नई दिल्ली, 03 अक्टूबर सन् 2012 (ऊका समाचार): भारत सरकार द्वारा हाल में प्रकाशित आँकड़ों
के अनुसार, सन् 2011 के दौरान, देश में 135,000 लोगों ने आत्महत्याएँ की। सूची में पश्चिम
बंगाल का नाम सबसे ऊपर है। आँकड़ों के अनुसार, इन 135,000 लोगों में पारिवारिक समस्याओं
से तंग आकर 24.3 प्रतिशत ने तथा रोगों से तंग आकर 19.6 प्रतिशत लोगों ने आत्महत्या कर
ली थी। निर्धनता के कारण 1.7 प्रतिशत लोगों ने अपनी जानें ले ली। प्रेम प्रसंगों के कारण
3.4, मादक पदार्थों की आसक्ति के कारण 2.7 तथा साहूकारों के दलदल में फँसने अथवा दिवालियापन
के कारण 2.2 प्रतिशत लोगों ने आत्महत्याएं की। विगत वर्ष पश्चिम बंगाल में 16,492
लोगों ने, तमिल नाड में 15,963 लोगों ने, महाराष्ट्र में 15,947 लोगों ने, आन्द्रप्रदेश
में 15,077 लोगों ने तथा कर्नाटक में 12,622 लोगों ने आत्महत्याएं की। केन्द्र प्रशासित
प्रदेशों में दिल्ली सबसे पहले स्थान पर रहा जहाँ 1,716 लोगों ने आत्महत्याएं की। सात
केन्द्र प्रशासित प्रदेशों में 1,9 प्रतिशत आत्महत्याएं हुई। यह भी बताया गया कि
सन् 2001 से सन् 2011 तक भारत में आत्महत्याओं में 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि जनसंख्या की दृष्टि से उत्तर प्रदेश, देश का, सबसे विशाल
प्रदेश है तथापि, आत्महत्याओं की संख्या यहाँ अन्य प्रदेशों की तुलना में कम रही है।