मुम्बई, 25 सितम्बर सन् 2012 (एशियान्यूज़): कर्नाटक राज्य में विगत दिनों, ख्रीस्तीयों
के विरुद्ध दो नये हमले रिकॉर्ड किये गये। दोनों आक्रमण पेन्तेकॉस्टल ख्रीस्तीयों
के विरुद्ध किये गये। समाचारों के अनुसार हिन्दु चरमपंथियों ने ख्रीस्तीयों के घरों पर
हमला किया, उनकी प्रार्थना सभाओं को भंग किया तथा उनसे ख्रीस्तीय धर्म के परित्याग की
मांग की। भारतीय ख्रीस्तीयों के सार्वभौमिक संगठन जीसीआईसी के अध्यक्ष साजन के. जॉर्ज
के अनुसार, "अब यह स्पष्ट हो गया है कि आक्रमण की घटनाएँ पूर्वनियोजित थीं क्योंकि "कर्नाटक
तथा भारतीय जनता पार्टी द्वारा शासित अन्य राज्यों में धर्म और राजनीति साथ साथ चलते
हैं तथा इनका दुरुपयोग, अधिक से अधिक, मतों को हासिल करने के लिये किया जाता है।" आखिरी
हमला 23 सितम्बर को उत्तरी बैंगलोर के गुद्दादाहाली हियराघट्टा में किया गया। पेन्टेकॉस्टल
चर्च के पादरी मुनीराजू द्वारा आयोजित प्रार्थना सभा में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के
दो कार्यकर्त्ता घुस आये तथा उनके बाद आठ और उपद्रवी प्रार्थना सभा को भंग करने चले आये।
उन्होंने गिरजाघर में तोड़ फोड़ मचाई, पवित्र बाईबिल की प्रति को फाड़ कर ज़मीन पर फेंक
दिया तथा पादरी की पिटाई की। ख्रीस्तीय समुदाय को धमकाने के लिये वे पादरी एवं उनके
पाँच साथियों को एक हिन्दू मन्दिर तक घसीट कर ले गये और उन्हें पूजा करने के लिये बाध्य
किया। प्रार्थना सभाओं का आयोजन न करने की भी चरमपंथियों ने चेतावनी दी। इसी प्रकार
शुक्रवार को, शिमोगा ज़िले में पेन्टेकॉस्टल चर्च पर हमला किया गया। लगभग 20 हिन्दु चरमपंथियों
ने प्रार्थना के लिये एकत्र ख्रीस्तीयों पर हमला किया, तोड़ फोड़ मचाई तथा ख्रीस्तीयों
को बलपूर्वक पास के मन्दिर ले जाकर, शुद्धीकरण की रीति में भाग लेने पर, मजबूर किया।
श्री जॉर्ज ने कहा कि भारतीय संविधान का 14 वाँ अनुच्छेद भारत के सभी नागरिकों को
कानून के समक्ष बराबर घोषित करता है किन्तु इसके बावजूद ख्रीस्तीयों पर हमले जारी हैं
तथा पुलिस एवं सरकार निष्क्रिय हैं।