2012-10-07 12:08:27

वाटिकन सिटीः बेनेडिक्ट 16 वें ने किया धर्माध्यक्षीय धर्मसभा का उदघाटन, विवाह की पवित्रता पर दिया बल


वाटिकन सिटीः बेनेडिक्ट 16 वें ने किया धर्माध्यक्षीय धर्मसभा का उदघाटन, विवाह की पवित्रता पर दिया बल
वाटिकन सिटी, 07 अक्टूबर सन् 2012 (सेदोक): रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में भव्य ख्रीस्तयाग समारोह के साथ, रविवार 07 अक्टूबर को, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने धर्माध्यक्षीय धर्मसभा की 13 वीं सामान्य सभा का उदघाटन किया।
उन्होंने कहा, "इस भव्य सहसमारोह के साथ हम, ख्रीस्तीय विश्वास के प्रसार हेतु नवीन सुसमाचर उदघोषणा विषय पर, धर्माध्यक्षों की 13 वीं सामान्य आम सभा का शुभारम्भ करते हैं। यह विषय कलीसिया, उसके सदस्यों एवं परिवारों तथा कलीसियाई संस्थाओं एवं समुदायों के जीवन हेतु मार्गदर्शन पर चिन्तन करता है। और यह प्रत्याशा इस तथ्य से बल प्राप्त करती है कि धर्माध्यक्षों की धर्मसभा, द्वितीय वाटिकन महासभा की 50 वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में, 11 अक्टूबर को आरम्भ होनेवाले "विश्वास वर्ष" के साथ साथ आरम्भ हो रही है।"
धर्माध्यक्षीय धर्मसभा के लिये विश्व के विभिन्न महाद्वीपों से वाटिकन पहुँचे महाधर्माध्यक्षों, धर्माध्यक्षों एवं अन्य ख्रीस्तीय सम्प्रदायों एवं कलीसियाओं के प्रतिनिधि धर्माचार्यों का सन्त पापा ने सौहार्द्रपूर्ण अभिवादन किया तथा सभी को आमंत्रित किया कि वे आगामी तीन सप्ताहों तक चलनेवाली धर्मसभा की सफलता हेतु प्रतिदिन प्रार्थना करें।
इस रविवार के लिये निर्धारित धर्मग्रन्थ पाठों पर चिन्तन प्रस्तुत करते हुए सन्त पापा ने स्मरण कराया कि इनमें येसु ख्रीस्त तथा ख्रीस्तीय विवाह पर चिन्तन किया गया है।
धर्मसभा के आचार्यों से उन्होंने कहा, "ईश वचन हमसे क्रूसित प्रभु येसु पर चिन्तन करने का आग्रह करता है इसलिये उन्हीं पर दृष्टि लगाते हुए तथा उन्हीं के रहस्यों पर मनन करते हुए हम धर्मसभा के सत्रों में अपने विचार रखें।"
सन्त मारकुस रचित सुसमाचर को उद्धृत कर उन्होंने कहा, "प्रत्येक पल एवं प्रत्येक स्थल पर, सुसमाचार प्रचार का आदि एवं अन्त, ईशपुत्र, येसु ख्रीस्त में रहा है; अस्तु, सुसमाचर की उदघोषणा करनेवाले का सुस्पष्ट चिन्ह क्रूस है, जो प्रेम एवं शांति, मनपरिवर्तन की बुलाहट तथा पुनर्मिलन का विशिष्ट चिन्ह है।"
सुसमाचार के प्रेम सन्देश को जन जन में फैलाने का अनुरोध कर सन्त पापा ने कहा, "कलीसिया सुसमाचार के प्रचार के लिये ही अस्तित्व में है। प्रभु येसु ख्रीस्त के आदेश के प्रति सत्यनिष्ठ रहते हुए उनके शिष्य, सम्पूर्ण विश्व में सुसमाचार की उदघोषणा हेतु निकल पड़े थे।"
विवाह विषय पर चिन्तन करते हुए सन्त पापा ने कहा कि इस रविवार के लिये प्रस्तावित उत्पत्ति ग्रन्थ के पाठ तथा सुसमाचर में निहित येसु के शब्द पर विशेष ध्यान दिया जाना अनिवार्य है जिनमें कहा गया हैः "इसलिये पति अपने माता पिता का घर छोड़ेगा तथा पत्नी के साथ हो लेगा ताकि वे एक शरीर बन जाये।"
इस वाक्य का अर्थ समझाते हुए सन्त पापा ने कहा, "विवाह अपने आप में एक सुसमाचार है, वर्तमान विश्व के लिये और, विशेष रूप से, ख्रीस्तीय धर्म से दूर चले गये विश्व के लिये वह एक शुभसमाचार है। एक पुरुष एवं एक स्त्री के बीच संयोग तथा उदारता, फलदायकता और चिरस्थायी प्रेम में उनका "एक शरीर" होना, एक ऐसा चिन्ह है जो ईश्वर के बारे में प्रभावशाली ढंग से बोलता है। यह वह सुस्पष्ट चिन्ह है जो आज, हमारे युग में, अत्यधिक महत्वपूर्ण हो उठा है क्योंकि दुर्भाग्यवश, कुछेक कारणों से, आज, विशेष रूप से प्राचीन ख्रीस्तीय क्षेत्रों में, "विवाह" एक घोर संकट के दौर से गुज़र रहा है।"
विवाह के महत्व को प्रकाशित कर सन्त पापा ने आगे कहा, "विवाह, विश्वास से संलग्न है, किन्तु सामान्य तरीके से नहीं। विश्वसनीय एवं चिरस्थायी प्रेम के सदृश संयोग रूप में विवाह, उस कृपा पर आधारित है जो त्रियेक ईश्वर से प्रस्फुटित होती है, जिन्होंने विश्वसनीय प्रेम द्वारा, क्रूस पर मृत्यु तक भी, ख्रीस्त में हमसे प्रेम किया। आज जब अनेक विवाह बन्धन दुखद स्थिति में टूटते जा रहे हैं हमें इस वकतव्य के पूर्ण सत्य को समझने का प्रयास करना चाहिये क्योंकि विश्वास सम्बन्धी संकट तथा विवाह पर पड़े संकट के बीच घनिष्ट सम्बन्ध है।"
तीन सप्ताहों तक वाटिकन में चलनेवाली धर्माध्यक्षीय धर्मसभा को सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने, "नवीन सुसमाचार के तारे" पवित्र कुँवारी मरियम के सिपुर्द किया तथा विश्व के सभी ख्रीस्तानुयायियों से इसकी सफलता हेतु प्रार्थना का आर्त निवेदन किया।








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