2012-11-01 16:27:20

संत- नवीन सुसमाचार प्रचार के लिए प्रभावी आदर्श


वाटिकन सिटी 1 नवम्बर (जेनिथ) 7 से 28 अक्तूबर तक सम्पन्न धर्माध्यक्षों की धर्मसभा द्वारा दिये गये प्रस्ताव संख्या 23 में धर्माचार्यों ने बल दिया कि संत, नवीन सुसमाचार प्रचार के लिए प्रभावी मोडल हैं। कहा गया है कि सुसमाचार प्रचार करनेवाले तथा जिनके मध्य सुसमाचार प्रचार किया जाता है उनके भले के लिए पवित्रता हर सुसमाचार प्रचार के समर्पण का सार्थक हिस्सा है। यह संदेश है जो सब 1 नवम्बर को मनाये जानेवाले संतों के महापर्व के साथ पूर्ण संयुक्तता में है।

सिनड के धर्माध्यक्षों ने पूरे प्रस्ताव को नवीन सुमसाचार प्रचारकों की पवित्रता को समर्पित कर दिया है। पवित्रता के लिए सार्वभौमिक आह्वान नवीन सुसमाचार प्रचार का संरचनात्मक अंग है जो संतों को विभिन्न रूपों में प्रभावी मोडल के रूप में देखता है जिसमें इस बुलाहट को पूरा किया जा सकता है। पवित्रता की विभिन्न कथाओं में जो सामान्य तत्व है वह है ख्रीस्त का अनुसरण करना दो विश्वास के जीवन में अभिव्यक्त किया गया है जो उदारता में क्रियाशील है तथा सुसमाचार की उदघोषणा है। धर्माध्यक्षों ने सब संतों का आदर्श के रूप में कुँवारी माता मरिया की पहचान की है। कहा गया है कि मरिया में हम पहचानते हैं पवित्रता का आदर्श जो प्रेम के कृत्यों में अभिव्यक्त हुआ है यहाँ तक कि सर्वोच्च उपहार के रूप में स्वयं का समर्पण।

प्रस्ताव संख्या 22 में मन परिवर्तन तथा पवित्रता में नवीनीकरण की बात कही गयी है जो नवीन सुसमाचार प्रचारकों के लिए अत्यावश्यक है। अनेक धर्माध्यक्षों ने अपने जीवन में पवित्रता के लिए नवीनीकरण की जरूरत पर जोर दिया यदि वे सचमुच में नवीन सुसमाचार प्रचार के प्रभावी कार्यकर्त्ता बनना चाहते हैं। धर्माध्यक्षीय धर्मसभा के धर्माचार्यों ने मेषपालीय परिवर्तन की जरूरत के साथ ही निजी और सामुदायिक मनपरिवर्तन की जरूरत पर जोर दिया।








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