सन्त कास्तोरियुस प्राचीन कलीसिया के उन चार
शहीदों में से एक हैं जिन्हें उनके विश्वास के ख़ातिर उत्पीड़ित किया गया था। किंवदन्ती
है कि कास्तोरियुस, क्लाओदिऊस, निस्कोस्त्रातुस तथा सिमफोरियन पत्थरों के कारीगर तथा
शिल्पकार थे। उन्हें रोमी सम्राट दियोक्लेशियन के काल में उत्पीड़ित किया गया था।
बताया
जाता है कि चारों शिल्पकारों को युगोस्लाविया के सिरमियुम में इन्हें शिल्पकारी के लिये
लगाया गया था। यहाँ इनकी कृतियों को देख सम्राट दियोक्लेशियन अत्यधिक प्रभावित हुए थे।
उन्होंने उन्हें हंगरी के पान्नोनिया बुलाया तथा देवी-देवताओं की मूर्तियाँ बनाने के
लिये कहा किन्तु ख्रीस्तीय धर्मानुयायी होने के कारण कास्तोरियुस एवं उनके शिल्पकार साथियों
ने इससे इनकार कर दिया। उनके इनकार करने पर सम्राट बहुत क्रुद्ध हुआ तथा उसने उनके प्राण
दण्ड की आज्ञा दे दी। उन्हें बन्दीगृह भिजवा दिया जहाँ उन्हें यातनाएँ देकर मार डाला
गया।
सन्त कास्तोरियुस पत्थर काटने वाले मिस्त्रियों, मकान निर्माण में लगे कारीगरों
तथा शिल्पकारों के संरक्षक सन्त हैं। शहीद सन्त कास्तोरियुस एवं उनके साथी शहीदों का
पर्व
चिन्तनः "पृथ्वी के शासको! न्याय से प्रेम रखो। प्रभु के विषय
में ऊँचे विचार रखो और निष्कपट हृदय से उसे खोजते रहो; क्योंकि जो उसकी परीक्षा नहीं
लेते, वे उसे प्राप्त करते हैं। प्रभु अपने को उन लोगों पर प्रकट करता है, जो उस पर
अविश्वास नहीं करते" (प्रज्ञा ग्रन्थ 1:1-2)।