वाटिकन रेडियो हिन्दी प्रसारण सर्वेक्षण 2012 जवाब - चुन्नीलाल कैवर्त
(अध्यक्ष) ग्रीन पीस डी-एक्स क्लब सोनपुरी, टेंगनमाड़ा, बिलासपुर (छत्तीसगढ़) वाटिकन
रेडियो के सभी कर्मचारी भाई बहनों को प्रभु यीशु के मधुर एवं सामर्थी नाम में मेरा प्यार
भरा नमस्कार। वाटिकन रेडियो,हिन्दी प्रसारण का सर्वेक्षण-2012 का जवाब बहुत ही खुशी और
उत्साह के साथ भेज रहा हूँ। धन्यवाद। 1. क्या आप वाटिकन रेडियो प्रसारण सुनते हैं?
यदि हाँ तो कैसे रेडियो से या इंटरनेट से चुन्नीलाल- जी हाँ, वाटिकन रेडियो का
प्रसारण मैं खुशी के साथ सुनता हूँ।कभी रेडियो पर तो कभी इंटरनेट से। 2. वाटिकन रेडियो
की हिन्दी सेवा के बारे में आपके क्या विचार हैं? चुन्नीलाल- वाटिकन रेडियो की हिन्दी
सेवा,हम श्रोताओं तक संत पापा के सन्देश,जीवनोपयोगी शिक्षा और सूचनाप्रद समाचार त्वरित
और जिम्मेदारी के साथ पहुंचाती है। वाटिकन रेडियो एक प्रकार से हमारा मित्र और मार्गदर्शक
है। 3. वाटिकन रेडियो से प्रसारित नियमित कार्यक्रम- रविवारीय देवदूत प्रार्थना के
पाठ से पूर्व दिया जानेवाला संत पापा का संदेश, बुधवारीय आमदर्शन समारोह पर संत पापा
की धर्मशिक्षा, कलीसियाई दस्तावेज एक अध्ययन, पवित्र धर्मग्रंथ बाइबिल एक परिचय, समसामयिक
चर्चा, रविवारीय आराधना धर्मविधि चिंतन, युवा कार्यक्रम नई दिशाएं (लघु चर्चाएँ और साक्षात्कार)
तथा चेतना जागरण के तहत प्रसारित नाटकों के बारे में आपकी क्या राय है? चुन्नीलाल-रविवारीय
देवदूत प्रार्थना एवं बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा के सन्देश,कलीसियाई दस्तावेज़
एक अध्ययन,पवित्र धर्मग्रंथ एक परिचय,रविवारीय आराधना धर्मविधि चिंतन-ये कार्यक्रम आध्यात्म
एवं शिक्षा से परिपूर्ण होते हैं।लेकिन इनकी भाषा थोड़ी क्लिष्ट होती है।मेरा सुझाव है
कि इन कार्यक्रमों को सरल हिन्दी (आम बोलचाल) की भाषा में प्रस्तुत करें,ज्यादा उचित
रहेगा।सम सामयिक चर्चा बहुत अच्छा कार्यक्रम है।इसमे ताज़ा और ज्वलंत मुद्दों को शामिल
किया जाता है। नई दिशा कार्यक्रम की विषय वस्तु घिसी पिटी होती है, इसमे नई जानकारी कम
ही मिलती है। हालाकि चर्चा प्रेरणादायक होती है,लेकिन विषय और मुहावरों (मन चंगा तो कठौती
में गंगा....) की पुनरावृत्ति होती रहती है। इसमे सफल युवाओं से साक्षात्कार विशेष रूप
से सुनवाया करें। चेतना जागरण के विषय, पारिवारिक व समाजोपयोगी होते हैं,जो उचित भी है।
लेकिन नाटक 'नाटकीय'कम,कभी-कभी परिचर्चा जैसी लगती है।ध्वनि चित्रण सटीक होनी चाहिए। 4.
प्रतिदिन भेजे जानेवाले वाटिकन रेडियो हिन्दी ई समाचार में प्रकाशित विश्व और कलीसियाई
समाचारों से आपको किस प्रकार का लाभ मिलता है? चुन्नीलाल- इस कार्यक्रम के माध्यम
से विश्व में घट रही नित नए-नए समाचारों से परिचित होते हैं। बुरी खबरें हमें सावधान
करती हैं और अच्छी खबरें मुझे प्रेरणा प्रदान करती हैं।कार्यक्रमों से मिलने वाली शिक्षाओं
को मैं अपने दैनिक जीवन में अमल करने का प्रयास करता हूं। 5. भारत विभिन्न धर्मों
और संस्कृतियों वाला देश हैं। आपके विचार से हिन्दी भाषी श्रोताओं और पाठकों के धार्मिक
विश्वास और आस्था को बढाने के लिए वाटिकन रेडियो की हिन्दी सेवा की क्या भूमिका है चुन्नीलाल-
मैं समझता हूँ,वाटिकन रेडियो की हिन्दी सेवा अपने श्रोताओं को मसीही जीवन और बाइबिल की
शिक्षाओं से परिचित कराती ही है।साथ ही श्रोताओं के मन में उनके अपने धर्म के प्रति भी
विश्वास व आस्था बढ़ाती है। 7. क्या आप वाटिकन रेडियो प्रसारण, वाटिकन वेबसाइट, वाटिकन
रेडियो हिन्दी ब्लाग, वाटिकन रेडियो हिन्दी ई समाचार या वाटिकन भारती पत्रिका के बारे
में दूसरों को जानकारी देते हैं ? चुन्नीलाल- वाटिकन रेडियो के अलावा अन्य प्रसारण
सुनने वाले श्रोताओं एवं पाठको तथा अपने संपर्क में आने वाले हर व्यक्ति को मैं वाटिकन
रेडियो,वेब साइट,ई समाचार एवं 'वाटिकन भारती' पत्रिका के बारे में बताते रहता हूँ।आपके
यहां से प्रेषित सामग्री का मैं इनमे वितरण कर देता हूँ।साथ ही उनको पत्र लिखने या ईमेल
भेजने के लिए प्रोत्साहित भी करते रहता हूँ। 8. वाटिकन रेडियो के हिन्दी विभाग के
साथ नियमित सम्पर्क बनाने और संवाद करने के लिए आप प्रतिमाह कितनी बार ई मेल या पत्र
भेजते हैं? चुन्नीलाल-मैं वाटिकन रेडियो को प्रति माह दो ईमेल जरुर भेजता हूँ।
9.
श्रोताओं के ई मेल का जवाब देने में मुख्यालय के कार्य से क्या आप संतुष्ट हैं? हाँ
/नहीं चुन्नीलाल- कुछ वर्ष पहले रांची कार्यालय से हर पत्र का लिखित जवाब दिया जाता
था,लेकिन अब ऐसा नहीं किया जाता।मेरे विचार से रांची कार्यालय और श्रोताओं के बीच नियमित
रूप से पत्र व्यवहार जारी रहना चाहिए।
10. वाटिकन रेडियो हिन्दी ई समाचार पानेवाले
पाठकों की संख्या बढ़ी है लेकिन पत्र लिखने और ई मेल भेजनेवाले श्रोताओं की संख्या में
बहुत भारी कमी आयी है। क्या श्रोताओं के पत्र कार्यक्रम को बंद कर दिया जाये? हाँ /नहीं
यदि नहीं तो इस कार्यक्रम में अधिक से अधिक श्रोता और पाठक सक्रिय भाग ले सकें, इसके
बारे में हमें आपके बहुमूल्य सुझाव दें। चुन्नीलाल- श्रोताओं के पत्र कार्यक्रम बंद
नहीं किया जाना चाहिए,चाहे परिस्थिति कितनी ही प्रतिकूल क्यों न हो। हाँ ,इसे साप्ताहिक
के स्थान पर पाक्षिक या मासिक कर सकते हैं। वाटिकन रेडियो की ओर अधिक से अधिक श्रोता
और पाठक आकर्षित हों,इसके लिए कुछ सुझाव प्रस्तुत करना चाहूंगा : --- (अ) वाटिकन रेडियो
द्वारा श्रोताओं के लिए मासिक प्रतियोगिता का आयोजन करें।विशेष अवसर पर बड़ी प्रतियोगिता
का भी आयोजन करें,जिसमे विजेता श्रोता या पाठक को वाटिकन की यात्रा करने और संत पापा
का दर्शन करने का सौभाग्य मिल सके। (ब) प्रति वर्ष श्रोता सम्मलेन आयोजित करें।ताकि
श्रोताओं और प्रसारकों के बीच संवाद व संपर्क बना रहे। (स) वाटिकन रेडियो ,हिन्दी
प्रसारण में श्रोताओं के भागीदारी वाला एक भी कार्यक्रम नहीं है।एक नया कार्यक्रम आरम्भ
करें,जिसमे श्रोता पत्र के द्वारा या फोन से अपने विचार प्रेषित कर सके।प्रतिभागी श्रोताओं
को पुरस्कृत भी किया करें। (द) पत्र व्यवहार सतत जारी रहे। समय समय पर श्रोताओं के
पत्रों के जवाब डाक द्वारा जरुर दिया करें। धन्यवाद।