2012-09-28 10:44:18

प्रेरक मोतीः सन्त लोरेन्सो रूईज़ (1600-1637)


वाटिकन सिटी, 28 सितम्बर सन् 2012:

लोरेन्सो रूईज़ फिलिपिन्स के प्रथम सन्त हैं। वे, ख्रीस्तीय धर्म के ख़ातिर शहीद होनेवाले प्रथम फिलीपीनी भी हैं। लोरेन्सो रूईज़ एक विवाहित लोकधर्मी काथलिक थे जिनके दो पुत्र एवं एक पुत्री थी। लगभग सन् 1600 ई. में, लोरेन्सो का जन्म, मनीला के बिनोन्दो में हुआ था। दोमिनीकन धर्मसमाजियों के स्कूल में उन्होंने हाईस्कूल तक शिक्षा प्राप्त की थी जिसके उपरान्त वे स्थानीय गिरजाघर में नौकरी पर लग गये थे।

सन् 1636 ई. में वे फिलिपिन्स से जापान चले गये थे। जापान में उस समय ख्रीस्तीयों पर अत्याचार हो रहा था। लोरेन्सो भी इसी भँवर में फँस गये। जब उन्होंने जापानी अधिकारियों को बताया कि वे ख्रीस्तीय धर्मानुयायी थे तो उन्हें एवं साथियों को गिरफ्तार कर कारावास में डाल दिया गया। ख्रीस्तीय धर्म के परित्याग हेतु बाध्य करने के लिये आततायियों ने कारावास में उन्हें नाना प्रकार उत्पीड़ित किया किन्तु लोरेन्सो अपने विश्वास पर अटल रहे तथा प्रभु ख्रीस्त के सुसमाचार का साक्ष्य देते रहे। उन्होंने अपने उत्पीड़कों से कहा कि चाहे वे उनकी जान ही क्यों न ले लें वे प्रभु येसु ख्रीस्त में अपने विश्वास का परित्याग कदापि नहीं करेंगे।

27 सितम्बर, सन् 1637 ई. को लोरेन्सो के हाथ पाँव बाँध कर उन्हें एक विशाल गर्त के ऊपर उलटा टाँग दिया गया। दो दिनों तक यातनाएँ सहने के बाद, 29 सितम्बर को, उनकी मृत्यु हो गई। उनके शव को जलाकर समुद्र राख फेंक दी गई। लोरेन्सो के साथ साथ उनके 15 साथियों को भी ख्रीस्तीय धर्म का परित्याग नहीं करने के लिये इसी प्रकार जापान में मार डाला गया था। 18 फरवरी सन् 1981 ई. को धन्य सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने अपनी मनीला यात्रा के दौरान फिलिपिन्स के लोरेन्सो रूईज़ एवं उनके साथी शहीदों को धन्य घोषित किया था। 18 अक्टूबर सन् 1987 ई. को, रोम में उन्होंने लोरेन्सो रूईज़ को सन्त घोषित कर वेदी का सम्मान प्रदान किया था। फिलिपिन्स के शहीद सन्त रूईज़ का पर्व 28 सितम्बर को मनाया जाता है।



चिन्तनः कठिन परिस्थितियों में भी हम प्रभु ख्रीस्त में अपने विश्वास का परित्याग न करें बल्कि सतत् प्रार्थना द्वारा अपने विश्वास को सुदृढ़ करें।








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