वाटिकन सिटी, 9 नवम्बर, 2012 (सीएनए) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कहा कि विज्ञान और
विश्वास विश्व शांति और मानव लक्ष्य की प्राप्त के लिये ज़रूरी है। संत पापा ने उक्त
बात उस समय कही जब उन्होंने 8 नवम्बर, वृहस्पतिवार को वाटिकन के क्लेमिनटिन सभागार में
विज्ञान के लिये बनी परमधर्मपीठीय अकाडेमी के सदस्यों को संबोधित किया। संत पापा ने
कहा, "मैं इस बात पर दृढ़ता से विश्वास करता हूँ विज्ञान की दुनिया और विश्वास के बीच
लगातार विचार-विमर्श होना चाहिये ताकि मानव को सम्मान देने, मानव मर्यादा और स्वतंत्रता
की संस्कृति का विकास हो सके और मानव परिवार का लम्बे समय तक कायम रहने वाला विकास संभव
हो सकेगा। संत पापा ने कहा, "विश्वास और विज्ञान के आपसी वार्ता के मानव समाज के
कई बड़े सवाल विवेक और सत्य के दायरे से बाहर हो जाते हैं और अविवेक, उदासीनता और कल्पित
कथा बन कर रह जाते हैं जिससे मानव समाज, विश्व शांति और जीवन के अंतिम लक्ष्य को पाने
के प्रयास को अत्यधिक क्षति पहुँचती है।" विदित हो कि परमधर्मपीठीय विज्ञान अकाडेमी
की पूर्ण सभा में वैज्ञानिकों, दर्शनशास्त्रियों और ईशशास्त्रियों ने हिस्सा लिया जिनकी
संख्या 70 थी। सेमिनार की विषयवस्तु थी, " शास्रों में सादृश्यता और जटिलता : सैद्धांतिक,
पद्धतिक और ज्ञानमीमांसिक पहलु" (कोम्पलेक्सिटी एंड अनालॉजी इन साइन्स : थियोरेटिकल मेथडोलिजिकल
एंड एपिस्टिमोलोजिकल ऐस्पेक्टस) संत पापा ने कहा, "विज्ञान की जटिलता और अनुरूपता
इस बात की ओर इंगित करते हैं विभिन्न शास्त्रों में अनुरूपता है। विवेक का जो वरदान मानव
को मिला है सदा सत्य की खोज में विस्तृत होता है ताकि मानव और पूरे वातावरण का हित हो
सके।" अंतःविषयक दृष्टिकोण यह बतलाता है कि विभिन्न ज्ञानशास्त्र, एक-दूसरे से संलग्न
ताकि वे एकीकृत होकर वे एक जटिल सत्य का अध्ययन कर सकें। संत पापा ने कहा कि वे इस
बात की सराहना करते हैं कि विभिन्न ज्ञानशास्त्रों ने विवेक और विश्वास के संबंध को सरलता
से समझने में मानव की मदद की है।