नई दिल्ली भारत 5 अक्तूबर 2012 (ऊकान) महिला संसद अध्यक्षों की वार्षिक बैठक में विश्व
भर में संसदों या अन्य निकायों में महिला प्रतिनिधित्व को बढाने के लिए काम करने का संकल्प
व्यक्त किया है। विश्व के महिला संसद अध्यक्षों की दो दिवसीय बैठक नई दिल्ली में सम्पन्न
हुई। बैठक के अंत में स्वीकार किये गये नई दिल्ली उदघोषणा में यह संकल्प व्यक्त किया
गया कि विधि निर्माण निकायों और जनप्रतिनिधि निकायों में महिलाओं की सहभागिता को बढाने
वाले उपायों को प्रोत्साहन दिया जाये जैसा कि भारत में महिला आरक्षण पहल को प्रोत्साहन
दिया जा रहा है। भारत में संसद और राज्य की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत
आरक्षण देने का प्रस्ताव किया जा रहा है तथा गाँवों की पंचायत समितियों में इसे लागू
किया जा चुका है। संयुक्त राष्ट्र संघ के महिला विभाग की कार्यकारी निदेशक मिकेल
बेचलेट ने बैठक के उदघाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए इस पहल की प्रशंसा करते हुए कहा
कि गाँव की पंचायतों में स्थानीय महिला नेताओं की संख्या में तेज वृद्धि हुई है और राष्ट्रीय
स्तर पर इसे देखने के लिए विश्व प्रतीक्षा कर रहा है। विश्व में महिलाओं के सशक्तिकरण
और भारत में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र में सफलता के लिए आरक्षण ने योगदान दिया है। भारत
में संसद और विधानसभाओं में महिलाओं की सहभागिता बढाने के लिए महिला आरक्षण बिल 2010
को राज्य सभा ने पारित कर दिया है लेकिन संसद द्वारा इसे पारित किया जाना बाकी है। इंटर
पार्लियामेंटरी यूनियन (आईपीयू) के अनुसार विश्व में हर पाँच सांसद में केवल एक महिला
सांसद है। आईपीयू की महासचिव अन्द्रेस बी जानसन के अनुसार पिछले 15 वर्षों में भारत
और विश्व में बहुत परिवर्तन आया है लेकिन फिर भी यह लक्ष्य से नीचे है। आस्ट्रिया की
संसद अध्यक्ष बारबरा प्रामेर ने राजनीति और संसद में महिलाओं के मुद्दे पर सामान्य जागरूकता
को बढाने पर बल दिया। तंजानिया की संसद अध्यक्ष अन्ने माकिंदा ने कहा कि विश्व में आयी
आर्थिक मंदी ने सरकारों पर दबाव डाला है जिससे अनेक सामाजिक कल्याण के उपाय छोड़ दिये
गये हैं परिणामस्वरूप राजनीति में महिलाओं की बढ़ती सहभागिता प्रभावित हुई है तथापि उन्होंने
कहा कि राजनीति को केवल पुरूषों के लिए छोड़ देना उचित नहीं होगा। बैठक का शुभारम्भ
करते हुए भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा कि जेन्डर सेंसेटिव पार्लियामेंट और
अधिक अंतदृष्टि, के साथ सामाजिक समस्याओं का समाधान पा सकते हैं जिसे महिलाएं सामना करती
हैं जैसे हिंसा, कन्या भ्रूण हत्या और मानव तस्करी। इस समय विश्व में 190 पार्लियामेंटों
की उच्च या निम्न सदनों में केवल 37 महिला अध्यक्ष हैं।