2012-11-27 17:00:48

दलाई लामा का कहना संवेदनशील बनें


बंगलोर भारत 27 नवम्बर 2012 (ऊकान) तिब्बती आध्यात्मिक धर्मगुरू दलाई लामा ने विज्ञान और तकनीकि से संचालित लोभी और भ्रष्ट विश्व में लोगों से दयालु या संवेदनशील बनने का आग्रह किया। बंगलोर के क्राइस्ट यूनिवर्सिटी सभागार में द्वितीय पाउलोस मार ग्रेगोरियस एनडाउमेंट लेक्टर देते हुए उन्होंने यह आग्रह किया। सभागार में लगभग 2000 लोग उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि नकारात्मक होने के बदले हमारी प्रार्थना सकारात्मक हो। उन्होंने युवाओं से कहा कि वे शिक्षा की वर्तमान पद्धति को स्वीकार नहीं करें जो मूल्यों के गहन भाव से रहित केवल मामूली व्यक्ति बनाती है। वर्तमान शिक्षा पद्धति जो भौतिकवाद पर जोर देती है इसके स्थान में नैतिक मूल्यों को जगह देनी चाहिए। मूल्यों की कमी के कारण धनी और निर्धन के बीच तीखी दूरी बढ़ रही है।
दलाई लामा ने कहा कि विज्ञान और धर्म का समन्वय तथा दिमाग और दिल को समान रूप से प्रशिक्षित करते हुए एक व्यक्ति विश्व को बेहतर जीवन जीने लायक, अधिक दयालु तथा शांतिपूर्ण बना सकता है। नकारात्मक आवेगों या भावनाओं का उन्मूलन किया जा सकता है तथा इनके बदले में सकारात्मक भावनाओं या आवेगों को स्थापित किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि 26 नवम्बर 2008 के चरमपंथी हमले नफरत का परिणाम हैं जो दयालु या सहानुभूतिपूर्ण होने के ठीक विपरीत है। नफरत जो कि दुःख पहुँचाना या चोट पहुँचाना है यह सभी समस्याओं की जड़ है। यह आत्मकेन्द्रित होने, मूर्खता तथा स्वार्थीपन को बढ़ावा देना है।







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