नई दिल्ली, 17 नवम्बर, 2012 ( वीआर, अंग्रेज़ी) देश में होने वाले आगामी चुनाव के मद्देनज़र
देश ख्रीस्तीय नेताओं ने बुधवार 15 नवम्बर को एकदिवसीय सेमिनार का आयोजन किया और चुनाव
संबंधी भावी रणनीति की चर्चा की। ‘नैशनल कौंसिल ऑफ चर्चेस इन इंडिया’ (एनसीसीआई)
के प्रशासन और नीति विभाग के सचिव सामूएल जयकुमार ने कहा कि कलीसिया को चाहिये कि वह
साम्प्रदायिक नहीं बल्कि निर्पेक्ष बनी रहे ताकि उसकी आवाज़ सुनी जा सकती है। उन्होंने
आह्वान किया कि मतभेदों को दरकिनार कर हम एकजूट हों और सामूहिक लक्ष्य के लिये कार्य
करें। एकदिवसीय सेमिनार की विषयवस्तु थी ‘अल्पसंख्यक समुदाय और चुनावी राजनीति -आगामी
चुनाव की रणनीति’। सभा को संबोधित करते हुए भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय समिति के
प्रवक्ता फादर दोमिनिक दाबरेयो ने कहा कि चुनावी नीति बनाने के लिये यह ज़रूरी है कि
विभिन्न कलीसियाओं के नेता अपने विचारों का आदान-प्रदान करें और नीतियों और निर्देशनों
के अंतिम प्रारूप तैयार करने में योगदान दें। उन्होंने यह भी कहा कि हमारी माँगे
मुद्दों पर आधारित हों ताकि इसका प्रभाव ज़्यादा हो। टी.के. ओमेन ने कहा कि मानव
मर्यादा, अस्मिता की रक्षा, सबों की सुरक्षा विशेष करके आदिवासियों, दलितों और कमजोर
वर्ग के लोगों की रक्षा को हमारी माँगों में प्राथमिकता दी जानी चाहिये। जवाहरलाल नेहरु
युनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर ओमेन ने कहा कि काँग्रेस पार्टी को यह स्पष्ट संदेश दिया
जाना चाहिये कि वे ईसाई समुदाय को सहज तरीके से न ले। उन्होंने कहा कि आज यह भी ज़रूरी
है कि ख्रीस्तीय समुदाय का एक प्रतिनिधि हो पूरे ख्रीस्तीय समुदाय का प्रतिनिधित्व करे
और ख्रीस्तीय हितों के लिये आवाज़ बुलन्द करे। सेमिनार में भाग लेनेवाले सदस्यों
ने इस बात पर बल दिया कि यह उचित समय है जब ख्रीस्तीय अपनी माँगों और कार्यक्रमों को
राजनीतिक पार्टियों को बतलायें ताकि वे उन मुद्दों को अपने चुनावी घोषणा पत्रों में शामिल
करें। विदित हो कि अगला लोकसभा चुनाव सन् 2014 में सम्पन्न होगा।