2012-11-01 16:19:14

पहली नवम्बर सब संतों का महापर्व


वाटिकन सिटी 1 नवम्बर 2012 (सेदोक, वी आर वर्ल्ड) काथलिक कलीसिया ने पहली नवम्बर को सब संतों का महोत्सव मनाया। संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने गुरूवार को इस दिन संत पेत्रुस बासिलिका के प्रांगण में उपस्थित देश विदेश से आये हजारों विश्वासियों और पर्यटकों के साथ देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया। इस अवसर पर दिये गये संदेश में उन्होंने कहा कि आज हमें सब संतों के महोत्सव के दिन मिलने का अवसर मिला है, यह पर्व दिवस हमें मानवता की दो क्षितिजों पर चिंतन करने के लिए सहायता करता है जिन्हें सांकेतिक रूप से दो शब्दों, पृथ्वी और स्वर्ग के द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है। पृथ्वी इतिहास की यात्रा का जबकि स्वर्ग अनन्तता, ईश्वर में जीवन की परिपूर्णता को प्रतिबिम्बित करता है।
संत पापा ने कहा कि यह महापर्व हमें कलीसिया की दो पहलूओं पर सोच विचार करने के लिए सहायता करता है- कलीसिया जो समय के साथ यात्रा कर रही है तथा कलीसिया जो नया येरूसालेम, कभी समाप्त नहीं होनेवाला पर्व मना रही है। ये दोनों पहलू संतों की सामुदायिकता की सच्चाई के साथ एक दूसरे से संयुक्त हैं। ऐसी सच्चाई जो इस धरती पर शुरू होती है और स्वर्ग में अपनी परिपूर्णता को प्राप्त करती है। धरती पर कलीसिया सामुदायिकता के इस रहस्य की शुरुआत है जो मानवता को संयुक्त करती है, ऐसा रहस्य जो पूरी तरह से येसु ख्रीस्त पर केन्द्रित है। ये वे हैं जिन्होंने मानवता के लिए इस नये पहलू का परिचय कराया, ऐसा अभियान जो एक ही समय में ईश्वर की ओर ले चलता है तथा एकता, शांति की ओर ले चलता है। येसु ख्रीस्त मर गये ताकि बिखरी हुई ईश्वर की संतान को जमा करें और यह काम कलीसिया में जारी है जो एक पवित्र और काथलिक है। मसीही होना, कलीसिया का अंग होने का अर्थ है इस सामुदायिकता के लिए खुला होना, बीज के समान जो जमीन में स्वयं को खोलता है, मर जाता है तथा अंकुर निकलता है स्वर्ग की ओर।
संत पापा ने कहा कि संतों को जिन्हें कलीसिया ने संत घोषित किया तथा उन सब अज्ञात संतों को जिन्हें केवल ईश्वर जानते हैं और जिनका हम आज पर्व मना रहे हैं उन्होंने गतिशील जीवन को गहन रूप से जीया। प्रत्येक जन में बहुत ही निजी रूप से ख्रीस्त उपस्थित थे उनकी आत्मा के लिए हम आभारी हैं जो ईशवचन और संस्कारों के द्वारा क्रियाशील है। वस्तुतः, ख्रीस्त के साथ, कलीसिया में संयुक्त होना एक व्यक्ति के व्यक्तित्व को कम नहीं आंकता लेकिन इसे खोलता है, प्रेम की शक्ति से पूर्ण बदलाव लाता है तथा इस पर यहाँ धरती में ही अनन्तता का आयाम जोड़ता है।
संत पापा ने कहा कि आज के महापर्व में हम आगे देखते हैं कि इस जीवन में सौंदर्य, ईश्वर की प्रेम दृष्टि तथा पड़ोसी के लिए पूरी तरह से खुली है, जिसके द्वारा यह निश्चित है कि हम ईश्वर तक तथा ईश्वर में एक दूसरे तक पहुँचेंगे। आशा से पूर्ण इस विश्वास के द्वारा हम सब संतों का सम्मान करते हैं तथा इस दुनिया से प्रस्थान कर चुके विश्वासियों का कल स्मरण करने की तैयारी करते हैं। हम संतों में देखते हैं स्वार्थ और मृत्यु पर प्रेम की विजय, हम देखते हैं कि ख्रीस्त का अनुसरण करने से जीवन की, अनन्त जीवन की ओर चलते हैं तथा यह वर्तमान को, हर पल जो गुजरता है उसे अर्थ प्रदान करता है क्योंकि यह प्रेम और आशा से भरा है।
संत पापा ने कहा कि अनन्त जीवन पर विश्वास ही हमें अतीत और वर्तमान को सचमुच प्यार करने में समर्थ बनाता है। तीर्थयात्री की स्वतंत्रता के साथ जो पृथ्वी को प्यार करता है क्योंकि उसका ह्दय स्वर्ग में है। उन्होंने अंत में कहा कि कुँवारी माता मरिया हमारे लिए इस कृपा को प्राप्त करें ताकि हम अनन्त जीवन पर मजबूती से विश्वास करें तथा हमारे मृत प्रियजनों के साथ सच्ची सामुदायिकता को महसूस करें।







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