धर्माध्यक्षों की धर्मसभा में मद्रास मैलापुर के महाधर्माध्यक्ष का संबोधन
वाटिकन सिटी 12 अक्तूबर 2012 (सेदोक) विश्व के धर्माध्यक्षों की 13 वीं सामान्य धर्मसभा
के 7 वें सामान्य सत्र को सम्बोधित करते हुए अपने सम्बोधन में भारत के मद्रास मैलापुर
महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष ए मलयापन चिन्नपा ने कहा कि बहुलता और विविधता के लेखक
पवित्र आत्मा हैं। धन्य संत पापा जोन तेईसवें ने द्वितीय वाटिकन महासभा को नया पेंतेकोस्त
कहा था। सबसे पहले नवीन सुसमाचार प्रचार का तरीका या पद्धति विभिन्न संदर्भों में येसु
की शिक्षा पद्धति का अनुपालन करेगी।
उन्होंने कहा येसु थोपते नहीं हैं क्योंकि
वे अच्छी तरह से जानते हैं कि सब लोग ईश्वर के प्रतिरूप में सृष्ट किये गये हैं। स्वयं
को व्यक्त करने की येसु की शिक्षा पद्धति जो समारी महिला के साथ साक्षात्कार में होता
है येसु क्रमशः समारी महिला को समझने में मदद करतें है कि वह स्वयं को, मसीह को खोज सके
तथा समारी लोग वस्तुतः येसु की खोज करते हैं। वे संसार के मुक्तिदाता हैं।
महाधर्माध्यक्ष
चिनप्पा ने कहा कि कैसरिया फिल्लपी में अपने शिष्यों के साथ बातचीत करते हुए येसु ऐसा
अवसर और वातावरण अर्पित करते हैं जिसमें पेत्रुस यह महसूस करता है कि येसु मसीह हैं।
इसे खोज पद्धति कहते हैं हमें लोगों को सहायता करनी है कि वे अपने लिए येसु की खोज करें।
उन्होंने कहा कि भारतीय परम्परा में अनेक मार्ग हैं जैस ज्ञान मार्ग, भक्ति मार्ग, कर्म
मार्ग। इन किन्ही भी मार्गों का उपयोग कर ईश्वर तक पहुंच सकता है। विभिन्न धर्मों के
संदर्भ में संवाद के बारे में कहा जा सकता है कि हर धर्म में प्रकाश का चिह्न है लेकिन
जीएस एक कदम आगे जाकर कहते हैं पवित्र आत्मा प्रत्येक जन को पास्काई रहस्य में सहभागी
होने की संभावना अर्पित करता है।
महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि दुनिया कदम दर कदम
निर्धनों का जाति, लिंग, जातिगत भेदभाव के आधार पर किनारा करती जाती है। ईश्वरीय राज्य
के बारे में येसु का संदेश में निर्धनों की पुकार को सुनकर कहा गया है कि वे धन्य हैं।
गरीबों, शोषितों और भेदभाव का शिकार होनेवाली जातियों, समुदायों और समूहों का सशक्तिकरण
करना नवीन सुसमाचार प्रचार के साथ प्राथमिक एजेंडा बने।