02 अक्टूबर को काथलिक कलीसिया रखवाल दूतों
का पर्व मनाती है। रखवाल दूत, लोगों को शारीरिक एवं आध्यात्मिक ख़तरों से बचाते तथा भलाई
हेतु प्रेरित करते हैं।
मानव तथा धरती की सृष्टि से पूर्व, ईश्वर ने असंख्य आत्माओं
का सृजन किया, जिन्हें बाईबिल धर्मग्रन्थ में स्वर्गदूत कहा गया है। स्वभाव से दूतगण
अमर थे तथा ईश्वर के साथ अनन्त सुख भोगना उनकी नियति। सृष्टिकर्त्ता ईश्वर की सेवा के
लिये स्वर्ग उनका पुरस्कार था। हालांकि, पवित्र धर्मग्रन्थ सिखाते हैं कि उनमें से कईयों
ने ईश्वर का विरोध किया तथा दण्ड के भागीदार बने। विद्रोही स्वर्गदूत अपदूत बन गये तथा
उनके दण्ड स्वरूप नर्क अस्तित्व में आया।
इसायाह के ग्रन्थ के 14 वें अध्याय
के 12 से लेकर 19 तक के पदों में हम पढ़ते हैं: "जो प्रभात-तारे! उषा के पुत्र! तुम आकाश
से कैसे गिरे? तुम, जो राष्ट्रों को पराजित करते थे, तुम कैसे अधोलोक में पड़े हो? तुम,
जो मन-ही-मन कहते थेः "मैं आकाश पर चढूँगा, मैं ईश्वर के नक्षत्रों के ऊपर अपना सिंहासन
रखूँगा। मैं उत्तरी दिशा स्थित देव-सभा के पर्वत पर विराजमान होऊँगा। मैं बादलों के ऊपर
चढ़ कर सर्वोच्च प्रभु के सदृश बनूँगा" किन्तु तुम्हें पृथ्वी के नीचे, अधोलोक के गहरे
गर्त्त में उतरना पड़ा। जो तुम को देखते हैं, वे आँखें फाड़ कर यह सोचते हुए तुम को ताकते
रहते हैं, "क्या यह वही मनुष्य है, जिसके सामने पृथ्वी काँपती थी और राज्य थरथराते थे?
वही मनुष्य, जिसने पृथ्वी को उजाड़ा, उसके नगरों का विनाश किया और बन्दियों को स्वदेश
लौटने नहीं दिया?" राष्ट्रों के सभी राजा अपने-अपने मक़बरे में सम्मानपूर्वक विश्राम करते
हैं, किन्तु तुम को अपने मक़बरे से निकाल कर घृणित गर्भस्राव की तरह फेंका गया, तलवार
के घाट उतारी लाशों के ढेर पर, जो गड्ढ़ों और पत्थरों पर पड़े हैं। पैरों से रौंदे हुए
शव की तरह।"
इसी तरह सन्त लूकस रचित सुसमाचार के 10 वें अध्याय के अनुसार जब
शिष्य प्रभु येसु से कहते हैं कि प्रभु के नाम के कारण अपदूत भी हमारे अधीन होते थे तो
येसु ने उत्तर दिया थाः "मैंने शैतान को बिजली की तरह स्वर्ग से गिरते देखा।" और फिर,
सन्त पेत्रुस के पत्र 2 के दूसरे अध्याय के चौथे पद में हम पढ़ते हैं: "क्योंकि ईश्वर
ने पापी स्वर्गदूतों को भी क्षमा नहीं किया, बल्कि उन्हें नरक के अंधेरे गर्तों में डाल
कर न्याय के लिए रख छोड़ा।"
इसके विपरीत, भले स्वर्गदूतों को प्रभु ईश्वर ने पुरस्कृत
किया। पवित्र धर्मग्रन्थ में सेराफिम के नेतृत्व में स्वर्गदूतों की नौ भजन मण्डलियों
की चर्चा है। स्वर्ग में निवास करनेवाले दूत धरती पर जीवन यापन करनेवाले लोगों के रखवाले
और रक्षक हैं। सन्त मत्ती रचित सुसमाचार के 18 वें अध्याय के 10 वें पद में येसु के शब्दों
को हम इस प्रकार पढ़ते हैं: "सावधान रहो, उन नन्हों में एक को भी तुच्छ न समझो। मैं तुम
से कहता हूँ- उनके दूत स्वर्ग में निरन्तर मेरे स्वर्गिक पिता के दर्शन करते हैं।"
चिन्तनः हम प्रार्थना करें: हे ईश्वर के दूत, तू जो मेरा रखवाला है, मैं
ईश्वर की दया से तेरे हाथों में सौंपा गया हूँ, मुझे उजाला दे, मेरी रक्षा कर और मुझे
सीधा चला, आमेन।