नबी दानिएल का ग्रंथ 12, 1-3 इब्रानियों के नाम पत्र 10, 11-14, 18ॊ संत मारकुस
13, 24-32 जस्टिन तिर्की, ये.स.
रघुवीर की कहानी आज आप लोगों को एक
युवक की कहानी बताता हूँ जिसका नाम था रघुवीर। लोग उसे रघु कहकर पुकारते थे। उसने पढ़ाई-लिखाई
पूरी कर ली थी पर उसे कोई नौकरी नहीं मिली। कई बार तो उस नौकरी के लिये बुलावा आया पर
जब उससे नौकरी शुरु करने के लिये घूस देने की बात कही गयी तो वह मुकर गया। बेरोज़गारी
के कारण वह बहुत उदास रहने लगा। वह प्रत्येक सुबह को समाचार पत्र पढ़ता यह सोचकर कि उसे
कोई नौकरी मिल जाये। वह जितना समाचार पत्र पढ़ता उतना ही निराश हो जाता। रोज दिन के समाचार
चोरी हत्या मार काट दुर्घटनाओं से भरे होते थे। एक दिन की बात है उसने निराश हो आत्महत्या
की बात सोची। इसी समय उसके घर में एक बुजू्र्ग व्यक्ति आया। जब उसने देखा रघु आत्म हत्या
करने का उपक्रम कर रहा है तो उसने उससे पूछा । ऐ रघु, तुम क्या कर रहे हो । तब रघु ने
कहा कि मैं अपना अन्त करना चाहता हूँ।तब उस बुजूर्ग ने कहा कि यदि तुम आत्महत्या करने
के सही कारण दोगे तो मैं तुम्हें आत्महत्या करने की इजाज़त दूँगा, अन्यथा नहीं। तब रघु
ने बताया कि कैसे उसने अपने जीवन में मेहनत की, पढ़ाई-लिखाई पूरी की नौकरी पायी पर पैसे
के अभाव में नौकरी पा नहीं सका। परिवार वालों ने उसे छोड़ दिया। दुनिया में झूठ का बोलबाला,
रुपये-पैसे ईमानदारी से ज़्यादा बोलते हैं और मानव की कोई कद्र नहीं हैं। समाचारपत्रों
के समाचार अच्छे नहीं हैं। रघु ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है जो उसके जीवन को आशा प्रदान
करे इसलिये वह अपने जीवन का अन्त करना चाहता है। रघु की कहानी सुनने के बाद उस बुजूर्ग
व्यक्ति ने कहा कि तुम्हारे पास कोई और रस्सी है, क्या? रघु ने घबराते हुए पूछा आप रस्सी
क्यों खोज रहे हैं ? तब उस बुजूर्ग व्यक्ति ने कहा कि तुम्हारी कहानी सुनने के बाद मैं
भी जीना नहीं चाहता हूँ। मित्रो, दुनिया की विपत्तियों से घिरने के बाद में मानव असहाय
महसूस करता है वह निराश हो जाता है और सोचने लगता है कि जीवन बेकार है। कई लोग ऐसे भी
है जो जीवन की चुनौतियों से नहीं घबराते और जीवन ऐसा जीते हैं की मौत ही उनसे घबराने
लगती है। ऐसे लोग भलाई, सच्चाई और अच्छाई के लिये जीते रहते हैं। ऐसे लोगों का अन्त कभी
होता नहीं है। वे दुनिया से विदा तो हो जाते हैं पर मृत्यु उनके जीवन का विनाश नहीं कर
पाती है।
मित्रो, रविवारीय आराधना विधि चिन्तन कार्यक्रम के अन्तर्गत पूजन विधि
पंचांग वर्ष ‘ब’ के 33वें रविवार के लिये प्रस्तावित के आधार पर हम मनन-चिन्तन कर रहे
हैं। प्रभु आज हमें आमंत्रित कर रहे हैं ताकि हम उनके दिव्य वचनों को सुनें ताकि हम
मृत्यु को गले लगाने के लिये तैयार हो सकें। आइये हम संत मारकुस रचित सुसमाचार के 13वें
अध्याय के 24 से 32 पदों को सुनें।
संत मारकुस 13, 24-31
येसु ने अपने
शिष्यों से कहा," उन दिनों के संकट के बाद सूर्य अंधकारमय हो जायेगा, चंद्रमा प्रकाश
नहीं देगा, तारे आकाश से गिर जायेंगे और आकाश की शक्तियाँ विचलित हो जायेंगी। तब लोग
मानव पुत्र को अपार सामर्थ्य और महिमा के साथ बादलों पर आते हुए देखेंगे। वह अपने दूतों
को भेजेगा और वे चारों दिशाओं से आकाश के कोने-कोने से, उसके चुने हुओं को एकत्र करेंगे।
अंजीर के पेड़ से शिक्षा ग्रहण करो। जब उसकी टहनियाँ कोमल बन जाती हैं और उस पर अंकुर
फूटने लगते हैं, तो तुम जान जाते हो कि गर्मी आ रही है। इसी तरह, जब तुम लोग यह सब देखोगे,
तो जान लो कि वह टिकट है, द्वारा पर ही हैं। मैं तुम से कहे देता हूँ, इस पीढ़ी में के
अन्त हो जाने से पूर्व ही ये सब बातें प्रकट हो जायेंगी। आकाश और धरती चल जायें, परंतु
मेरे शब्द नहीं टल सकते ।उस दिन और उस घड़ी के विषय में, कोई भी नहीं जानता – न तो स्वर्ग
के दूतगण और न पुत्र । केवल पिता ही जानता है।"
एक सच्चाई - मृत्यु मित्रो,
मेरा पूरा विश्वास है कि आपने प्रभु के दिव्य वचनों को ध्यान से सुना है और मेरी आशा
है कि प्रभु के वचनों को सुनने से आपको और आपके परिजनों को आध्यात्मिक लाभ हुए हैं। मित्रो,
हम कई बातों की चर्चा करते हैं। हम कई घटनाओं के बारे में विचार करते हैं उन पर चिन्तन
करते हैं उनपर अपना विचार दूसरों को देते हैं। हमारी बातों से कई लोगों को संतोष और लाभ
भी होते हैं। पर मित्रो, क्या आपने कभी विचार किया है कि क्या हम कभी अपने जीवन की उस
सच्चाई के बारे में सोचते हैं जिसका आना सुनिश्चित है। भले ही हम नहीं जानते कि वह पल
कब आयेगा। मित्रो, आज मैं आप लोगों को मृ्त्यु की सच्चाई के बारे में आप लोगों के साथ
मिलकर चिन्तन प्रस्तुत करना चाहूँगा। आज के प्रभु के वचनों पर ग़ौर करने से आप पायेंगे
कि प्रभु हमें तीन बातें बताना चाहते हैं। पहली तो है कि हमारे जीवन के अन्त होने के
समय के बारे में हमें संकेत दिये जा रहे हैं। दुनियाँ की विभिन्न घटनाओं के द्वारा हमें
इस बात को बताया जा रहा है कि हमें अपने वास्तविक निवास स्थान को लौटना। यह दुनिया तो
हमारे लिये एक ऐसा समय है जहाँ हम ईश्वर से मिलने की तैयारी कर रहे हैं। इस दुनिया में
हमें इस बात के लिये समय दिया गया है हम उन कार्यों को करें जिससे हमारी आत्मा को चैन
मिले और ईश्वर हमसे प्रसन्न हों। मित्रो, इस बात को प्रभु हमारी आत्मा में रोज फुसफुसाते
हैं। वे हमसे इस बात की प्रेरणा देते हैं कि हम सचेत रहें और रोज दिन अपनी तैयारी करें
ताकि हम ईश्वर के योग्य बन सकें।
स्वतंत्रता मित्रो, दूसरी बात जिसे हमें
प्रभु बता रहें हैं वह कि हमें प्रभु ने स्वतंत्रता दी है ताकि हम पूरी ज़िम्मेदारी के
साथ जीवने के अपने दायित्वों को निभायें और एक दिन येसु को आमने-सामने देख पायें। मित्रो,
हम सोचेंगे कि हम कैसे जानेंगे कि येसु ने हमें पूरी स्वतंत्रता दी है। मित्रो, अगर हम
अपने जीवन पर ग़ौर करें तो हम पायेंगे कि प्रभु हमें विभिन्न चिह्नों के द्वारा यह बताते
रहते हैं कि हमें उनके पास लौटना है। आज के सुसमाचार में येसु ने कहा कि तुम अंजीर के
पेड़ में लगी टहनियाँ पर कोमल कोपलों को देखकर तुम यह जान जाते हो कि गर्मी आ रही है।
इसी प्रकार दुनिया में कई बातें, संकेत और घटनायें हैं वह यह बता रही है कि यह दुनिया
हमारा वास्तविक निवास नहीं है। हम तो इस धरती में दो-चार दिनों के मेहमान हैं। मित्रो,
हमने कई लोगों को इस दुनिया में आते देखा है और कुछ साल के बाद वे यहाँ से चले जाते हैं।
पर मित्रो, यह भी सत्य है कि हम कई बार ऐसे जीते हैं मानों हम अमर हो गये हॉं, और हम
कभी नहीं मरेंगे। सच्चाई तो यह है कि जो भी इस धरा पर आया है और आयेगा उसे यहाँ से जाना
ही होगा।
कब ? - पता नहीं मित्रो, प्रभु आज हमें एक तीसरी बात भी बताना
चाहते हैं वह हैं कि दुनिया के इतने अविष्कार होने के बाद भी हम इस बात की भविष्यवाणी
नहीं कर पाते हैं कि कौन, कब, कहाँ किस तरह इस दुनिया को अलविदा कहेगा। मित्रो, क्या
कभी आपने इस बात पर विचार किया है कि हमारा जीवन कितना रहस्यमय है। वास्तव में जीवन के
रहस्य पर विचार करने से आप पायेंगे कि ईश्वर के द्वारा दिया गया हमारा जीवन, मानव की
स्वतंत्रता और हमारी मृत्यु के समय का अनिश्चित होना हमारे जीवन को कितना रोमांचक बना
देता है। मित्रो, हमने कई बार ऐसे लोगों को देखा है जो जीते हैं खुशी से काम करते
हैं उत्साहपूर्वक और जब वे इस दुनिया से विदा लेते हैं तो वे मुस्कुराते हुए चले जाते
हैं। हाल में मैने एक सेवानिवृत व्यक्ति से पूछा कि वह कैसे अपना समय व्यतीत करता है
तो उसने कहा कि वह प्रार्थना करता है और अपने आपको तैयार कर रहा है ताकि वह ईश्वर से
मिल सके। इतना ही नहीं उससे विदा लेते समय उन्होंने कहा कि वह येसु से मिलने के एक और
दिन नजदीक आ गया।
मित्रो, दुनिया में कई बातें अनिश्चित जिसके लिये हम अनावश्यक
रूप से चिंतित रहते हैं। हमारे जीवन की एक बात तो निश्चित है कि हमें इस दूनिया से एक
दूसरे दुनिया में कदम रखना है और जिसके दरवाज़े को हम मृ्त्यु कहते हैं। मृत्यु का आना
निश्चित है और खुद प्रभु ने अपने जीवन से हमें बताया कि हम कैसे जीयें ताकि हमें जीने
में आनन्द आये ही, हम मृत्यु के लिये भी तैयार रह सकें।
जीवन घर-वापसी की तैयारी
मित्रो, आज प्रभु हमें आमंत्रित कर रहे हैं सबसे पहले इस बात पर विचार करने के लिये
कि हम सदा इस बात को अपने याद दिलायें कि हमें पिता के पास लौटना है। दूसरी बात, हमारे
कार्य और दायित्त्वों को ऐसे निभायें कि इससे हमें खुशी मिले और लोगों का कल्याण भी हो।
और तीसरी बात कि हम अपने मन दिल को स्वच्छ रखें, सबका भला सोचें भला करें और रोज दिन
भले और अच्छे बनें। अगर हमने अपने जीवन को इस तरह जीना सीख लिया तो न हमें मृत्यु के
बारे में सोचने का न डर होगा न हम मृत्यु का सामना करने से डरेंगे न ही जीवन की चुनौतियों
से डरेंगे। और जब भी मानव पुत्र अपने अपार सामर्थ्य और महिमा के साथ बादलों पर आते हुए
देखेंगे हम पूरे उत्साह से कहेंगे प्रभु, मैं तो बस आपका ही इन्तज़ार बेसब्री से कर रहा
था।