2012-11-21 16:30:19

भारत में येसुसमाजियों द्वारा पर्यावरण समर्थक आध्यात्मिकता का विकास करने पर जोर


सावंतवाड़ी 21 नवम्बर 2012 (ऊकान) भारत के महाराष्ट्र राज्य स्थित सावंतवाडी में आठ येसुधर्मसमाज प्रांतों के 24 येसुसमाजियों ने आठ दिन व्यतीत किया ताकि आधुनिक समय में पर्यावरण सुसंगत आध्यात्मिकता का विकास कर सकें।
सिंधुदुर्ग के धर्माध्यक्ष अल्वन बारेटो ने इको-रिट्रीट या पर्यावरण संगत आध्यात्मिक साधना का उदघाटन करते हुए कहा कि कलीसिया को ऐसे अग्रणी लोगों की जरूरत है जो पर्यावरण से संबंधित आध्यात्मिक पहलू पर अनुसंधान करें। पर्यावरण और जलवायु से जुडी समस्याएं गंभीर होती जा रही हैं तथा कलीसिया को चाहिए कि वह समाधान का अंग बने। पर्यावरण अनुकूल इस आध्यात्मिक साधना की पहल बिहार के पटना स्थित तरूमित्र नामक पर्यावरण प्रेमी संगठन की टीम ने की।
इस आध्यात्मिक साधना के संचालन में तरूमित्र संगठन के संस्थापक येसुसमाजी पुरोहित फादर रोबर्ट एथिकल और धर्मबहन मुदिता सोदर ने सहयोग दिया। रिसोर्स परसन ओरला हाजरा ने कोसमिक वाक का संचालन किया ताकि प्रतिभागी ब्रह्मांड के 12.7 बिलियन वर्ष के इतिहास को समझ सकें। इस प्रयास के द्वारा मुक्ति इतिहास को ब्रह्मांड की शुरूआत के समय से ही समझने का प्रयास किया गया। आध्यात्मिक साधना के प्रतिभागियों ने अधिक समय प्रकृति के साथ बिताया। ख्रीस्तयाग समारोह का आयोजन वृक्षों की छाया में की गयी तथा ईश्वर की सृष्टि का समारोह मनाने के लिए उन्होंने जैवविविधता से समृद्ध नरेन्द्रपुर पहाडी की तीर्थयात्रा की।
झारखंड के दुमका से आये येसु धर्मसमाजी पुरोहित मथियस किस्कू ने आध्यात्मिक साधना के दौरान प्रयोग में लाये गये पावरपोइन्ट प्रस्तुति, प्रार्थनाओं तथा समारोहों पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि यह कलीसिया के लिए सही समय है कि वह प्रकृति के साथ सामंजस्य में प्रभावी तरीके से जीवन जीने की शैली का विकास करने के लिए आदिवासियों की समृद्ध परम्परा पर अनुसंधान करे।
मुम्बई से आये सामाजिक कार्यकर्ता तथा वकील फादर जेम्स मस्केरान्हास ने तरूमित्र टीम द्वारा आध्यात्मिक विकास की अवस्था की व्याख्या करने के तरीके की सराहना की। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता हमेशा आगे बढ रही है, रीति रिवाजों के आरम्भिक प्रचलित तत्वों से आगे बढ़कर कलीसिया धर्मसमाजियों को हमेशा सहायता करती है कि वे मठवासी और रहस्यमय अवस्था तक पहुँचें। उन्होंने कहा कि सभी तीन स्तरों पर इको स्परिचुआलिटी या पर्यावरण संगत आध्यात्मिकता पर विचार विमर्श, मार्गदर्शन तथा प्रयोग करने की जरूरत है।
अहमदाबाद स्थित संत जेवियर कांलेज के फादर लैन्सी डिक्रूज ने कहा कि कार्यकर्ताओं, मेषपालों, प्रशिक्षण संचालकें तथा जीवन विज्ञान की विभिन्न शाखाओं के विशेषज्ञों को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर रिसोर्स परसन्स की टीम बनाने की प्रक्रिया में हैं ताकि हमारे युग के लिए समग्र पर्यावरण सुसंगत आध्यात्मिकता का प्रसार किया जा सके।
पर्यावरण संगत जीवन शैली का प्रसार करने के लिए प्रतिभागियों के समूह ने भोजन पकाने के लिए बायो वुड का प्रयोग करने सहित वृक्षारोपण करने, बिजली बचाने और पृथ्वी से जुड़ें विषयों पर पूजनधर्मविधि समारोहों का आयोजन करने का सुझाव दिया।








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