आतंकियों के भय से कश्मीर में 50 से अधिक सरपंचों का इस्तीफा
श्रीनगर कश्मीर भारत 27 सितम्बर 2012 (एशिया न्यूज) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य
में 50 गाँव के प्रधानों ने मुसलमान चरमपंथियों के भय से अपने पदों से इस्तीफा दे दिया
है। आतंकवादी समूहों द्वारा दो स्थानीय अधिकारियों की हत्या के भय से इन गाँव प्रमुखों
का निर्णय सामने आया है। आतंकी और चरमपंथी समूहों को जमीनी स्तर पर स्थानीय जनता से मिलने
वाले समर्थन खोने का भय हो रहा है। पिछले 30 साल में पहली बार लोकतांत्रिक तरीके से हुए
स्थानीय निकायों के चुनाव में चुने गये जनप्रतिनिधियों तथा स्थानीय प्रशासन ने लोगों
के कल्याण के लिए नये स्कूल, नये चिकित्सा केन्द्र खोले और सड़कें बनायी जिससे लोग स्वतंत्रता
महसूस करने लगे और शिक्षित होने लगे। इसी से भयभीत होकर आतंकी और चरमपंथी समूहों ने आतंकित
करने का रास्ता अपनाया है। एशिया समाचार के अनुसार पिछले आठ माह में कई गाँवों के प्रमुखों
को चरमपंथी और आतंकी समूहों की ओर से दबाव और धमकी का सामना करना पड़ रहा है। सन
2011 में जम्मू और कश्मीर के पंचायतों में पिछले 30 साल में पहली बार लोकतांत्रिक तरीके
से पंचायत प्रमुखों के चुनाव के लिए मतदान हुआ था। चरमपंथियों के खतरे और बहिष्कार करने
की पुकार के बावजूद 13 अप्रैल से 27 जून के मध्य सम्पन्न चुनावों में 79 फीसदी जनता ने
मतदान कर 30 हजार से अधिक पंचायत प्रमुखों को चुना था। चुने गये नये जनप्रतिनिधियों ने
राज्य के निर्धनतम ग्रामीण इलाकों में विकास को गति प्रदान करने के लिए तेजी से काम करना
शुरू किया। स्थानीय लोगों का मानना है कि लोकतंत्र की बयार और विकास ने मुसलमान चरमपंथियों
को किनारे करना शुरू किया तथा शिक्षित होती जनता से चरमपंथियो को समर्थन कम मिलने लगा।
जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री ओमार अब्दुल्ला ने पंचायत अधिकारियों से आग्रह किया
है कि वे अपने पद पर बने रहें। भरोसा और सुरक्षा का माहौल बनाये रखने के लिए सरकार यथासंभव
उपाय करेगी। मजबूत और क्रियाशील स्थानीय प्रशासनिक निकायों का नेटवर्क तैयार करना सरकार
के प्राथमिक लक्ष्यों में से एक है।