर्थन करती है।
कार्डिनल तुरान ने कहा कि इसके लिए तीन मनोवृत्तियों की जरूरत है। पहला- एक दूसरे की विशिष्टता का सम्मान करना, दूसरा- एक दूसरे के धर्म या धार्मिक परम्परा के प्रति परस्पर वस्तुनिष्ठ ज्ञान विशेष रूप से शिक्षा द्वारा प्राप्त करना तथा तीसरा सहयोग ताकि स्वतंत्रता और शांति की भावना में सत्य की ओर हमारी तीर्थयात्रा यथार्थ बने।
उन्होंने काथलिक कलीसिया के सहयोग का आश्वासन दिया। 18 नवम्बर 2011 को बेनिन की प्रेरितिक यात्रा के समय सम्पन्न स्वागत समारोह के दौरान संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा कहे गये कथन को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि कलीसिया अपनी उपस्थिति, प्रार्थना तथा दया के अनेक कार्यों द्वारा विशेष रूप से शिक्षा और चिकित्सा सेवा द्वारा हर किसी को अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहती है। वह उन सबके निकट होना चाहती है जो जरूरतमंद हैं तथा ईश्वर की खोज करते हैं। बंधुत्व और मित्रता की इसी भावना में हमें काम करना है।








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