एलीज़ाबेथ के विषय में, हालांकि, बहुत जानकारी
प्राप्त नहीं है तथापि, उनकी विशिष्टता इस बात में है कि वे मरियम को ईश माता रूप में
प्राप्त ईश्वरीय अनुग्रह के बारे में जानने वाले प्रथम लोगों में से एक थी। नवीन व्यवस्थान
में निहित सन्त लूकस रचित सुसमाचार के अनुसार, हारून वंश की एलीज़ाबेथ जैरूसालेम के याजक
ज़खारियस की धर्मपत्नी थी तथा उम्र ढलने के कारण बच्चा जनने में असमर्थ हो गई थी।
सन्त
लूकस रचित सुसमाचार के पहले अध्याय में हम पढ़ते हैं: "यहूदिया के राजा हेरोद के समय
अबियस के दल का ज़खारियस नामक एक याजक था। उसकी पत्नी हारून वंश की थी और उसका नाम एलीज़ाबेथ
था। वे दोनों ईश्वर की दृष्टि में धार्मिक थे - वे प्रभु की सब आज्ञाओं और नियमों का
निर्दोष अनुसरण करते थे। उनके कोई सन्तान नहीं थी, क्योंकि एलीज़ाबेथ बाँझ थी और दोनों
बूढ़े हो चले थे" (लूकस 1:5-7)।
ऐसे ही समय में, ज़खारियस ने गाब्रियल दूत के
दर्शन प्राप्त किये जिसने उन्हें बताया कि उनकी पत्नी एलीज़ाबेथ एक पुत्र को जन्म देगी
जिसका नाम योहन रखा जायेगा। सन्त लूकस के सुसमाचार के अनुसार, "धूप जलाने के समय सारी
जनता बाहर प्रार्थना कर रही थी। उस समय प्रभु का दूत उसे धूप की वेदी की दायीं ओर दिखाई
दिया। ज़खारियस स्वर्गदूत को देख कर घबरा गया और भयभीत हो उठा; परन्तु स्वर्गदूत ने
उस से कहा, ''जखारियस! डरिए नहीं। आपकी प्रार्थना सुनी गयी है - आपकी पत्नी एलीज़ाबेथ
के एक पुत्र उत्पन्न होगा, आप उसका नाम योहन रखेंगे" (लूकस 1:11-13)।
दूत के
शब्दों पर शंका करने के बाद ज़खारियस गूँगे हो गये थे। जब एलीज़ाबेथ गर्भवती थी तब उनकी
चचेरी बहन, मरियम, उनसे मिलने आई थी। इसी भेंट के दौरान एलीज़ाबेथ ने मरियम को सब स्त्रियों
में धन्य कहकर पुकारा था तथा यही वह अवसर था जब मरियम ने प्रभु की प्रशंसा एवं धन्यवाद
का गीत "मागनीफीकात" गाया था। एलीज़ाबेथ के पुत्र योहन के जन्म लेते ही ज़खारियस पुनः
बोलने लगे थे।
सन्त लूकस के अनुसार, "उसने ज़खारियस के घर में प्रवेश कर एलीज़ाबेथ
का अभिवादन किया। ज्यों ही एलीज़ाबेथ ने मरियम का अभिवादन सुना, बच्चा उसके गर्भ में
उछल पड़ा और एलीज़ाबेथ पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो गयी। वह ऊँचे स्वर से बोल उठी, "आप
नारियों में धन्य हैं और धन्य है आपके गर्भ का फल! मुझे यह सौभाग्य कैसे प्राप्त हुआ
कि मेरे प्रभु की माता मेरे पास आयीं? क्योंकि देखिए, ज्यों ही आपका प्रणाम मेरे कानों
में पड़ा, बच्चा मेरे गर्भ में आनन्द के मारे उछल पड़ा। और धन्य हैं आप, जिन्होंने यह
विश्वास किया कि प्रभु ने आप से जो कहा, वह पूरा हो जायेगा!" तब मरियम बोल उठी, "मेरी
आत्मा प्रभु का गुणगान करती है, मेरा मन अपने मुक्तिदाता ईश्वर में आनन्द मनाता है;
क्योंकि उसने अपनी दीन दासी पर कृपादृष्टि की है" (लूकस 1:40-48)।
जैरूसालेम
के याजक ज़खारियस की पत्नी तथा योहन बपतिस्ता की माँ एलीज़ाबेथ का वर्णन हमें केवल सन्त
लूकस रचित सुसमाचार के पहले अध्याय में ही मिलता है और कहीं नहीं। सन्त एलीज़ाबेथ का
पर्व 05 नवम्बर को मनाया जाता है।
चिन्तनः "धन्य है प्रभु, इस्राएल का ईश्वर!
उसने अपनी प्रजा की सुध ली है और उसका उद्धार किया है।" (सन्त लूकस 1:68)